न्यूज एजेंसी PTI को सबक सिखाने में जुटी मोदी सरकार, ठोंका करोड़ों का जुर्माना, कार्यवाही के पीछे गुलामी कराने का मकसद, भारत में इमरजेंसी के हालात

फोटो : द वायर

केंद्र की मोदी सरकार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को सबक सिखाने का काम शुरू कर दिया है. चीनी राजदूत के इंटरव्यू से नाराज मोदी सरकार ने इस न्यूज एजेंसी पर 84.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. पीटीआई से कहा गया है कि उसने वर्ष 1984 से उस सरकारी बिल्डिंग के किराए का भुगतान नहीं किया है जिससे इसका कामकाज संचालित होता है. ज्ञात हो कि पीटीआई का ये आफिस संसद मार्ग पर स्थित है.
पीटीआई पर लीज की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 84.48 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इसी लीज के तहत पीटीआई को दिल्ली में संसद मार्ग कार्यालय के लिए भूमि आवंटित की गई थी.

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार चीनी राजदूत सन सुन वेइदोन का इंटरव्यू पीटीआई द्वारा लिए जाने के जवाब में पीटीआई को दंडित कर रही है. पीटीआई को 84.48 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी किया गया है. भुगतान के लिए 7 अगस्त का टाइम दिया गया है. न देने पर 10 प्रतिशत ब्याज लगेगा. किसी भी स्पष्टीकरण के लिए पीटीआई को एक सप्ताह का समय दिया गया है. कहा गया है कि पीटीआई ने 1984 के बाद से जमीन के किराए का भुगतान नहीं किया है. बेसमेंट के एक कार्यालय में बदलाव कर भूमि-आवंटन की शर्तों का दुरुपयोग किया है. लीज के अनुसार बेसमेंट का उपयोग केवल स्टोर के मकसद से करना था.

मोदी सरकार ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को नोटिस भेजकर एक महीने के भीतर 84 करोड़ जमा कराने को कहा है। वरना संसद मार्ग वाला दफ़्तर खाली करना होगा। चीन के राजदूत का इंटरव्यू छापने के लिए प्रसार भारती ने PTI को एन्टी-नेशनल कहा था। अब सरकार की परमिशन से ख़बर छापना होगा वरना कार्रवाई।

कौन कहता है कि भारत में इमरजेंसी के हालात नहीं हैं?

बेंगलुरु से अभी एक मित्र ने बताया- लोग अपना बोरिया-बिस्तर लपेटकर भाग रहे हैं। हाईवे जाम है। आईटी सिटी खाली होने लगी है। भोपाल में भी यही हाल है। लोग शहर छोड़कर दूर जा रहे हैं।

कोरोना रोज़ का 30 हजारी बनने के कगार पर है और जैसी कि उम्मीद थी, महामारी के शीर्ष पर होने में अभी भी 2 महीने से ज़्यादा बाकी हैं। अभी एक और देशव्यापी लॉक डाउन की नौबत है।

लेकिन मोदी सरकार को ग्राफ फ्लैट नज़र आता है। सरकार चाहती है कि मीडिया भी यही कहे, दिखाए कि सब ठीक है।
PTI का मामला एक नज़ीर है। मीडिया को ग़ुलामी करनी ही होगी। विज्ञापन तो ठीक, सरकार तो पैरों तले जमीन खिसकाने पर उतर आई है।

आज राजस्थान में गहलोत सरकार के विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट समर्थक दर्जन भर विधायक कम थे।
ANI ने लिख दिया, 20 कम हैं। सूत्रों के हवाले से। उसके सूत्र कौन हैं, सब जानते हैं। फिर भी ANI विश्वसनीय है।

गलवान से चीन की सेना ANI ने ही कई बार लौटाई। चीन में सरकारी मीडिया है। सरकार का तोता। मोदी सरकार भी चाहती है कि यहां भी मीडिया तोता बन जाये। सरकार की मिर्च खाए और राम-राम बोले।

डिजिटल की नौकरी छोड़कर साल भर का ब्रेक लेने वाले एक शागिर्द ने विकल्प पूछा तो मेरा जवाब था- मोहल्ला स्तर पर डिजिटल अखबार निकालो। दक्षिण भारत में यह प्रयोग शुरू हो चुका है। गली-मोहल्ले से 2-4 पेज के अखबार निकलने लगे हैं। व्हाट्सअप में बने समूहों में खबरों का आदान-प्रदान होता है। लोग सब्सक्राइब भी कर रहे हैं। महीने का 25 रुपया। आज़ादी से पहले इसी तरह के हज़ारों अखबार निकलते थे। लगता है फिर वही दौर लौट रहा है। PTI रहे न रहे, सूचनाएं कभी ज़ाया नहीं होंगी।

सौमित्र राय के फेसबुक वॉल व भड़ास डॉट कॉम से साभार

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