बस्तर का पुटू : पांच सितारा होटल के डिश से महंगी
राजदीप शर्मा
छोटे कापसी (भूमकाल समाचार) – छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदन्र्य से परिपूर्ण बस्तर संभाग न केवल आदिवासी संस्कृति के लिए विख्यात है बल्कि यह अपनी अन्य खूबियों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। बात चाहे बस्तर दशहरा की हो, नियाग्रा जलप्रपात की या परलकोट मिनी बंगाल के दुर्गा पूजा और परलकोट की सब्जियों की। सब में इसकी पहचान अतुल्य है।
ऐसे ही एक और खूबी को हम बता रहे हैं, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। यहां पाई जाने वाली एक सब्जी ऐसी भी है जो पूरे विश्व में केवल बस्तर संभाग में ही पाई जाती है और वो भी बरसात के मौसम में सिर्फ मिलती है। इसकी कीमत देश के पांच सितारा होटलों के डिस से भी महंगी है। जी हां यह सब्जी बाजार में 2 हजार रुपए प्रतिकिलो से ऊंचे दामों पर बिकती है। इसका विजिटेरियन का स्वाद नॉनवेज से शानदार हैं। एक बार खाने के बाद अंगुलियां चाटते रह जाएंगे। जी हां, बस्तर में पाई जाने वाली बोड़ा और फुटू (मशरूम) सब्जी मेट्रो सिटी के शापिंग माल में नहीं बल्कि बस्तर के बाजार में बिकती है। जानिए क्या है इसका राज।
साल में एक ही बार मिलता है फुटू (मशरूम)
चमत्कारिक बात यह है कि यह सब्जी (डिश) साल में एक ही सीजन पर शौकीनों को मिल पाता है। कड़ी धूप के बाद मानसून की पहली बौछार पड़ते ही दीमक के टीलों के अंदर से जंगल में नजर आने वाली इस सब्जी का स्वाद चखना आम व खास लोगों के लिए क्रेज की बात है।
रास्ते में ही बिक जाता है सारा माल
फुटू के शौकीन इसका बाजार तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करते ये इन आदिवासी महिलाओं व् पुरुषों से रास्ते में ही सौदा कर ले लेते हैं। छोटे कापसी बाजार पहुँचने के पहले ही शौकीन लोग उनके गाँव के रास्ते में ही उन पर झापड़ पड़ते है। फुटू ले कर बाजार में पहुँचने ग्रामीण ने बतलाया कि लाते ही सारा माल रास्ते मे ही बिक्री हो जाता है अगर बच भी जाता है तो बाजार में आते ही तुरंत बिक्री हो जाता है।
शुरू में रहती है कीमत अधिक
फुटू की आवक शुरू हुई तब इसका दाम अधिक होता है। लोग इसे जूरी बना कर लाते है शुरू में एक जुड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में 50 रुपए से अधिक में मिलता है और फिर यही फुटू कोचियों के माध्यम से बड़े शहरों में 1 हजार से दो हजार रुपये तक बेचा जाता है।
ग्रामीणों क्षेत्रों पंचगी,खैरकट्टा,संगम,मेड्रा एवं लगभग सभी वनचंल ग्रामों से घने जंगल हैं। इसके संग्रहण के लिए आदिवासी महिलाएं,बच्चे,पुरुष सुबह ही निकल जाती हैं। जंगली जानवरों व जहरीले सांपों से भरपूर इन जंगलों में जोखिम उठाकर भी ये महिलाएं इस फुटू को बटोरने जुटी जाती हैं।
लेने के लिए टूट पड़ते हैं लोग
मानसून की पहली बौछार पड़ते ही बस्तर के लोगों की जुबान पर एक ही लफ्ज सुनाई देता है बोड़ा और फुटू निकला क्या? पहली मर्तबा बाजार में आने वाले बोड़ा और फुटू को देखने-चखने के लिए शौकीन लोग टूट पड़ रहे हैं।
दीमक के टीले के अंदर से ऐसेे निकलता है फुटू
बस्तर में दीमक के टीले के अंदर से निकलता है फुटू यह सफेद रंग का होता है। बस्तर में मानसून के आगमन से पहले होने वाली बारिश होने के बाद कुछ दिन जो मौसम खुला होता है अचानक अधिक गर्मी पड़ती है फिर दीमक टीले अंदर से निकाला जाता है। कहा जाता है कि जितना बादल गरजता है उतना ही निकलता है। हल्की बारिश में इसकी आवक बस्तर के साथ पूरे छत्तीसगढ़ देश विदेश में इस मशरूम नाम से बाजारों में जाना जाता है।
बस्तर अंचल की सबसे महंगी तीन सब्जी
बस्तर क्षेत्र वनचंल से घिरा हुआ वनोपज से भरा परिपूर्ण इलाका है यह लोगों के रोजगार का सबसे बड़ा जरिए है। वनोपज से बस्तर क्षेत्र के लोग जीवनज्ञापन हर जरूरत को पूरा करने में सफल साबित होते है। परलकोट क्षेत्र में ऐसे तो हर सब्जी 12 महीनों मिलती है पर बस्तर क्षेत्र की ये तीन सब्जी ऐसी है जो सिर्फ बरसात के समय ही निकलती है। हा हम बात कर रहे है। बस्तर की सबसे मंहगी सब्जी बोड़ा,फुटू और खेखसी कि जिसमे आप खेखसी का तो उत्पादन कर सकते हो पर बोड़ा और फुटू का नही ये बस्तर सौंदर्य प्रकृतियाँ की देन है। यह साल में सिर्फ एक बार ही आपको मिलेगी। मशरूम को आज कल कुछ पद्ति से उगाने का प्रयास किया जा रहा है।
फुटू (मशरूम) को उपयोग करने के पहले नियम
जहां दीमक के टीले होते फुटू मिलने का एक मात्र स्थान वही है। मिटटी के नीचे होने के कारण इसमें काफी मिट्टी लगी होती है। इसे उपयोग में लाने से पहले इसकी काफी सफाई की जाती है ताकि मिट्टी की वजह से सब्जी का जायका ना बिगड़े। चार से पांच बार पानी से धोकर ही इसे उपयोग में लाया जाता है। और गर्म पानी से अच्छे से धो ले।
राजदीप शर्मा