सीपीजे के भारतीय संवाददाता ने रायपुर में चुनावों को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए सुरक्षा किट वितरित किया.
रायपुर, 3 अप्रैल, 2019: द कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) के प्रतिनिधि ने आज रायपुर में स्थानीय पत्रकारों से मुलाकात की और सीपीजे द्वारा बनाई गई “चुनावों को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए सुरक्षा किट” की प्रतियां वितरित की.
सीपीजे की इमरजेंसी रिस्पांस टीम (ईआरटी) ने अंतर्राष्ट्रीय कार्यप्रणाली के आधार पर इस सुरक्षा किट का संकलन किया है. यह संपादकों, पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट की जानकारी के लिए है कि चुनाव की तैयारी कैसे करें और डिजिटल, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक जोखिम को कैसे कम करें.
सीपीजे के भारतीय संवाददाता कुनाल मजूमदार ने डिजिटल सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया. जिसमें बुनियादी उपकरणों की तैयारी से लेकर ऑनलाइन बॉट्स की पहचान करने, ऑनलाइन उत्पीड़न और ट्रोलिंग और सामग्रियों को सुरक्षित संग्रहित करने के बारे में जानकारी दी. इसके अलावा कुनाल ने शारीरिक सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं में रैली और विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षित रिपोर्टिंग करने और प्रतिरोधी समुदायों के बीच सुरक्षित रिपोर्टिंग करने के उपायों के बारे में भी जानकारी दी.
सुरक्षा किट की सॉफ्ट कॉपी सीपीजे के वेबसाइट: https://cpj.org/2019/03/india-elections-journalists-safety-kit.php से प्राप्त की जा सकती है और स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल, वितरित और पुनर्प्रकाशित की जा सकता है.
सीपीजे ऐसा ही एक और कार्यक्रम 4 अप्रैल को बस्तर के बीजापुर में आयोजित कर रहा है.
कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) के बारे में :
कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) एक स्वतंत्र, नॉन-प्रॉफिट संस्था है जो दुनियाभर में प्रेस की आजादी को बढ़ावा देती है. पत्रकारों के प्रतिहिंसा के भय के बिना पत्रकारिता करने के अधिकार की रक्षा के लिए हम लड़ते हैं. हर साल, सैकड़ों पत्रकारों पर हमले होते हैं, उन्हें जेल में डाल दिया जा है या जान से मार दिया जाता है. सीपीजे, उन पत्रकारों के लिए और प्रेस की आजादी के लिए 30 सालों से अधिक समय से लड़ रहा है.
सीपीजे का मुख्यालय न्यूयॉर्क सिटी में स्थित है और दुनिया भर के करीब 40 विशेषज्ञों से मिल कर बना है. सीपीजे का प्रमुख काम रिसर्च आधारित है. यह दुनिया भर में होने वाले प्रेस अधिकारों के हनन पर एक ग्लोबल स्नैपशॉट प्रस्तुत करता है. सीपीजे का रिसर्च स्टाफ हर साल पत्रकारों पर होने वाले सैकड़ों हमलों का दस्तावेजीकरण करता है.
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