आईये देखिए इन एक्जिस्ट पोल वालों की पोल
एक्जिस्ट पोल में लोचा ही लोचा, 3 सीट पर लड़ रही पार्टी को दिया 4 ,चुनाव नही लड़ रही पार्टी को थमाया ढाई फीसदी,
रायपुर । एक्जिस्ट पोल कितने एक्जिस्ट होते हैं यह जानने के लिए दिल्ली विधान सभा के पिछले चुनाव के इन धुरंधरों के आंकड़ों और परिणाम पर जरूर नजर डाल लीजिएगा । किसी भी चैनल ने तब आप पार्टी को 9 से ज्यादा सीट नही दिया था , एक भक्त चैनल ने तो बकायदा बीजेपी की सरकार ही बना दी थी , बेचारे तैयारी में ही लग गये थे , पर मिला सिर्फ 3 सीट । वैसे तो एक्जिस्ट पोल कभी खरे नही उतरे , फिर इस बार तो मीडिया ने परिणाम के पहले अपने अपने एक्जिस्ट पोल का हल्ला मचाकर बीजेपी को चुनाव परिणाम के पहले ही सनसनी खेज तरीके से जितवा दिया है ।
आईये देखिए इन एक्जिस्ट पोल वालों की पोल एबीपी न्यूज ने अपने घोषणा के कुछ ही देर बाद अपने ही पोल के आंकड़े बदल दिए और एनडीए की दस सीटें बाद में बढ़ा दीं । आज तक ने पंजाब में बीजेपी को चार सीटें दे दीं, बीजेपी तीन पर ही लड़ रही है । टाईम्स नाऊ ने उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को ढाई फ़ीसदी वोट दे दिया । आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में चुनाव ही नहीं लड़ रही ।
आजतक ने बिहार में एनडीए को 100% सीटें दे दीं । 38-40 में अगर 38 को मानें तो बिहार में सिर्फ़ किशनगंज और अररिया मिलेगी, अगर 40 मान लें तो इन दोनों सीटों पर भी महागठबंधन हार रहा है । इतना भरोसा अमित शाह को भी नहीं होगा । एक एक्ज़िट पोल में यूपी में एन डी ए को 68 सीटें मिल रही हैं, एक में 24 तिगुने का मार्जिन है । अब आप किस एक्जिस्ट पोल के साथ हैं ।
छत्तीसगढ़ और झारखंड तक में NDA को एकतरफ़ा जीतता हुआ दिखाया गया है लगभग सारे एक्ज़िट पोल्स में ।
आंध्र में एक एक्ज़िट पोल में TDP जीत रही है, एक में YSRCP अंतर देखेंगे तो डबल का दिखेगा ।
बंगाल की भी यही कहानी है । तिगुने-चौगुने का अंतर है बीजेपी की सीटों में एक में 8 है, तो एक में 29 तक बताया गया । 2014 में चाणक्य का एक्ज़िट पोल रिजल्ट के क़रीब था । बाक़ी सब में भी NDA की जीत का दावा किया गया था । 2004 में सब फिसड्डी साबित हुए थे । 2009 में भी रिज़ल्ट के आस-पास कोई फटक नहीं पाया था । बिहार के एक्ज़िट पोल में तो चाणक्य का आंकड़ा पूरी तरह पलट ही गया था. इस बीच सुदर्शन टीवी भी इस खेल में उतर गया है । ये वो चैनल है, जिसने 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव तक में बीजेपी की जीत का ऐलान कर दिया था ।
पिछले तमाम एक्ज़िट पोल्स को उठाकर देख लीजिए, सबमें बीजेपी को वास्तविक से ज़्यादा सीटें मिलती नज़र आएंगी । 2019 में अगर आजतक का आंकड़ा सही निकलता है तो ये रिपोर्टरों के दिन लदने का संकेत होगा कि 2014 से बड़ी लहर को वो भांप नहीं पाए । अगर इस बार एक्ज़िट पोल ग़लत साबित होता है तो टीवी चैनलों को सदा के लिए इस ढकोसले को बंद कर देना चाहिए ।
अभी तक 23 चुनाव में एग्जिट पोल हुये जिसमे से मात्र 58% सही रहे और 42% गलत रहे तो इसका मोटा मोटी मतलब सही गलत होने की स्थिति 50%-50% की संभावना है तो फिर इस स्थिति में लगभग आंकलन में एग्जिट पोल समर्थ नही रहे हैं ।अभी तक के एग्जिट पोल का औसत सही प्रतिशत 90%उतरता तो इस एग्जिट पोल को लगभग सही के आसपास की स्थिति मानी जाती पर 50-50 सही गलत रहने की इस स्थिति में एग्जिट पोल का कोई बहुत बड़ा महत्व नही बनता है। यह आंकड़ा यह भी कहता है कि हमारे यहाँ के एग्जिट पोल कि बहुत विश्वसनीयता नही रही है। इसी के साथ यह भी एग्जिट पोल वाला कोई नही मिला मेरे ऐसे कोई परिचित और चौक चौराहे वाले ने भी कभी नही बताया कि किसी एग्जिट पोल वाले ने उनसे कभी चर्चा किया हो तो एग्जिट पोल की विधि तरीका क्या है यह किसी को भी नही मालूम एग्जिट पोल का आंकड़ा किस तरह तैयार किये जाते हैं यह न एग्जिट पोल वाली एजेंसी सही रूप में किसी को कुछ नही बताती है कि उसके एग्जिट पोल का वास्तविक आधार क्या है ।
पत्रकार रविशकुमार ने इन आंकड़ों को लेकर कहा कि यह गोदी मीडिया की आखिरी लड़ाई है । वहीं पत्रकार आवेश तिवारी ने भी इन आंकड़ों को फर्जी बताते हुए कहा है कि यह सट्टा बाजार को और जनता को प्रभावित करने की कोशिश है । आशुतोष ने इसे एकजुट हो रहे विपक्ष को अलग अलग करने की कोशिश बताया । अभिसार शर्मा ने तो दावा किया है कि यह पीएमओ के निर्देश पर गोदी मीडिया द्वारा प्रायोजित कर्यक्रम है ।
23 को ईव्हीएम के पिटारे से क्या एग्जिट पोल के दावे पर लगेगी मुहर या फिर से एग्जिट पोल होगा फेल ? आईये देखें भूमकाल समाचार चैनल के लिए पत्रकार अभिषेक झा का विश्लेषण ।