अबूझमाड़ की पहाड़ियों के गोद मे बसा गांव मर्रामपारा तरस रहा हैं मूलभूत जरूरतों के लिये. लिखकर कहकर थक गये आदिवासी नहीं हैं कहीँ सुनवाई .
नियत श्रीवास की रिपोर्टिंग
कोयलीबेड़ा ,कांंकेेर
अबूझमाड़ की पहाड़ियों के गोद मे बसा गांव मर्रामपारा , आलपरस पंचायत का आश्रित ग्राम है। आजादी के 70 दशकों बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं के तरस रहा है। ग्रामवासी आवेदन निवेदन कर थक हार गए हैं परंतु आज पर्यन्त समस्याएं जस की तस बनी हुई है।
अभी तक गांव के लोग बिजली की बाट जोह रहे हैं ठेकेदारों द्वारा बीच बीच मे सपने दिखाए जाते हैं कि इस हफ्ते बिजली लग जायेगी ,अगले हफ्ते से काम शुरू हो जाएगा परन्तु कोई कार्यवाही नजर नही आती। ठेकेदार द्वारा बिना बिजली पहुंचे घरों में मीटर ठोक दिया गया है उस पर भी सभी से 200 से लेकर 50 रुपये तक मीटर लगाने का पैसे ऐंठ लिया, भोले भाले ग्रामीण बीजली के खातिर पैसे भी दे दिए पर आज तक बिजली गांव में नही पहुंची। समस्या सिर्फ बिजली की नही है, यहां के हेण्डपम्प भी लोगों को साफ पानी दे रहे गांव में दो हेण्डपम्प है जिसमे एक हमेशा खराब रहता है.
आवेदन के बावजूद नही बनाया जाता। एक हेण्डपम्प के पानी मे लोहे की मात्रा इतना अधिक है कि लोग पी नही पाते। मुश्किल से एक कुंवा व झरन के सहारे लोग अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिसमे भी अक्सर पशुओ के गिरने की वजह से लोग झरन के पानी पर ही आश्रित रह जाते हैं, निस्तारी का एक मात्र साधन छोटे छोटे कुएं हैं जिसमे अक्सर मवेसी गिर जाते हैं।
बस्ती में 21 घर हैं जनसँख्या 203 की है आँगनबाड़ी केंद्र संचालित है परंतु भवन आज तक बना नही, किराये के मकान में होती है संचालन मकान मालिक को आज तक किराया भी नही मिला। आंगनबाड़ी की दर्ज संख्या 30 है, भवन की मांग हेतु अनेको बार आवेदन किया गया पर कोई कार्यवाही नही हुई।
यहां के लोगों की मुख्य मांग है हेण्डपम्प को दुरुस्त किया जाए व कुएं में चबूतरा का निर्माण ताकि मवेशी कुएं में ना गिरें, आंगनबाड़ी भवन बनाये जाए,मितानीन की नियुक्ति हो ताकि समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके, गली निर्माण कर मुरमिकरन किया जाए, और जल्द से जल्द बिजली के खम्बे पहुंचाए जाए व बिजली की आपूर्ति बहाल किया जाए।
ग्रामीण अंकालुराम आचला,धरमुराम ,बारसुराम ,दल्लू राम,चैनु राम,मंगलू राम,समधर आचला,रामसिंह, घस्सू राम,हलाल राम,मुरा राम,लछुराम सभी ने एक सुर में यह बात बताई की किस प्रकार यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है, आज जमाना चांद पर बस्ती बसाने की को आतुर है और ये गांव जहां बिजली भी नही पहुंच पाई है अपने आप मे सरकारी दावों व योजनाओ की पोल खोल रही है विचारणीय है, गांव में आजतक कोई जनप्रतिनिधि व सरकारी अमला नही पहुंचा जो इनके समस्याओ का निराकरण कर सके ।
आवेदन निवेदन कई बार किये पर कोई सुनवाई नही हुई व किसी का भी ध्यान इस गांव के तरफ नही गया जो समस्याओ को दूर कर सके।
साभारः cgbasket.in