कन्हैया के पक्ष में बेगूसराय आ रहे हैं-देश भर से लेखक, कवि ,कलाकार और बुद्धिजीवी. : अपील आप भी आईये , लोकतांत्रिक ,धर्म निरपेक्षता की राजनीति विजय को निर्णायक बनायें.
अब यह जाहिर हो गया है कि बेगूसराय में मोदी बनाम कन्हैया की लड़ाई छिड़ चुकी है। घृणादेव मोदी के उन्मादी भक्तजन झूठ ,नफरत और फरेब के सहारे युद्ध जीतने का मंसूबा रख रहे हैं।
यही कारण है कि मोदी – शाह ने अपने घृणापुत्र गिरिराज को मनुहार करके यहां प्रत्याशी बनाया है । वह निमित्त मात्र है । मैदान में कन्हैया के मुकाबले और कोई नहीं , सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं ।
कन्हैया यों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से संयुक्त वामदलों का प्रत्याशी है, लेकिन वास्तव में वह शांति ,न्याय ,विकास और भ्रष्टाचार मुक्त सुंदर भविष्य चाहने वालों का प्रत्याशी बन गया है। एकतरफ थैली और नफरत की खूंखार शक्ति है तो दूसरी ओर इसके पक्ष में श्रम,न्याय ,बराबरी और इज्जत चाहनेवालों यानी जनबल की अपराजेय शक्ति है ।
अब समय करीब है।29 अप्रैल को यहां मतदान है । 8 अप्रैल को नामांकन है। आप तय करें कि अनीति ,अनाचार और पाखंड के विरुद्ध हैं कि नहीं? अलगाव ,नफरत और साम्प्रदायिक आतंकी हिंसा के विरोधी है हैं कि नहीं?
अगर आप लोकतंत्र, संविधान और. धर्म निरपेक्षता के पक्षधर हैं तो इस लड़ाई में किस रूप में, क्या और किस हद तक सहयोग करेंगे ? जरूरत है नैतिक और भौतिक भागीदारी देकर न्याय युद्ध को बल प्रदान किया जाय ।
खुशी है कि देश भर से हर उम्र और स्तर के लेखक ,कलाकार और बुद्धिजीवियों ने अपने खर्च पर कष्ट उठाकर यहां आने आने और जनता के बीच जाने का निश्चय किया है ।
प्रलेस के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. अली जावेद , ( दिल्ली )ने सूचित किया है कि प्रलेस से जुड़े साथ ही स्वतंत्र लेखन कर रहे कई दिग्गज लेखक बेगूसराय आना चाह रहे हैं । उनके साथ कई युवा लेखक भी आएंगें।
यूपी प्रलेस महासचिव प्रो. संजय श्रीवास्तव ने सूचित किया है कि आलोचक प्रो.चौथीराम यादव ,वीरेंद्र यादव ,शकील सिद्दिकी ,बी एन राय (अव.प्रा.आरक्षी महनिदेशक ) तीस्ता शीतलवाड, फारूक जैसे प्रसिद्ध लेखक कन्हैया के पक्ष में आना चाह रहे हैं।
मध्य प्रदेश के लेखक एवं कलाकारों के साथ प्रलेस के सचिव विनीत तिवारी आ रहे हैं ।अनेक प्रांतों से इसी तरह की सूचना मिल रही है । इन सबों से 8 अप्रैल नामांकन तिथि के शीघ्र बाद यहां आने का सुझाव दिया हूँ।
खुशी है कन्हैया लोकतंत्र बचाओ आंदोलन का प्रतीक और देश का युवा चेहरा है। कन्हैया को बदनाम कर चुनाव को सांप्रदायिक स्वरूप देने के लिए भड़काऊ तरीके से भाजपाई कार्यरत हैं ।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि कन्हैया के पड़ोसी गांव सिमरिया है ।उनकी साम्प्रदायिकता बिरोधी , सामासिक संस्कृति पक्षधर कविताओं को कन्हैया और उसके पक्षधर उद्धृत करते हैं ।
हंसी आती है , आज के एक दैनिक समाचार पत्र में एक भाजपाई जन संगठन के नेताओं का वक्तव्य छपा है कि “दिनकर उसके आईकॉन हैं , मार्गदर्शक हैं । उनकी कविताओं का उद्धरण उनके सिवा और कोई दूसरा प्रस्तुत नहीं कर सकता है । “
नग्न तानाशाही ही फासिज्म कहलाता है।राम की तरह ही दिनकर को भी वे भगवाधारी बनाने पर.तुल गए हैं । दिनकर जी सांंस्कृतिक एकता के अभाव में राजनीतिक एकता को असंभव मानते हैं । देश की सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता के पक्षधर दिनकर और उनकी रचनाएं वर्तमान में भी प्रासंगिक बन रोशनी देती है ।
महात्मा गांधी के मरने पर दिनकर ने लिखा है-
बापू लोगे किसका प्रणाम
सब हाथ जोड़ने आए हैं ।
ये वे , जिनकी मुट्ठी में भी
लोहू के दाग नहीं छिपते।”
राष्ट्रीय एकता और सद्भाव केलिए दिनकर को याद किया जाता है।वे सतर्क कर रहे हैं –
” तिमिरपुत्र ये दस्यु कहीं कोई दुष्कांड रचे ना “
मंदिर और मस्जिद दोनों पर एक तार बांधो रे । “
खतरे बढा कर ही ये अपना अस्तित्व कायम बनाए हुए हैं।अतएव चुनौतियों के मुकाबले की लड़ाई में आप चाहें जैसे हो सहयोगी बनें।
जो बेगूसराय आनेवाले हैं वे बेगूसराय प्रलेस के सचिव ललन लालित्य से मो. 9471235651 पर संपर्क कर सूचित करेंगे।
मोवाइल न. 9263394316 /9471456304 पर मुझे भी सूचना दे सकते हैं।
प्रगतिशील लेखक संघ देश में साम्प्रदायिक फासीवादी राजनीति के बिरूद्ध धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रबल एकता /संयुक्त मोर्चा निर्मित करने का पक्षधर है। वोटों के विभाजन को रोकना जरूरी है। अगर कहीं मोर्चा नहीं कायम हुआ हो तो उस परिस्थिति में जो दल और प्रत्याशी उसको पराजित करने में ज्यादा प्रभावशाली हो , उसी का ही समर्थन करें। लक्ष्य एक है लोकतांत्रिक ,धर्म निरपेक्षता की राजनीति विजयी हो।
साभिवादन।
राजेंद्र राजन
महासचिव
प्रगतिशील लेखक संघ।