एनसीएल ने अडानी को जंगल या जमीन आबंटन की खबर को गलत बताया , कहा अडानी को केवल खनन और कहां विकास का ठेका
दंतेवाड़ा। नएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड(एनसीएल) के सीईओ वी एस प्रभाकर ने विज्ञप्ति जारी कर 13 नम्बर निक्षेप में अडानी को खदान या जमीन दिए जाने के आरोप का खंडन किया है । उन्होंने कहा है कि खदान का स्वामित्व एनसीएल के पास ही है ।
विज्ञप्ति के अनुसार किरन्दुल, जिला दंतेवाड़ा में 10 एमटीपीए क्षमता का बैलाडीला लौह अयस्क निक्षेप-13 एक संयुक्त उद्यम कंपनी के अधीन विकसित की जा रही है जिसका नाम एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड(एनसीएल) है। इस जेवी कंपनी में एनएमडीसी की शेयरधारिता मात्र 51 प्रतिशत है । इसमें छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (राज्य सरकार का उपक्रम) की शेयरधारिता 49 प्रतिशत है।
निक्षेप-13 का स्वामित्व एनसीएल के पास है तथा निक्षेप -13 का खनन पट्टा संयुक्त उद्यम कंपनी के साथ पंजीकृत है। खनन पट्टा अदानी अथवा किसी अन्य को किसी भी समय स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
इस परियोजना के अधीन वांछित भूमि का अधिग्रहण जेवी कंपनी के नाम पर ही किया जाएगा तथा निक्षेप -13 से उत्पादित लौह अयस्क की केवल बिक्री का अधिकार एनसीएल के पास होगा।
मेसर्स अदानी इंटरप्राईजेज लिमिटेड को उत्खनन एवं खान विकास की संविदा केवल खान विकासकर्ता सह प्रचालक (एमडीओ) के रूप में दी गई है।
अदानी को यह कार्य खुली निविदा के आधार पर एमएसटीसी (भारत सरकार का उद्यम) का पारदर्शी ई-निविदा पोर्टल के माध्यम से दिया गया था।
कुल दस(10) बोलीदाताओं ने निविदा दस्तावेज खरीदे तथा चार(4) बोलियां नियत तारीख तक प्राप्त हुई थी। 03(तीन) बोलीदाता योग्य पाए गए तथा एक प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया क्योंकि बोलीदाता वांछित योग्यता नहीं रखता था । सभी तीन योग्य बोलीदाताओं की बोली खोली गई तथा इसके पश्चात रिवर्स ई-बोली प्रक्रिया छ:(06) घंटे तक चली। तीन बोलीदाताओं में मेसर्स अदानी इंटरप्राईजेज ने न्यूनतम बोली लगाई थी तथा उन्हें न्यूनतम बोलीदाता घोषित किया गया।
प्रभाकर ने आगे कहा कि इस प्रकार मेसर्स अदानी इंटरप्राईजेज लिमिटेड को उचित तथा पारदर्शी निविदा प्रक्रिया का पालन करते हुए न्यूनतम बोली के अधार पर कार्य सौपा गया है। अदानी को प्रति टन कीमत के संबंध में इसी प्रकार की विकसित खानों की तुलना में अत्यधिक किफायती पाया गया ।इस संबंध में किसी भी प्रकार के प्रचार की निंदा की जाती है।