मुठभेड़ थी या उसकी हत्या कर दी ?

आतंक छोड़ा तो, निहत्थे मार दिया गया !

उसके तीन नाम थे, वो दो मौतें मरा

यूकेश चंद्राकर, भूमकाल समाचार

बीजापुर में बीते 8 महीनों में नक्सलियों ने भयंकर खूनी खेल खेला है । 16 अक्टूबर को पुलिस ने जानकारी दी कि मुठभेड़ के दौरान 1 लाख के इनामी नक्सली को जवानों ने मार गिराया है । अब ये मामला ग्रामीणों के मुताबिक मुठभेड़ का नहीं बल्कि हत्या का है । क्या है पूरी कहानी, पढ़ें रिपोर्ट ।

उसका नाम गुंडा था, गुंडा सेमला । नक्सलियों ने उसे विकेश बनाया और उसने खुद को बुरका बताया । एक आदमी जिसके तीन नाम रहे उसकी दो मौतें हुईं हैं । एक मौत जिसे पुलिस के अधिकारी एनकाउंटर बताते हैं दूसरी मौत जिसे मरने वाले का परिवार हत्या बता रहा है ।

तारीख थी 16 अक्टूबर । सुबह करीब 11:00 बजे के आसपास पुलिस के अधिकारियों ने एक बयान जारी किया जिसमें बीजापुर के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के आउटपल्ली के जंगलों में एक इनामी नक्सली को मार गिराया गया है जिस पर एक लाख का इनाम घोषित था.

आउटपल्ली के जंगलों में जिस इनामी नक्सली को मार गिराने का दावा पुलिस कर रही है उसे कोरसागुड़ा के ग्रामीण अपने गांव का निवासी होना बता रहे हैं । ग्रामीणों का कहना है गुंडा उर्फ विकेश उर्फ बुर्का अपने परिवार के साथ 16 अक्टूबर की सुबह तकरीबन 8:00 बजे बस्तर का नाश्ता याने रात का बाकी बचा हुआ चावल खा रहा था । गुंडा के घर पुलिस के जवान बासागुड़ा थाने से निकलकर पहुंचते हैं । गुंडा उर्फ विकेश की बच्ची जिसकी उम्र तकरीबन 9 साल की है वह हमें बताती हैं कि उसने जवानों को अपने पिता को जबरन ले जाने से रोकने की कोशिश करते हुए जवानों के पैर भी पकड़े लेकिन जवानों ने उसे धक्का देकर दूर धकेल दिया । विकेश का पड़ोसी हमें बताता है कि उसने इस घटना को अपनी आंखों के सामने घटते हुए देखा है ।

ग्रामीण कहते हैं कि विकेश जब नक्सली संगठन से नहीं जुड़ा था तब उसका नाम गुंडा हुआ करता था नक्सली संगठन से जुड़ने के बाद नक्सलियों ने उसका नाम विकेश कर दिया तब गुंडा के 2 नाम हुए । विकेश ने देखा कि नक्सली संगठन से जुड़े होने के बाद से उसके परिवार के सामने कई तरह की परेशानियां आ रही हैं विकेश ने फैसला लिया, उसने नक्सल संगठन छोड़ दिया और उसने अपना नाम बुर्का रख लिया । विकेश ने भारत सरकार के आधार कार्ड पर भी अपना नाम सेमला बुर्का बताया ।

खुद को चश्मदीद बताने वालों के मुताबिक जवान बुर्का के हाथ पैर बांधकर अपने साथ लेकर जंगल चले गए गांव से काफी दूर जाने के बाद जंगलों के बीच जवानों ने निहत्थे गुंडा उर्फ विकेश उर्फ बुर्का पर गोलियां चलाई और उसे मार डाला । कुछ देर बाद बीजापुर के पुलिस कप्तान कमलोचन कश्यप ने मीडिया को बताया की जवानों के साथ मुठभेड़ में एक लाख का इनामी नक्सली मार गिराया गया है। विकेश के बारे में बताते हुए ग्रामीण इस बात को स्वीकारते हैं कि विकेश कुछ सालों तक नक्सली सदस्य रह चुका है लेकिन पिछले ढाई सालों से नक्सलियों के किसी संगठन का कोई हिस्सा नहीं था। इस मामले में झूठ मौत को लेकर है देखने वाली बात तो यह होगी की इस खबर के बाद सच किस तरह से सामने आ सकता है ।

भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में हजारों आदिवासियों की हत्या हुई इनमें कई को मुठभेड़ बताया गया और उन्हें इनामी नक्सली भी घोषित किया गया । कुछ मामलों में मानव अधिकार आयोग और कुछ अन्य संवैधानिक संगठनों ने छत्तीसगढ़ पुलिस और सरकार के रवैए के खिलाफ टिप्पणी भी की है मगर आज तक इन मामलों पर दोषियों को चिन्हित कर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा सकी है । अब कांग्रेस की सरकार है !! कांग्रेस ने वादा किया था कि फर्जी मुठभेड़ रुकेगा, फर्जी मामलों में जेल में बंद आदिवासी छोड़े जाएंगे ! पर यह वादा भी केंद्र सरकार के किए गए कई वादों की तरह जुमला ही निकला । बस्तर के तमाम माओवादी प्रभावित इलाकों में पुलिस और नक्सलियों को किसी की भी हत्या करने की मनमानी छूट तब भी थी, अब भी बनी हुई है । पहले तो विपक्ष के रूप में आदिवासियों के पक्ष में कोई आवाज उठता भी था मगर अब वही आवाज उठाने वाली पार्टी सत्ता में है और जो हजारों आदिवासियों की हत्या की दोषी राजनीतिक पार्टी है वह अब विपक्ष में है तो वह तो वैसे भी किस मुंह से आदिवासियों के पक्ष में आवाज उठा पाएगी ? बस्तर के आदिवासियों के लिए यह भयावह काल है, जब केंद्र और राज्य दोनों की सांठगांठ से अब उन पर हमले हो रहे हैं और जल जंगल जमीन खाली करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है- सम्पादक

यूकेश चंद्राकर

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