स्व. बलिराम कश्यप ने बताया था लीलाधर राठी को लुटेरा और नक्सलियों का साथी
स्व. बलिराम कश्यप ने लीलाधर राठी को लुटेरा और नक्सलियों का साथी बताया था । उन्होंने उसकी पत्रकारिता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाया था , और तब उसे विश्रामगृह से भगा दिया था । इस सम्बन्ध में हमें एक दुर्लभ विडिओ प्राप्त हुआ है , जिसे जनहित में जारी किया जा रहा है । अपने जीते जी दादा ने कभी भी ” दलाल ” लोगों को अपने आस – पास फटकने नहीं दिया । बलिराम जी साफ -सुथरे राजनीतिज्ञ थे , उनमे नैतिकता बाक़ी थी , उन्हें भ्रष्ट्राचार को सही ठहराने वाले पसंद नहीं थे ।
समय समयकी बात है । अब उन्ही के पुत्र केदार कश्यप को ऐसे दलालों की जरुरत पड़ रही है । केदार कश्यप बहुत आगे बढ़ रहें हैं , जल्दी आगे बढ़ जाना चाहते है । अपने जल्दी कीवजह से ही उन्होंने सच और झूठ में फर्क नही दिखायी दे रहा है । अब केदार के लिए वही आदमी खास हो गया है जिसे उनके ईमानदार पिता पसंद नही करते थे — ज़माना बदल गया है । हाँ भाई !!! बलिराम जी सडकों में घूमते थे , जबकि केदार तो बस उड़ते हैं । ऐसे गीदड़ों के पीठ पर बैठ कर उड़ रहें हैं केदार । बस्तर सम्भाग के अकेले मंत्री हैं वे , सभी जिलों में उन्होंने कुछ ऐसे ही लोग तलाश लिए हैं , जो मीडिया से हैं , अच्छे गजब के दलाल हैं । चलिए उन सब की सूची और दलाल पुराण फिर कभी ।
सप्लायर , ठेकेदार और बीमा एजेंट भी खुद , इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट दोनों ही मिडिया में अपने बहुमुखी मायावी भूमिका से अधिकारीयों के बीच आतंक का पर्याय बन चुके इस पत्रकार कम भजपा नेता के कई शिकारों ने मुझसे सम्पर्क कर न्याय दिलाने व इस ” कलंक ” का पर्दाफाश करने की गुजारिश की है । इनके कई दुष कृत्यों की जानकारी सबूत सहित जुटाया जा रहा है , ताकि उचित कार्यवाही की जा सके । जीवन बीमा विभाग से भी जानकारी लिया जा रहा है , शिकायत मिली है कि इन्होने कई बीमा धारकों के कागजातों में हेरा -फेरी और गलत जानकारी देकर उन्हें भविष्य में नुक्सान उठाने के लिए मजबूर कर दिया है ।
कुछ अधिकारीयों ने यह भी जानकारी दी है कि करोड़पति एजेंट बनने और अपनी एमडीआरटी सदस्य बनने के लिए इसने उनके द्वारा दिए गए प्रीमयम को कई बार नए बीमा में बदल दिया है । पता चला है कि इन महोदय के द्वारा बीमा के व्यवसाय को भ्रष्ट्र अधिकारीयों को ब्लेकमेल करने और काला धन को सफ़ेद करने के लिए ही अपनाया हुआ है । पूरे जिले में भ्रष्ट्राचार का रोग ऐसे ही दलालों की वजह से फ़ैल गया है , और जनता के हिस्से और हक़ मरने वालों को भाजपा में महत्व दिया जा रहा है । पत्रकारिता के नाम पर कलंक बन चुके दलालों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा — पत्रकारों दलाली छोडो , दलालोंपत्रकारिता छोडो
अतः आप अभी से निवेदन है कि कृपया अन्याय ना सहें , और ऐसे अन्यायी , मायावी , अत्याचारियों के साथी के खिलाफ जानकारियां हमें उपलब्ध कराएं…
(कमल शुक्ला सम्पादक भूमकाल)