विवादित भूमि पर खुलेआम चल रहा निर्माण कार्य, एसडीएम का झूठ, आरोपी की बौखलाहट और हमारी न्याय व्यवस्था
मानहानि का नोटिस देकर भूमकाल समाचार को डराने की कोशिश
यूकेश चंद्राकर
बीजापुर (भूमकाल समाचार) – 9 जुलाई 2020 को हमने एक पीड़ित आदिवासी की ज़मीन कब्जाए जाने की खबर आप सब तक पहुंचाई थी । बीजापुर एस डी एम हेमेंद्र भुआर्य से फोन पर लिए बयान को आप सबने सुना । इस बयान में वे साफ कह रहे हैं कि मरहूम मिच्चा रमैया की विवादित ज़मीन पर चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के लिए उन्होंने तहसीलदार बीजापुर को लिखित कार्रवाही के लिए लिखित आदेश जारी कर दिया है ।
खबर पढ़कर और बयान सुनकर पीड़ित परिवार आश्वस्त था लेकिन इस विवादित भूमि पर समाचार प्रकाशित होने के बाद भी आज पर्यंत निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी हैं । इस संबंध में हमने बीजापुर एस डी एम हेमेंद्र भुआर्य से बीते शुक्रवार 17 जुलाई को बयान देने के लिए कहा था जिस पर उन्होंने कलेक्टर के आदेश का हवाला देते हुए हमसे कहा कि, “इस संबंध में बयान देने से कलेक्टर सर ने मना किया है ।”
एक ऐसा मामला जिसकी तीन बार मजिस्ट्रियल जांच हो चुकी थी और अब ये मामला हाईकोर्ट में है तब भी जिला मुख्यालय के अंदर जिला कार्यालय के नज़दीक इस विवादित ज़मीन पर चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक न लगा पाना और उस पर गलत बयानबाजी करना सब डिवीजन मजिस्ट्रेट हेमेंद्र भुआर्य को भी सवालों के कटघरे में खड़ा करता है ।
एस डी एम भुआर्य पहले मीडिया को गलत बयान देते हैं कि उन्होंने तहसीलदार को लिखित कार्रवाही के लिए आदेश कर दिया है जबकि उन्होंने ये आदेश किया ही नहीं था । आवेदक पक्ष ने विवादित ज़मीन पर चल रहे निर्माण कार्य पर रोक के लिए जब भूमकाल पर प्रकाशित खबर को पढ़ने के बाद एस डी एम से मुलाकात की तब उन्हें एस डी एम के द्वारा भूमकाल को दिए झूठे बयान के बारे में पता चला । दरअसल जब पीड़ित पक्ष निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की गुहार लेकर एस डी एम के पास पहुंचा था तब एस डी एम ने उनसे कहा कि दो तीन दिन बाद वे इस सम्बंध में लिखित कार्रवाही करेंगे जबकि एस डी एम ने हमें फोन पर बताया था कि उन्होंने लिखित कार्रवाही कर दी है ।
साफ है इस मामले में पीड़ित पक्ष की भावनाओँ, उनके अधिकारों के साथ खिलवाड़ तो अब जगजाहिर है ही, लेकिन न्याय व्यवस्था को भी अधिकारियों ने खिलवाड़ बना डाला है । ये हाल तब है जब ये मामला सार्वजनिक है, तब की सोचिए जब से एक आदिवासी गरीब परिवार न्याय की गुहार लगाता जा रहा है ।
इस समाचार की गंभीरता से वाकिफ होकर जब हमने पीड़ित पक्ष की आपबीती और सारे तथ्यों का गंभीरता से अध्ययन कर खबर को भूमकाल के मंच पर स्थान दिया तो आरोपी पक्ष मुज़फ्फर खान के वकील वरुण शर्मा ने भूमकाल के संपादक कमल शुक्ला के नाम मानहानि का नोटिस भेजा है जिसमें उन्होंने 9 जुलाई को प्रकाशित खबर पर मुजफ्फर खान से माफी मांगते हुए उस माफीनामे को प्रकाशित करने की बात कही है ।
हम सारे मामले को बेहतर तरीके से जानते हुए, हमें चुनौती देने वालों को इस समाचार के माध्यम सूचित करते हैं कि आप न्यायालय में हमसे मुखातिब होंगे ।
जिस तरह से विवादित ज़मीन पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, हम पर एक समाचार पूरी सत्यता के साथ प्रकाशित करने पर मानहानि की कार्रवाही के द्वारा दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है और स्थानीय प्रशासन के सक्षम अधिकारी बयान देने से पल्ला झाड़ रहे हैं इन सभी बातों से एक बात तो साफ है कि इस मुल्क में अगर किसी गरीब को न्याय की लड़ाई लड़नी है तो उसे इस खबर को एक बार जरूर पढ़ लेना चाहिए ।
यूकेश चंद्राकर