पारंपरिक हथियारों के साथ पुलिस कैंप का विरोध करने गुमियापाल में जुटे हजारों ग्रामीण!
आलनार माइंस अधिग्रहण का कर रहे विरोध!
किरंदुल :- न लोकसभा न विधानसभा सबसे बड़ी ग्राम सभा अपने गांव में अपना राज ( मावा नाटे मावा राज) इसी उद्देश्य को लेकर आज गुमियापाल पंचायत में तीन जिलों के हजारों ग्रामीणों ने पारम्परिक हथियारों से लैस होकर विरोध प्रदर्शन किया ।
ग्रामीणों ने हथियार लहराते नारे बाजे कर साफ कहा कि जान देंगे पर जमीन नही देंगे ।
दरअसल गुमियापाल पंचायत के आश्रित ग्राम आलनार की पहाड़ में लौह अयस्क की खदान है और उसे एक निजी कम्पनी को खनन के लिए दे दिया गया है ।पर नक्सल गतिविधियों की वजह से निजी कम्पनी अब तक लौह अयस्क का दोहन नही कर सकी है।
हाल ही में गुमियापाल में पुलिस का नया कैम्प स्थापित करने को लेकर ग्रामीण विरोध जता रहे है ।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कैम्प के नाम पर उनकी जमीन का अधिग्रहण करेगी और आलनार की लौह अयस्क खदान निजी कम्पनी के लिए शुरू करवाएगी।
बैलाडिला क्षेत्र के ग्रामीण माइंस और जमीन अधिग्रहण का विरोध करते पुन: लामबंद हो रहे हैं। सोमवार को हजारों ग्रामीण किरंदुल थाना क्षेत्र के ग्राम गुमियापाल में एकत्र होकर अपनी आवाज बुलंद किया है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन वास्तविक ग्रामसभा की बजाए फर्जी तरीके से ग्राम सभा करके लौह अयस्क उत्खनन सहित दीगर कार्यो को अंजाम देती है। अब ऐसा होने नहीं देंगे। इसलिए विरोध जताने सोमवार को गुमियापाल में संयुक्त पंचायत जनसंघर्ष समिति के बैनर तले बड़ी रैली निकाल कर विरोध जताया।
ग्रामीणों के मुताबिक पूर्व में हिरोली की ग्रामसभा आखिर फर्जी साबित हुई और आलनार ग्रामसभा की स्थिति भी वैसी ही है। पूरे बस्तर सभंग में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवीं अनुसूची लागू है, इसके बावजूद ग्रामसभा की अनुमति लिए बगैर गांवों के जमीन का अधिग्रहण कर सरकार लीज पर दे रही है। यह आदिवासियों के अधिकार पर प्रहार है। साथ ही इलाके में प्रस्तावित पुलिस कैंपों का विरोध करते ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है लेकिन प्रशासन इन्हीं पुलिस का भय दिखाकर ग्रामीणों का जमीन अधिग्रहण बड़ी कंपनियों के लिए कर लेती है। इसलिए इस पर भी रोक लगनी चाहिए।
आरती स्पंज आयर कंपनी की लीज निरस्त हो
बैठक में शामिल जनपद सदस्य जोगा, राजू भास्कर, नंदा, बामन, राजकुमार ओयामी आरनपुर सरपंच जोगा आदि आदिवासी नेताओं ने कहा कि आलनार ग्रामसभा को भी हिरोली की तरह शून्य घोषित किया जाए। इसके तुरंत बाद आरती स्पंज आयरन कंपनी को दी गई लीज को निरस्त करने की मांग की है।
कैंप नहीं स्कूल-आश्रम खोले सरकार
आदिवासी नेताओं ने कहा कि इलाके में पुलिस का विरोध नहीं है लेकिन उनकी मौजूदगी से जीवन जीने का डर है। पुलिस कैंप खुलने के बाद आदिवासी नक्सली और फोर्स के बीच पीस जाते हैं। फोर्स उन्हें नक्सली कहकर मारती है तो नक्सली पुलिस का मुखबिर और सहयोगी बताकर हत्या करते हैं। आदिवासी इलाके का विकास चाहते हैं पर खून खराबे से नहीं। इसलिए गांव में स्कूल, आश्रम, हॉस्पिटल, सड़क बनाएं। ज्ञात हो कि एक दिन पहले रविवार को कटेकल्याण थाना क्षेत्र के टेटम गांव भी सैकड़ों ग्रामीण जुटकर कुछ इसी तरह की बात कही थी।
मंगल कुंजाम