एडसमेटा फर्जी मुठभेड : सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी देने दिल्ली से पहुंची याचिकाकर्ताओं की टीम
एडसमेटा कांड की जांच में हो रही थी देरी , सुको ने सीबीआई को जांच करने कहा
एडसमेटा कांड में एसआइटी ने छह साल में सिर्फ 5 लोगों के लिए बयान ,तीन बच्चों समेत आठ लोगों की गई थी जान , आदेश के बाद ग्रामीणों में खुशी
पत्रिका एवं अन्य न्यूज़ एजेंसी
बीजापुर । एडसमेटा में फर्जी मुठभेड़ कांड को लेकर 3 मई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई से कराने सरकार को कहा है । साथ ही जांच अधिकारी प्रदेश के बाहर का होने व मामले की छह माह के बाद फिर से सुनवाई करने की बात कही है । यही जानकारी देने ह्युमन राइट्स लाँ नेटवर्क के वकील और याचिकाकर्ता की छह सदस्यीय टीम ग्रामीणों के पास देने दंतेवाड़ा पहुंची थी ।
टीम ने एडसमेटा के 15 पभावित ग्रामीणों से मुलाकात की और उनसे जानकारी ली । इस दौरान यहां ग्रामीणों ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से वह बेहद खुश हैं , लेकिन मामले की जांच राजधानी में बैठकर सिर्फ कागज में न हो । बल्कि वे गांव आए और यहां ग्रामीणों के बीच आकर सच्चाई के का पता लगाएं ।
आवेदनकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने बताया किएडेसमेटा की घटना मध्य भारत मे आदिवासी मूलवासियों के सुनियोजित जनसंहार का महज़ एक उदाहरण है, हकीकत तो यह है कि नक्सल उन्मूलन के नाम पर आदिवासी मूलवासियों के आखेट का अभियान अपने चरम पर है, पूरे कनफ्लिक्ट जोन में प्रायोजित और फ़र्ज़ी मुठभेड़ के अनगिनत घटनाएं अपने न्याय की बाट जोह रहे हैं । उम्मीद है एड्समेटा जनसंहार पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया जजमेंट न्याय के राह में मील का पत्थर साबित होगा । लेकिन इस मौके पर यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में जब ऐसी ही एक घटना की जाँच करने सी बी आई की टीम पहुची थी तब तत्कालीन राज्य सत्ता ने जाँच में रोड़ा अटका दिया था .
3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एडसमेटा जनसंहार को लेकर सुनवाई की थी । इसी जानकारी को ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए वे दंतेवाड़ा पहुंचे थे । एडसमेटा इलाके से करीब 15 लोग दंतेवाड़ा पहुंचे और यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश की विस्तार से जानकारी दी । क्यों कि जल्द ही सीबीआई की टीम यहां तक पहुंचेगी और ग्रामीणों से बात करेगी । ऐसे ग्रामीणों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए । साथ ही उन्हें यह भी मालूम हो कि उनके यहां के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्या कहा है । इसलिए यहां पहुंचकर लोगों को जानकारी देने पहुंचे थे । जांच के दौरान स्थानीय पुलिस के दस्ते ज्यादा न पहुंचे क्योंकि मामले में आरोप स्थानीय पुलिस के उपर हैं । ऐसे में यदि स्थानीय पुलिस के दस्ते जांच के दौरान अधिक संख्या में मौजूद रहेंगे तो ग्रामीणों में डर रहेगा और वे खुलकर बात नहीं करेंगे । डिग्री प्रसाद चौहान का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारी जब प्रदेश के बाहर के होने का कहा है , इसके पीछे का कारण भी यही हैं । इसलिए वे इसकी मांग करेंगे ।
ग्रामीणों से मुलाकात कर सुको द्वारा दिए गए फैसले की जानकारी देने के लिए ह्यमन राइट्स की छह सदस्यी टीम पहुंची थी । इसमें याचिकाकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान , किशोर नारायण , राणा विश्वास , एलनाँर भी थी ।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल . नागेश्वर राव और एमआर शाह की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि बीजापुर के गंगलुर थाने के एडेसमेटा इलाके में जो मुठभेड़ 17 मई 2013 को हुई थी । उसके लिए राज्य सरकार ने घटना के 11 दिन बाद 28 मई को एसआईटी गठित की थी । आखिरी सुनवाई में एसआईटी द्वारा इन छह सालों में जो कारवाई की गई थी उसकी जानकारी एफिडेविड़ में मांगी गई थी । इसमें बीजापुर एसपी जो जानकारी दी है । उसमें लिखा है कि इन छह सालों पांच लोगों के बयान दर्ज किए गए और माओवादियों का पकड़ने की कार्रवाई चल रही है । इस जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वे एसआईटी की जांच से संतुष्ट नहीं है । एसआईटी ने छह साल में बिल्कुल भी प्रभावी रूप से काम नहीं किया । एसआईटी की इसी रवैये को देखते हुए ही मामले की तेजी से जांच के लिए इस मामले को सीबीआई को दिया जाता है ।
इधर सोनी सोढ़ी ने बताई इसे बड़ी जीत
इस मामले में बस्तर में आदिवासियों के लिए काम कर रही समाजसेवी । सोनी सोढी ने कहा यह बस्तर के आदिवासियों की बड़ी जीत हैं । मैं खुद ग्रामीणों से मुलाकात की थी । वही इस मामले को लेकर वकीलों से भी लगातार चर्चा चल रही थी । आखिर इस पर निष्पक्ष जांच के लिए फैसला आ ही गया । यह हमारे लिए बड़ी राहत की बात है ।
क्या हुआ था एडेसमेटा में ?
बीजापुर के एडसमेटा गांव के करीब के जंग में 17 मई 2013 की देर रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चे और सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी । घटना के बाद ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वे सभी देवगुड़ी में बीज त्यौहार मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे , इसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और फायरिंग कर दी । इसमें मारे गए सभी लोग बेगुनाह हैं । मारे गए आठ लोगों में तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे । वहीं घटना में पांच लोग घायल हो गए थे । इन सभी को पुलिस माओवादी मानती है ।