निष्पक्ष चुनाव हुए तो भाजपा 40 सीट में सिमट जाएगी : भाजपा नेता का दावा पढ़ें सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से प्रत्याशी रहे भाजपा नेता अजय अग्रवाल का मोदी को लिखा पत्र
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श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
मैं आपको यह खुला पत्र भाजपा के कार्यकर्ताओं और देशवासियों की आंखें खोलने के लिए लिख रहा हूं . आपसे मेरा व्यक्तिगत परिचय लगभग 28 वर्षों से है और 11 अशोका रोड (भाजपा पार्टी ऑफिस) पर मैंने और आपने कम से कम सौ बार साथ भोजन साथ किया होगा . नोट बंदी के समय मैंने आपको लगातार अनेक पत्र लिखे और उसमें बताया कि गरीब जनता को बेहद असुविधा हो रही है . बैंक वाले बड़े काले धन वाले लोगों के साथ मिलकर 30% रिश्वत लेकर थोक में पुराने नोट बदल रहे हैं और नोटबंदी कामयाब नहीं हो रही है .इससे खुलेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है . जीएसटी की लागू करने के समय और उसकी खामियों को लेकर लगातार लिखता रहा, परंतु आपकी या आपके ऑफिस की ओर से आज तक किसी भी पत्र का कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ बल्कि मैं आपकी नाराजगी का शिकार अवश्य हो गया, क्योंकि आप देश के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति है और आपको को किसी के सुझाव या कोई भी सलाह मशवरा की आवश्यकता नहीं है तभी तो आपने नोटबंदी का तुगलकी फरमान सरकार की बिना तैयारी के जारी कर दिया था और गरीब जनता को लाइन में लगवाकर मरने को मजबूर कर दिया.
आपको आशा थी कि कम से कम पांच लाख करोड़ रुपया वापस नहीं आएगा और यही सरकार की आय हो जायेगी परन्तु 99% पैसा वापस आ गया और उसमें बहुत बड़ी मात्रा नकली नोटों की थी जो कि बैंक वालों ने कुछ लोगों से मिलीभगत करके जमा करवा दिए थे जिसकी कोई जांच पड़ताल या शिनाख्त आज तक नहीं हो पाई . इस प्रकार बिना तयारी के आपके तुगलकी फरमान से देश को कई लाख करोड़ का चूना लगा और कुछ बेईमान भ्रष्ट और चोर लोगों ने बैंक के अधिकारियों को भ्रष्ट कर कई लाख करोड़ का नुकसान देश को लगा दिया. मै पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह मुझे जब-जब लगा कि सुधार की आवश्यकता है, तो मैं सीधे आपको आपकी ईमेल पर लिखता रहा क्योंकि मेरा चापलूसी में विश्वास नहीं है और अपने नेता को, भले ही प्रधानमन्त्री ही क्यों न हो, को हकीकत बयान करने में कोई संकोच नहीं करता .
मैं आज जो भी हूं केवल अपने और अपने शुभचिंतकों के बलबूते पर हूं . जब भी कभी केन्द्रीय मंत्रियों से अथवा उत्तर प्रदेश के मंत्रियों से मिला हूं, केवल रायबरेली के विकास कार्यों के लिए मिला, कि वहां पर विकास कार्यों की अनदेखी हो रही है उसको गति दी जाए. परंतु मेरी एड़ियां केन्द्रीय मंत्रियों के पास घूमते घूमते घिस गयी तब जाकर थोडा बहुत काम मैं करा पाया. 2017 के दिसंबर माह में संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव का जिक्र करना परम आवश्यक है क्योंकि उसी चुनाव के कारण माननीय लालकृष्ण आडवाणी जी की राजनीतिक बलि ले ली गई थी. पूरे देश की जनता यह चाहती थी कि माननीय लालकृष्ण आडवाणी जी को देश का राष्ट्रपति बनाया जाये.
भाजपा के अति वरिष्ठ पदाधिकारी ने मुझे बताया था कि आपको विभिन्न स्रोतों से यह फीडबैक मिला था कि आप गुजरात विधान सभा चुनाव हार जायेंगे और कांग्रेस की सरकार वहां पर बनेगी और इसी कारण चुनाव के कुछ महीनो पहले ही आपने अपने गुरु आडवाणी जी की के स्थान पर रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति बना दिया क्योंकि वह कोरी समाज से आते हैं और गुजरात में उन्हीं की जाति से मिलता जुलता कोली समाज का बहुत बड़ी संख्या में वोट है जो कि परम्परागत रूप से कांग्रेस का वोटर था और आपको लगा कि अगर रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति बना दिया जाए तो उस समाज का सारा का सारा वोट आपको मिल जाएगा. परंतु इसके बावजूद भी आप गुजरात विधानसभा चुनाव हार रहे थे, और इसकी झलक चुनाव प्रचार के दौरान आपके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी.
चुनाव के ऐन मौके 9 दिसम्बर को जब पहले चरण की वोटिंग चल रही थी मैंने ऐसा खुलासा किया कि आप दूसरे चरण 14 दिसम्बर को अनेको विधान सभा क्षेत्रों में जहां आपकी पहले हार निश्चित थी, चुनाव जीत गए और आपकी सरकार गुजरात में बन गई. आपको भली भांति पता है कि यह क्या खुलासा था. मगर देशवासिओं को पुन: बताने के लिए वीडीओ रिकॉर्डिंग और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठतम पदाधिकारियों में से एक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसाबले जी की मेरे साथ बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भेज रहा हूँ जिसमे उन्होंने कहा है कि मेरे खुलासे के कारण ही गुजरात में पार्टी की “लटकी हुई हार जीत में बदल गई” और उन्होंने फिर कहा कि यही खुलासा हिट किया और हम“हारते हारते जीत गए”.
इस प्रकरण के बाद आपका मेरा दो बार आमना सामना हुआ. मैंने यह देखा कि आप मुझसे नजर चुरा रहे थे और यही व्यवहार मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी देखा और तब मुझे विश्वास हो गया कि किसी को श्रेय न देना आपकी फितरत में है और इसी को खुदगर्जी या अहसानफरामोशी भी कहते हैं . मुझे फिर ऐसा भी महसूस हुआ कि इतने वर्षों के प्रगाढ़ परिचय के बाद भी आपका यह व्यवहार इसलिए तो नही कि आपको लग रहा हो कि मुझे कोई राजनीतिक लाभ न देना पड़े और चूकि आज पार्टी में कोई भी पद या दायित्व व्यक्ति की योग्यता नहीं वरन जात पात देखकर दिया जाता है और मैं व्यापारी समाज से आता हूं और आपकी सोच के अनुसार हम व्यापारी समाज आपका कोर वोटर ही नहीं , आपके गुलाम हैं और हमारा कोई राजनितिक महत्व ही नही है . आप मेरे जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को भी गुलाम की ही तरह इस्तेमाल करते हैं और कार्यकर्ता अपना घर द्वार छोड़कर 24 घंटे आप के जुमलों के झांसे में आकर काम करता रहता है और उसको वह सम्मान भी नहीं मिलता जिसका कि वह हकदार है. अरे सोचिए कि अगर कांग्रेस सरकार आपके गृह राज्य में ही आरूढ़ हो गई होती जबकि आप देश के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हैं तो आप देश को क्या मुंह दिखाते . इसके अलावा आपके या भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऊपर जो अपराधिक मुकदमे बंद भी हो गए थे उनकी फाइल भी कांग्रेस सरकार पुनः खोल देती और पुनः एक अभियुक्त की श्रेणी में खड़ा होना पड़ता और अपने को बचाने के लिए न्यायालयों का चक्कर लगा रहे होते.
इस पत्र को लिखने का मन्तव्य यह था कि अभी कुछ दिन पूर्व रायबरेली के भाजपा के टिकट की घोषणा हुई है जिसमें आपने एक अपराधिक छवि रखने वाले व्यक्ति को पार्टी का टिकट दे दिया, जबकि पिछले तीन चुनावों में मैंने भाजपा के रायबरेली चुनाव में इतिहास में सबसे ज्यादा 1,73,721 (एक लाख तिहत्तर हजार सात सौ इक्कीस) वोट प्राप्त कर भाजपा की गांधी परिवार के गढ़ में प्रतिष्ठा बढ़ाई. गुजरात में आपकी सरकार बनने के बाद मेरी भाजपा के तीन वरिष्ठ पदाधिकारियों जो मेरे मित्र भी हैं, से अलग अलग मुलाकात हुई और इन तीनों ने ही मुझे जमकर कोसा और कहा कि आपने गुजरात में इनकी सरकार बनवाने की गलती क्यों की, पूरी की पूरी पार्टी (भाजपा) इंतजार कर रही थी कि यह लोग (मोदी+शाह) गुजरात चुनाव हारें, जिससे कि इनका अहंकार टूट जाये. इन्होने आगे मुझसे यह भी कहा था कि आपने इनके लिए इतना बड़ा काम कर दिया परन्तु यह आपको भी नहीं पूछेंगे.रायबरेली में मेरी सर्व स्वीकार्यता और अधिकतर जनता द्वारा चाहने के बावजूद मेरा टिकट काटकर मेरा जो अपमान हुआ है उसी के चलते तथ्यों को आपके तथा देशवासिओं के समक्ष रखना मेरा कर्त्तव्य था और आप जो 400 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि यदि निष्पक्ष चुनाव होंगे तो आप देशभर में 40 सीटों पर भी सिमट सकते है और इसके लिए अपने को तैयार रखें ताकि कोई मानसिक आघात न हो.
अजय अग्रवाल
एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, रायबरेली लोकसभा भाजपा प्रत्याशी – 2014