आदिवासी विकासखण्ड कार्यालय कोयलीबेड़ा को वापस लाने ग्रामीण उतरे सड़कों पर
नियत श्रीवास
कोयलीबेड़ा– आदिवासी विकासखण्ड कोयलीबेड़ा की स्थापना 1963 में किया गया था कि पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोगों को उनके हक अधिकार की शासकीय योजनाओं का लाभ उन्हें दिया जा सके। परन्तु 1999 में ऐसा कुछ हुआ कि समूचा कार्यालय लिंक कार्यलय के नाम से पखांजुर से संचालित होने लगा। लोगों को उम्मीद थी कि कुछ दिनों बाद कोयलीबेड़ा पुनः कार्यालय वापस आ जाएंगे। पर साल दर साल बीतते गए कोइ कार्यवाही नजर नही आयी कोयलीबेड़ा क्षेत्र को एक बार फिर उसी अंधेरी की कोठरी में धकेल दिया गया जहां से उसे निकालने के लिए यहां विकास खण्ड कार्यालय खोला गया। अब अधिकारियों कर्मचारियों के नही आने से कोयलीबेड़ा सड़क भी नाराज हो गया ,
यहां – वहाँ गढ्ढे उबड़ खाबड़ लहर दार मार्ग बन कर रह गया। तो लोगों ने बीड़ा उठाया कि अब मनमानी नही चलेगी कोयलीबेड़ा कार्यालय वापस आये पूरे अधिकारी कर्मचारी यहां बैठें लोगों की समस्याओं पर कार्यवाही हो, योजनाओं का लाभ मिले। स्कूलो में बच्चों को शिक्षक निर्धारित समयानुसार पढ़ाएं। सभी विभागों को दिशानिर्देश यहीं से जारी हो तो बात बनेगी नही ये ग्रामीण जनता जाग चुकी है अपने हक अधिकार को पहचान चुकी है और उसे लेकर हासिल करके रहेगी। चाहे उसके लिए जितने भी आंदोलन या धरना प्रदर्शन करना पड़े पर मांगे पूरी होनी ही चाहिए। यहां लोगो को अब नही चाहिए कि 15 दिन पखांजुर तो 15 दिन कोयलीबेड़ा ,सबसे पहले कोयलीबेड़ा में पूरा मुख्यालय वापस आये फिर देखा जाएगा की 15 दिन कोयलीबेड़ा तो 15 दिन बांदे लगाया जाएगा।