बस्तर के आदिवासी अंचलों में किस प्रकार हो रही है ग्राम सभा की उपेक्षा देखिए आंखों देखी रिपोर्ट
आदिवासियों के विनाश का विकास के नाम पर समर्थन करने वाले ज्यादातर लोग गैर आदिवासी
बस्तर के आदिवासियों अंचल में ग्राम सभा को अनदेखी करते आ रहे हैं
बस्तर के आदिवासियों अंचल में ग्राम सभा को अनदेखी के बात कोई नया नहीं है, कई वर्षों से बस्तर के आदिवासी अंचलों में ग्राम सभा को अनदेखी की जा रही है। चाहे वो परियोजना के नाम पर, कैंप खोलने के नाम पर ,खदानों को लीज/ कंपनी को देने के नाम पर हो । विगत वर्षों में फर्जी ग्रामसभा के माध्यम से बैलाडीला के 13 नंबर पहाड़ी को लीज पर देना हो सिलगेर में पुलिस कैंप खोलना हो, आलनार में आरती कंपनी रायपुर को लीज पर देना हो, दंतेवाड़ा की केशापुर पडेवार क्षेत्र में जिंदल स्टील प्लांट के द्वारा फर्जी ग्राम सभा कर लीज में देना हो, उसी तरह से बस्तर ब्लाक के ग्राम चपका में मेसर्स गोपाल स्पंज एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी ने फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से लीज में ले कर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल पर्यावास भवन ,सेक्टर -19 नवा रायपुर अटल नगर रायपुर द्वारा पर्यावरण सीकृति हेतु जनसुनवाई दिनांक 12/04 /2021 दिन सोमवार समय पूर्वान्ह 11:00 बजे स्थान प्रस्तावित उद्योग स्थल ग्राम चपका में रखा गया था । इस जनसुनवाई के दौरान उपस्थित जन सामान्य द्वारा प्रमुख रूप से निम्नलिखित मुद्दे उठाए गये–
- श्याम कुमारी ध्रुव, सरपंच ग्राम-सोनारपाल-स्टील प्लांट लगने वाला है,उसमें मैं आम जनता के साथ हूं।अगर लगता है तो हमारे गांव में बेरोजगारी दूर होगी,जितने भी बेरोजगार हैं उन को रोजगार मिले तथा किसान भाइयों जिनकी प्लांट के पास जमीन है,उनकी चिंता है।वायु प्रदूषण की स्थिति में भी बनेगी। भिलाई आदि शहर में देखते हैं तो वहां भी प्रदूषण होता है।हमारी नदी नाले का पानी प्रदूषित ना हो इसका भी ध्यान रखे।प्राकृतिक देवी देवता हैं।उनके लिए बलि देते हैं।इस सब बातों का ध्यान रखते हुए प्लांट स्थापित हो तो हमें कोई परेशानी नहीं है।हमें कोई एतराज नहीं है।
- जितेंद्र कुमार जैन, सोनारपाल-जहां का हूं। मैं प्लांट का समर्थन करता हूं। प्लांट लगने से हमें रोजगार मिलेगा
- नितिन जैन, ग्राम सोनारपाल-जहां तक लगने की बात चल रही है, मैं इसका पूर्णता समर्थन करता हूं।जो लोग कह रहे हैं,पर्यावरण प्रदूषण होगा नदी का पानी दूषित होगा,और जो इस प्लांट का विरोध कर रहे हैं,बस्तर विकास की विरोध कर रहे हैं, स्वयं स्वयं सरकारी नौकरी में हैं। यह प्लांट छत्तीसगढ़ शासन की अनुमति के पश्चात स्थापित होगा। प्लांट में पहले 5000 पेड़ लगाया जाएगा, तभी प्लांट शुरू होगा। प्लांट से किसी प्रकार का कोई पानी बाहर नहीं जाएगा। इस प्लांट में किसी भी प्रकार का दुआ नहीं निकलेगा,आज की नई तकनीक के कारण दुआ कम निकलेगा, जो सफेद रूप में निकलेगा। यदि प्लांट चालू होगा तो आप को रोजगार मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। बात आई थी कि चरू और डांड वाली बात, धान कटाई की बात, चुरू के पेड़ के पास बलि देते हैं उसको प्लांट से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा। पहली बार हमारे क्षेत्र में प्लांट लग रहा है, इससे हमारे लोगो को रोजगार मिलेगा, इससे हमारी आने वाली पीढ़ी को रोजगार मिलेगा। प्लांट से तापमान बढ़ेगा, ऐसी बात आई है, लेकिन नहीं तकनीक के कारण ऐसी स्थिति नहीं आएगी। मैं प्लांट स्थापना का पूर्ण समर्थन करता हूं। प्लांट के लोगों से भी बात हुई है 7 गांव के लोगों को करोड़ों रुपए प्रदान कर सकती है हॉस्पिटल बनेगा,तथा 7 गांव के विकास के लिए कार्य करेगी।बस्तर के विकास में बाधा ना पहुंचाएं तथा बस्तर के विकास में सहयोग दें, तथा शासन के नियम अनुसार इस प्लांट में अनुमति प्रदान करें। यह प्लांट नेशनल हाईवे में लग रहा है।कोई भी अधिकारी जनप्रतिनिधि इस रास्ते से जाएंगे। अगर प्रदूषण हुआ तो तुरंत कार्रवाई होगी।
- कमलेश कुमार नायक, ग्राम सोनारपाल-यहां पर बेरोजगारी कितना बढ़ रहा है। यहां प्लांट लगने से 400-500 लोगों को रोजगार मिलेगा,रोजगार मिलेगा तो गरीबी दूर होगी मैं प्लांट लगने का समर्थन करता हूं।
- सुरेंद्र कुमार राठौर, ग्राम सोनारपाल-मैं प्लांट लगने का समर्थन करता हूं।
- नूपुर अलदार, ग्राम- सोनारपल-महिलाओं को इस कार्यक्रम में बुलाने के लिए धन्यवाद देती हूं। हमारे गांव में स्व सहायता समूह में 40 महिलाएं हैं तथा इस प्लांट लगने का समर्थन करते हैं,जैसा नितिन भैया ने प्लांट के बारे में पूरा विवरण बताया क्या होगा,नहीं हम इस प्लांट का समर्थन करते हैं।
- कौशल,नागवंशी अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज, बस्तर का क्षेत्र आदिवासियों का है।मुख्यमंत्री जी के द्वारा बस्तर में विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। बस्तर के विकास के लिए जो उद्योग लग रहा है। उसका समर्थन करता हूं
- शेख असीम ग्राम- बालेगा-मैं प्लांट लगने का पूर्ण समर्थन करता हूं।
- शेख इस्माइल- बालेगा-मैं प्लांट लगने का समर्थन करता हूं
- जयंती सोनी ग्राम सोनरपाल- मैं इस प्लांट लगने का समर्थन करता हूं।
11.महादेव मौर्य, उपसरपंच, तारागांव-मैं प्लांट लगने का समर्थन करता हूं।
- समारू बघेल सरपंच, ग्राम तारागांव-लोगों को रोजगार मिले धुआ,पानी के प्रदूषण समस्या ना हो। प्लांट लगने के समर्थन में हूं।
- सुखदेव कोर्राम ग्राम तारागांव-इस प्लांट की बनने का समर्थन देता हूं।
- लिकेश्वर जोशी उप सरपंच,ग्राम चक्का-मै सबसे पहले गोपाल स्पंज आयरन के बताता हूं। यह कंपनी रायपुर की है 46एकड़ में यह उद्योग लग रहा है क्षेत्र जल, वायु प्रदुषित क्षेत्र में नहीं आता हैं। इस उद्योग के पास कोई स्कूल है,ना अस्पताल है। इस उद्योग में जो कच्चा माल आएगा वो बंद गाड़ी में आएगा। उद्योग से जल वायु प्रदूषण की तोड़ी स्थिति बन सकती है।जिसे उद्योग प्रबंधन से बात कर प्रदूषण की स्थिति ना हो ऐसी व्यवस्था की जा सकती है प्लांट लगे या ना लगे इस बात पर यह चर्चा किया जाना चाहिए। इस प्लांट के लगने से लोगों को रोजगार मिलेगा। प्लांट के लगने से सभी प्रकार की सुविधा मिलेगी, खनिज की रॉयल्टी मिलेगा प्लांट के पूर्व एवं पश्चिम दिशा में मेरा खेत पड़ता है। उत्तर दिशा में मेरी बहन का भी खेत है। सबसे ज्यादा जो प्रभावित होगा वो मैं ही होहुंगा।
हमारा ग्राम पंचायत चपका का क्षेत्र का विकास होगा, अग्नि का समर्थन करता हूं। - समलू राम ग्राम-चपका-प्रभावित क्षेत्र स्टील प्लांट औद्योगिक क्षेत्र में नहीं आता है। हम इस प्लांट की लगने का सदभावना पूर्वक विरोध करते हैं। यह क्षेत्र पूर्णता उपजाऊ जमीन है, सिंक्षित चित्र है। हमारे देवी देवताओं का स्थल है। यह प्रभावित क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है प्लांट के चारों ऊंची दीवार बनाई जाएगी लिखित में आवेदन भी दिया गया।हम लोगों का चिंता यह है कि बाढ़ के पानी से हमारे गांव घर प्रभावित होंगे।इस प्लांट के लगने की 2 ग्राम सभा की अनुमति भी आवश्यक है,क्योंकि यह पांचवी अनुसूची क्षेत्र हैं।ग्राम सभा का जल ,जंगल ,जमीन का पूरा हक है।
- खितिमती दास,(श्री रामपुर) ग्राम चपका-आप लोग क्षेत्र का विकास चाहते हैं या विनाश चाहते हैं। यह स्टील प्लांट बन रहा है।उसको नहीं बनने देंगे। इसलिए प्लांट के बदले आप कपड़ा कारखाना कुल सकते हैं। ऑस्पिटल स्कूल खोलिय l स्टील प्लांट से वायु प्रदूषण होगा पानी प्रदूषित होगा ।सभी प्रकार का प्रदूषण होगा ।स्टील प्लांट के समर्थन में नहीं है इसका विरोध करते हैं।
- चंदरूराम नेताम ग्राम चपका-प्लांट लगने का विरोध करते हैं।
- भंगाराम ग्राम चपका-प्लांट लगने का विरोध करते हैं
- बबलू बघेल ग्राम-प्लांट लगने का विरोध करते हैं प्लांट बनने वाली से प्लांट नहीं लगाने हेतु निवेदन करता हूं। जो गांव वाले आए हैं हो प्लांट वाले के साथ हैं या हमारे साथ हैं? हम 11 पंचायत के लोग यहां आए हुए हैं पहले लौंहडीगुड़ा में प्लांट लगाने नहीं दिया गया ।जिसे बस्तर से हटाए हैं ।इस प्लांट को भी अथवा देंगे हम सीधे सीधे लोग हैं ,बाहर से आए लोग हमारा शोषण कर रहे हैं ।जितने भी गांव के लोग हैं, सब की लड़ाई हैं इस प्लांट को लगने नहीं देंगे फैक्ट्री मालिक से निवेदन करते हैं कि यह प्लांट ना लगाएं। फैक्ट्री बनाने तो यहां बाढ़ आएगी ।कोई बचाने वाला नहीं आएगा। बाढ़ का पानी हमें भी बहाकर ले जाएगा। नगरनार में प्लांट लगा हमारी लोगों को नौकरी नहीं मिली प्लांट वाले हमें झूठ बोलकर प्लांट लगाने के बाद नौकरी लगाने का झांसा देते हैं। यह पर्यावरण प्रदूषित होगा नदी का पानी प्रदूषित होगा ।फैक्ट्री को भगाना है अपने गांव को बचाना है ।हम सभी समर्थन में है कि यह प्लांट नहीं बनने देंगे। जब प्लांट खुलेगा तो हमारा खेती किसानी प्रभावित होगा। हम प्लांट के विरोध में हैं।
- कैलाश मौर्य ग्राम सोनारपाल-फैक्ट्री का पूर्ण विरोध करते हैं। हमारा चपका इतिहासिक स्थल है, हम बस्तर में खेती किसानी करते हैं।हमारी नदी का पानी प्रभावित होगा, हमारीक्षेत्र के लोगों का खेती किसानी प्रभावित होगा, प्रभावित होने के बाद शासन प्रशासन बाढ़ में कोई सहयोग नहीं देंगे।हम आदिवासी लोग हैं। नदी में हम मछली मार कर रोजगार प्राप्त करते हैं। पेक्ट्री के धुएं से फेफड़े पर प्रभाव होगा ।हमारा क्षेत्र शिक्षित है ।जल जंगल जमीन हमारा है ।धुआ से हमाराक्षेत्र में प्रदूषण होगा। जिससे फसल एवं मानव जीवन में प्रभाव होगा। धुआं के जहर से गाय बकरी भी मर जाते हैं। फैक्ट्री का मालिक बड़ा तालाब बनाउंगा बोल रहा है। कितना बड़ा तालाब बनाएगा।यहां का पानी प्रदूषित होकर इंद्रावती में जाकर मिलेगा। फैक्ट्री लगाने से रायपुर जैसी प्रदूषण, धूल की स्थिति होगी। हम इसका सख्त विरोध करते हैं।
- रेणु राम बघेल ग्राम सोनारपाल-प्लांट्स हमारीक्षेत्र में जल वायु प्रदूषण होगा। यहां पर हमारी देवी देवता हैं। इस चित्र में हम प्लांट लगने नहीं देंगे। 12 गांव के लोग सब मिलकर प्लांट लगने नहीं देंगे।
- हेमंत कुमार राम सोनरपाल-प्लांट लगने का विरोध करते हैं।
- जगनू राम ग्राम- चपका-यहां पर प्लांट नहीं खुलना चाहिए ।प्लांट लगने से हमारा जीवन आराम हो जाएगा ।यह ग्राम पहले है। मुझ पर पैसा पाने का आरोप लगाया जा रहा है।
24 यदु राम कश्यप, ग्राम- चपका-मैं समर्थन साइड में अनजाने में दस्खतकर दिया हूं, मुझ पर पैसा खाने का आरोप लगाया जा रहा है।जो कि सत्य नहीं है।
- पीली बाई कश्यप ग्राम- चपका-विदेश से आए हैं यहां फैक्ट्री खोलने। मेरा 10 डिसमिल जमीन है। यहां पिक्चर खुलने नहीं देंगे। यह नदी है आसपास में देवी देवता हैं। यहां फैक्ट्री कुल्ले नहीं देंगे। यहां सरपंच लोग बोल रहे हैं कि बैठक कर आए हैं। जो सही नहीं है।
- कृष्णा भाई ग्राम- चपका-प्लांट के पास मेरा 2 हेकड़ जमीन है मैं तारा गांव की हूं यहां प्लांट लगने नहीं देंगे हम से एक बार भी प्लांट लगने हेतु पूछा नहीं गया है।
- गौरीशंकर ग्राम चक्का-हमारे गांव का सरपंच कुछ भी करने से पहले 5 बार पूछता है, प्लांट खुलने के लिए हमें एक बार भी नहीं बताया है। शासन द्वारा आदेश आता है उसे गुप्त रूप से लागू करते हैं हमें पता नहीं चलता हैं।
28.जयनाम बघेल, ग्राम- देवड़ा-हमारे 12 पंचायत के लोग विक्ट्री लगने नहीं देंगे। कोसारटेंडा बांध हमारे खेतों का सिंचित करने के लिए बनाया गया है। अगर फैक्ट्री लगता है तो कोसारटेंडा बांध को हटाओ, हम खेती करना चाहते हैं, हम बचपन से ही खेती करते आ रहे हैं। हम अपने जमीन को बेचना नहीं चाहते हैं। अधिकारी भी फर्जी दस्तखत कर प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते। हम फैक्ट्री लगाने नहीं देंगे। यह फैक्ट्री 100 एकड़ में बन रहा है। प्लांट से प्रदूषण पूरेक्षेत्र में फेलेगा हम सब लोग इस फैक्ट्री का विरोध करते हैं।
29.समले,ग्राम -हमारे गांव में इतने साल हो गए कभी फैक्ट्री नहीं बना। हमसे पूछा भी नहीं गया। फैक्ट्री का विरोध करते हैं।
30.रमेश कुमार कश्यप,ग्राम- खोरखोसा-फैक्ट्री बनने का विरोध करता हूं।
31 तरुणा बेड़रकर जगदलपुर- मैं स्पंज आयरन प्लांट के विरोध में हूं। जिसे फैक्ट्री खोलने की अनुमति दिया जा रही है। उसका एक प्लांट रायकोट में भी है।प्लांट के लोगों से पूछना चाहती हूं कि वहां कितने लोगों को रोजगार दिया गया है।टेक्निकल पोस्ट में बस्तर के लोगों को नहीं रखा गया है। पॉल्यूशन के कंट्रोल हेतु क्या व्यवस्था किया गया बताएं। वहां पानी भी नहीं डाला जाता है,हमारी भाई जो रायकोट में काम करते हैं ।उनको क्या वेतन मिलता है?हमारी आदिवासी भाई जो काम करते हैं उन्हें उद्योग के द्वारा सुरक्षा प्रदान किया जाना चाहिए, रायकोट में ऐसी स्थिति नहीं है।उसके बाद भी यह प्लांट लगाने के लिए लोक सुनवाई किया जा रहा है ।मैं प्लांट लगाने का पुरजोर विरोध करती हूं।
- भागीरथी मौर्य,ग्राम- चपका में प्लांट लगाने का विरोध करता हूं।
33.संत मौर्य,ग्राम-सोनारपाल हमारे 12 पंचायत के जितने भी सरपंच आए हैं ।हम प्लांट का विरोध करते हैं।
- मंगल राम मौर्य,ग्राम- शीतलावंड-मां शीतलावंड हूं यहां फैक्ट्री खोलने का विरोध करता हूं।
- संतोषी ग्राम- सोनारपाल-हमको यहां प्लांट नहीं चाहिए बंद करो,बंद करो।
36.समीर खान,आम आदमी पार्टी,जगदलपुर-हमारे रोड में प्लांट लगाया जा रहा है, हमें यह प्लांट नहीं चाहिए इसलिए हम विरोध में आए हैं शासनको चाहिए कि जनता को विश्वास में कार्य करें। जनता को क्या तकलीफ़ हैं वह जानिए। बस्तर में एक प्लांट लगाया गया है, वहां कैसे स्थिति है देखिए। जनता के साथ जनप्रतिनधि बैठे है। चाहेगी तो प्लांट लगेगा अन्यतम नहीं लगेगा।
स्थानीय आदिवासी पांचवी अनुसूची एवं पेशा कानून के प्रावधानों को बात कर रहें हैं
संघर्ष समिति ने पांचवी अनुसूची योग पेशा कानून के प्रावधानों को बता रहे हैं जिसमें भारत का संविधान के अंतर्गत बस्तर संभाग पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244 (1) भाग क और भाग ख के अनुसूचित क्षेत्रों को लागू विधि अंतर्गत संचालित है। (पेसा) पंचायत- उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 अधिनियमित है, पंचायत राज अधिनियम अध्याय 14 क अनुसूचित क्षेत्र में पंचायतो के लिए विशिष्ट उपबंध की धारा 129 ग ग्राम सभा की शक्ति और कृत्य का अतिक्रमण किया है। पेसा अधिनियम में प्रावधान है कि अनुसूचित क्षेत्र में प्रस्तावित उद्योग स्थापित के लिए भूमि का क्रय करने / भूमि का अधिग्रहण करने से पहले या ऐसी उद्योग / स्टील प्लांट परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों की पुन र्भहाली/ पुनर्वास से पहले उचित स्तर पर ग्रामसभा परामर्श किया जाएगा । संबंधित उद्योग प्रस्तावक प्रस्ताव के साथ सभी प्रासंगीक लिखित जानकारीयो को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत करना रहता है। जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे :-
१. प्रस्ताव उद्योग स्थापना के संभावित प्रभाव सहित प्रस्तावित उद्योग की संपूर्ण रूपरेखा।
२.प्रस्ताव भूमि क्रय/ अधिग्रहण-
३. गांव के नये लोगों के बसने की संभावना और क्षेत्र और समाज पर इनका संभावित प्रभाव
४. गांव के लोगों के लिए प्रस्तावित भागीदारी मुआवजा की राशि और रोजगार के अवसर
सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ग्रामसभा प्रस्तावित भूमि और प्रभावित या विस्थापित लोगों के पुनर्वास और पुनस्थापन योजना के बारे में एक सिफारिश करेगी ।संबंधित अधिकारी /संबंधित समिति के ग्राम सभा की सिफारिशो के साथ सहमत न होने की स्थिति में वह मामले को विचार और निर्णय के लिए फिर से ग्राम सभा के पास भेजा जाता है । उद्योग परियोजना के मामले में किसी भी गतिविधि के शुरू करने से पहले उनकी ग्राम सभाओ से परामर्श किया जाएगा , जिसने ऐसी परियोजना से प्रभावित होने संभावना हो । स्टील प्लांट के लिए ग्राम सभा चपका से अनुमति / स्वीकृति नहीं लिया गया है। प्रभावित होने वाले किसी अन्य किसी गांव से ग्राम सभा की अनुमति /स्वीकृति नही लिया गया हैं । यदि प्रस्तावित प्लांट के लिए उनके द्वारा ग्राम पंचायत चपका से ग्राम सभा का प्रस्ताव दिया गया हो तो निश्चित रूप से फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव अनावेदकगण के द्वारा बनाया गया है जिसके क्योंकि सरपंच , उप सरपंच , पंचों के मिलकर एवं कुछ लोगों का बहला फुसलाकर गुपचुप तरीके से बैठक आयोजित कर ग्राम सभा नहीं होता है। प्रभावित गांव के सरपंच , उपसरपंच , पंचों से सहमति प्रस्ताव / ग्राम सभा से अनुमति / स्वीकृति नही लिया गया है।
विरोध करने का मुख्य कारण:-
👉प्रस्तावित संयंत्र क्षेत्र के अंदर आदिवासियों के घोरसाड़, झूलनाबोड़ डांड व चरु देव स्थल है:- प्रस्तावित संयंत्र के अंदर आदिवासियों के आस्था का केंद्र घोरसाड़, झूलनाबोड़ में कई वर्षों से से चपका वासियों द्वारा सेवा अर्जित करते आ रहे हैं। और वार्षिक रूप से यहां के मेला मड़ई के समय सेवा करते हैं साथ डांड पाट, राव को हमेशा सेवा करते आ रहे हैं। 10 किलोमीटर त्रिज्या के क्षेत्र के अंतर्गत ऐतिहासिक देवस्थान चील दरहा के साथ धार्मिक महत्व के स्थान शिव मंदिर चपका , तीरथा कुंड , शिव मंदिर मधोता कुंड आदि है ।जिससे सैलानियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
👉प्रस्तावित संयंत्र क्षेत्र के अंदर संगम (सागम) में प्रवासी पक्षियों का विश्राम/ आवागमन मार्ग हैं:-
प्रस्तावित प्लांट क्षेत्र में काकडी घाट /मारकंडी नदी लगभग 200 मीटर दूरी पर है और बोरिया नदी आकर काकडी घाट मारकंडे नदी में मिलती है उस स्थान को संगम (सागम) कहते हैं संगम(सागम) क्षेत्र एवं प्रभावित स्टील प्लांट क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का मार्ग है, प्रवासी पक्षियों का संरक्षण योजना तो नहीं बनाया गया है। लेकिन कई वर्षों से यह संगम क्षेत्र / प्रभावित स्टील प्लांट क्षेत्र में दर्जनों पक्षियों आवागमन होती है और विश्राम करते हैं। जिसमें आमूर नदी के आसपास की पक्षी आमुर ‘फेल्कन’ चीनी पक्षी यूरोप और मध्य एशिया से आने वाली कॉमन टील, रेट फेस्टेज, इंडियन कूट, हेरियर्स आदि पक्षी आवागमन करते हुए विश्राम करते हैं। पक्षियों के साथ-साथ प्रभावित स्टील प्लांट क्षेत्र मधुमक्खियों विश्राम क्षेत्र आवागमन मार्ग है।
👉प्रस्तावित संयंत्र बाढ़ ग्रस्त प्रभावित क्षेत्र है :- प्रस्तावित संयंत्र बाढ़ ग्रस्त प्रभावित क्षेत्र में आता है , प्रस्तावित स्टील प्लांट के संचालन की पूर्व प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र में मिट्टी पटाव कर उच्च किया जाएगा ।क्योंकि कोई भी स्टील प्लांट संबंधित मशीनों खेत की भूमि या कीचड़ भूमि पर नहीं लगाया जा सकता है और इसके चारों और प्रस्तावित भूमि को उच्ची चारदीवारी बनाई जाएगी ।प्रस्तावित प्लांट क्षेत्र में भूमि के स्तर से ऊपर जल भराव बहाव जल स्तर ऊंचा रहता है ।प्रस्तावित स्टील प्लांट क्षेत्र में वर्षा जल स्तर 20 वर्ष में कितना रहा है इसकी कोई जानकारी उपलब्ध अधिकारियों द्वारा नहीं किया गया है। अदुरर्शिता प्रभावित स्टील प्लांट के लिए किया गया उच्ची पटाव / उच्ची पक्की चारदीवारी से वर्षा का बाढ़ पानी टकरा पानी से बहाव की दिशा बदल जाएगी और यह पानी भयंकर रूप से ग्राम पंचायत चपका, सोनारपाल, खोरखोशा , टिकनपाल ,उसरी आदि गांव की ओर बहेगा जिससे गंभीर दुष्प्रभाव पर्यावरण के आवास जनधन पर गंभीर दुष्प्रभाव होगा। मानव बसावट को पलायन की स्थिति होगी ।इस प्रकार नदी बेसिन क्षरण होगा और मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होगी जिससे नदी किनारे स्थित विभिन्न स्थानों की वनस्पतियों पर प्रभाव पड़ेगा ।गंभीर अदूरदर्शिता के कारण बाढ़ प्रभाव से आवास जनधन की गंभीर हानि संकट का आकलन नहीं कर पा रहे हैं ।जिसके कारण प्रभावित गांव के प्रभावित स्टील प्लांट से प्रभावित गांव के लोगों के लिए पुनविस्थापन /पुनर्स्थापना के संबंधित कोई योजना स्टील प्लांट के द्वारा नहीं बनाया गया है ।
👉सयंत्र से उत्सर्जित गैसो से वातावरण प्रभावित करेंगी
आयरन ओर पेलेटाइजेशन इकाई से ट्रैवलिंग ग्रेट कीलन से उत्सर्जित गैसो को ई.एस.पी. द्वारा उपचारित कर चिमनी द्वारा आयु मंडल में छोड़ा जाता है ।जिसके चलते हमारी खेती और वातावरण को नुकसान उठाना पड़ेगा। घरेलू दूषित जल का उपचार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में किया जाएगा। परियोजना स्थल से दूषित जल का भराव भयंकर रूप से होगा । प्रभावित परियोजना के कारण पर्यावरण पर गंभीर से गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भू- पर्यावरण पर प्रभाव गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकता है, आसपास से हजारों एकड़ भूमि पर मुख्य रुप से धान की खेती फसल एवं विभिन्न मौसमी फसलों का उत्पादन किया जाता है ।प्रस्तावित परियोजना के कारण भू- पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव भविष्य में पड़ सकता है ।किसानों को पलायन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है ।प्रस्तावित संयंत्र के निर्माण और संचालन से स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए कोई योजना नहीं बनाया गया है , प्रस्तावित सयंत्र लगने के भविष्य में लोगों को पर्यावरण दृष्टि से पलायन विस्थापन का सामना करना पड़ सकता है। क्षेत्र का विनाश ही विनाश होगाप्रस्तावित स्टील प्लांट के लिए 1600 किलोलीटर/ दिन जल की आवश्यकता होगी ,आवश्यकता जल पास की नदी से लिया जाएगा ।इकाइयों द्वारा उत्सर्जित जहरिली व दूषित जल उत्सर्जित से नदी का पानी दूषित हो जाएगा। इकाईयों द्वारा उत्सर्जित तापमान से जीव- जंतु मानव बसावट कृषि उत्पादन पर व्यापक दुष्प्रभाव होगा। चिमनियों से दूषित गैसों, दूषित जल,वायु मंडल में छोड़ा जाना, जीव जंतुओ , मानव बसावट कृषि उत्पादन पर व्यापक दुष्प्रभाव होगा ।ध्वनि प्रदूषण से जीव जंतु मानव बसावट कृषि उत्पादन पर व्यापक दुष्प्रभाव होगा। प्रस्तावित प्लांट से बाढ़ ,दूषित जल ,दूषित वायु ,ध्वनि प्रदूषण, अत्यंधिक तापमान, भूमि अन उपजाऊ होने से मानव बसावट को आर्थिक संकट, शारीरिक संकट- बीमारियों के कारण सामाजिक स्तर पर लोगों का पलायन करना पड़ सकता है।
संघर्ष समिति के द्वारा कहा गया कि प्रभावित स्टील प्लांट निर्माण एवं संचालन द्वारा स्थानीय जनता के लिए विभिन्न रोजगार के अवसर, इस क्षेत्र के लोगों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में उन्नति का झूटी दलीलें पेश कर झूठा वादा करते है। पर्यावरणीय क्षति जन- धन की हानि वर्षा ऋतु में विकट संकट संभावनाओं के तहत प्रभावित गांवों के लोगों ने प्रस्तावित स्टील प्लांट का विरोध करते हैं मौखिक ,लिखित कानूनी दलीलें ,पर्यावरणीय संबंधित नियम एवं शर्तें लिखित रूप से कागज के पन्ने में ही शोभा बढ़ा रहा है। धरातल में इस क्षेत्र में वास्तविक तथ्यों से कोई लेना देना नहीं है। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण आसपास क्षेत्र गांव मधोता ,टिकनपान , बालेगा ,शीतलावंड, पिपलावंड, नंदपुरा आदि गांव के चुना पत्थर/ गिट्टी खदानों से पत्थर फोड़ा जाता है तो अनेक घरों के दीवारों में दरारें पड़ रही है घरों में डस्ट धूल का प्रदूषण फैल रहा है लोग बीमार हो रहे हैं । कितना पर्यावरण प्रभावो का आकलन और कितना पर्यावरण प्रभावो का रोकथाम किया जा रहा है। उदाहरण:- ग्राम देवड़ा सोनारपाल में मिनी राइस मील से नजदीकी का देवड़ा तालाब प्रदूषित है ।आसपास के लोग भूसी /डस्ट छाई से परेशान है ।कितना पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन और कितना पर्यावरण प्रभाव का रोकथाम किया जा रहा है। आमजन में आक्रोश असंतोष की भावना है लिखित और मौखिक शिकायत कई बार किया जा चुका है कोई सुनवाई या समाधान नहीं होता है इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया की हालात प्रत्यक्ष उदाहरण है। पर्यावरण हानि एवं जन धन की हानि वर्षा ऋतु में बहुत संकट संभावना के तहत सभी गांव के लोग प्रस्तावित स्टील प्लांट का विरोध करते हैं लोगों के आम जन में आक्रोश असंतोष की भावना है।
पूरन सिंह कश्यप