घोटालेबाज अफसरों को पूरा छत्तीसगढ़ सौंपते जा रही है छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार,

घोटाले और भ्रष्टाचार के खेल के पीछे केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बिहार और बंगाल चुनाव के लिए फण्ड इकट्ठा करने का दबाव तो नही ?

कमल शुक्ला

रायपुर (भूमकाल समाचार ) छत्तीसगढ़ में 15 साल सत्ता में से बाहर रहने के बाद गठित कांग्रेस की सरकार को 2 साल पूरे होने को है मगर अब वह उन्ही घोटालेबाज अफसरों के सहारे हैं जिन पर पहले खुद विपक्ष में रहते आरोप लगाते रही । बताया जा रहा है कि कांग्रेस के इस मजबूरी के पीछे देश के 2 राज्यों में हाल ही में संपन्न होने जा रहे चुनाव के लिए केंद्रीय नेतृत्व द्वारा फंड जुगाड़ करने का दबाव है ।

ज्ञात हो कि भाजपा सरकार के समय कांग्रेस ही आरोप लगाते रही कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में 36000 करोड़ का नान घोटाला हुआ है । विपक्ष के नेता के रूप में टीएस सिंहदेव एवं कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भूपेश बघेल ने तब कई बार भाजपा सरकार को इस मुद्दे पर विधान सभा और सड़क पर घेरा था । पर अब इसी घोटाला के प्रमुख आरोपी रहे अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला अभी सरकार के प्रमुख अधिकारियों में शामिल हैं वहीं पिछली सरकार के कर्ताधर्ता मुख्य सचिव रहे विवेक ढांढ को भी संविदा नियुक्त देकर सरकार का प्रमुख कर्ताधर्ता बना दिया गया है ।

रायपुर के कुछ पत्रकारों द्वारा तो यह भी लिखा जा रहा है कि लॉकडाउन के पूर्व पड़े आईटी छापे के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच कुछ पुराने घोटाले के प्रकरणों पर सेटिंग हो गया है । यह सच तब लगता है जब सरकार बनने की तुरंत बाद पिछले घोटालों को चिल्ला चिल्ला कर जनता के सामने रखने वाले भूपेश बघेल अब उनका जिक्र भी नहीं कर रहे । रमन सिंह उनके बेटे अभिषेक सिंह उनके दामाद उनके ससुर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का बार-बार दावा करने वाले भूपेश बघेल आजकल ना केवल इन मामलों पर चुप हैं बल्कि उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ित करने वाले तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता के प्रकरण पर भी अब वे चुप्पी साध चुके हैं । रायपुर के कुछ पत्रकारों ने तो यह भी लिखा है कि मुकेश गुप्ता प्रकरण में सरकार अब समझौते के मूड में आ चुकी है और बहुत जल्दी उनका प्रमोशन भी होने वाला है और संभवत अगला डीजीपी भी वह बन सकते हैं । अभी इन मामलों में जिन लोगों ने वर्तमान सरकार पर भरोसा कर उन्हें तथ्य और साक्ष्य उपलब्ध कराए थे उनके बुरे दिन आ गए हैं ।

रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी ने रायपुर के दैनिक आज की जनधारा के अपने नियमित कॉलम में 2 दिन पहले ही लिखा है कि “सरकार ने कल ही जिन 11 आइएएसों को इधर का उधर किया है, उनमें एक चौंकाने वाला नाम एक आइएएस का है. जिस पर पद और पॉवर का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए दो साल पहले ईओडब्ल्यू में गंभीर शिकायत दर्ज हुई है. दो अन्य मामलों में भी एक जांच कमेंटी बैठी थी जिसकी अध्यक्षता कर रहे आइएएस ने इस अधिकारी को पद से हटाने की सिफारिश की थी. यह आइएएस भाजपा सरकार में भी मलाईदार पदों पर रहा और जमकर भ्रष्टाचार किया. वनौषधि बोर्ड में तो आठ करोड़ का माल इधर का उधर करने का आरोप है. तो ऐसे भ्रष्ट अधिकारी की वापसी होना अन्य अफसरों को चौंका रहा है. रमन सरकार के भ्रष्ट अफसरों के साथ ये कैसा न्याय है महाराज. खबर है कि ‘पॉवर’ में आने के लिए बड़ा खेल हुआ है. कीमत आधा खोखा. दीवारें सुनती भी हैं और बोलती भी हैं. लाई, बेक एंड थिंक आफ इंग्लैण्ड जैसे मुहावरे यूं ही तो नही बने हैं ना अग्र’भाई.”

निश्चित रूप से उनका इशारा 2 दिन पहले ही 11 आईएएस के ट्रांसफर लिस्ट में ऊर्जा विभाग के सचिव रूप में प्रभार पाने वाले उमेश कुमार अग्रवाल की ओर है ।

*सबसे ज्यादा चौंकाने वाला खेल तो आबकारी विभाग में हो रहा है जहां भाजपा सरकार के समय से भ्रष्टाचार व अन्य मामलों में शिकायत शुदा निरंजन दास को आबकारी मुख्य सचिव के रूप में बैठाया गया है वही उनके नीचे आबकारी विभाग में घोटाला के लिए भाजपा सरकार के अनुभवी अधिकारी ए पी त्रिपाठी को संयुक्त सचिव बनाया गया है । ज्ञात हो कि जिस समुद्र सिंह को सरकार पिछली सरकार के समय हुए आबकारी विभाग के घोटाले का दोषी बताकर खोज रही है त्रिपाठी जी उसी अधिकारी के जूनियर रहे हैं और सारा किया धरा इन्ही अधिकारी का रहा है । उनके पुराने अनुभव को देखते ही देखते हुए ही मुख्यमंत्री के तत्कालीन नजदीकी अधिकारी रहे गौरव द्विवेदी के कहने पर उन्हें आबकारी विभाग का खेल खेलने के लिए खुला मौका दिया गया । उक्त अधिकारी ना तो आईएएस है ना राज्य प्रशासनिक सेवा से हैं, यह बीएसएनएल के अधिकारी हैं और भाजपा सरकार के समय से डेपुटेशन में राज्य शासन की नौकरी बजा रहे हैं ।*

कमल शुक्ला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!