जाली मार्कशीट के सहारे कर ली 33 साल की नौकरी
जांजगीर-चांपा । तैंतीस साल से सहायक प्राध्यापक के पद पर पदस्थ भागीरथी कुर्रे को उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के बाद पᆬर्जी अंकसूची के सहारे नौकरी करना प्रमाणित पाए जाने पर पद से पृथक करने का आदेश जारी किया है। इन दिनों वे शासकीय महाविद्यालय नगरदा में प्रभारी प्राचार्य के पद पर थे।
भागीरथी कुर्रे को अविभाजित मध्यप्रदेश में तदर्थ प्राध्यापकों के नियमितीकरण के तहत नियमित किया गया। उस दौरान वे शासकीय महाविद्यालय नीमच मध्यप्रदेश में पदस्थ किए गए। जाली अंकसूची प्रस्तुत करने के आरोप में 29 मार्च 1994 को उन्हें निलंबित किया गया। बाद में उन्हें 28 जून 1999 को बहाल कर दिया गया। उनके ऊपर आरोप था कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आरक्षित पदों पर भर्ती के लिए सहायक प्राध्यापक हिन्दी के पद पर नियमित नियुक्ति प्राप्त करने के लिए उनके द्वारा बीए अंतिम वर्ष की पᆬर्जी अंकसूची की प्रस्तुत की गई है। उन्होंने आरोप पत्र के बचाव में उत्तर भी दिया और सभी आरोपो को अस्वीकार किया। प्रकरण में जांचकर्ता प्राधिकारी द्वारा 1 अप्रैल 1999 को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसके अनुसार कुर्रे पर लगे आरोप प्रमाणित पाए गए, उनसे भी अभ्यावेदन लिया गया। उन्होंने अपने अभ्यावेदन में सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए शासकीय सेवा में बनाए रखने का निवेदन किया। प्रतिवेदन में बताया गया है कि उन्होंने बीए अंतिम वर्ष की अंकसूची में छेड़छाड़ कर अंक को बढ़ाया है। उन्हें 550 में 330 अंक मिले हैं और सभी वर्षों को मिलाकर 11 सौ में 666 अंक मिले हैं। मगर वास्तविक अंकसूची में 11 सौ में 486 अंक मिले हैं, जिसे भागीरथी कुर्रे ने स्वीकार किया है कि यह उनकी वास्तविक अंकसूची है उन्होंने जाली अंकसूची के संबंध में अनभिज्ञता जताई। चूंकि सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए स्नानतक में द्वितीय श्रेणी न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होना आवश्यक है और वे तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए थे इसलिए वे नियुक्ति के लिए पात्र नहीं थे। जांच प्रतिवेदन में रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से उनके तृतीय श्रेणी में बीए उत्तीर्ण होने की पुष्टि की बात भी कही गई है। जांच के बाद शासकीय सेवा से पृथक करने का निर्णय लेते हुए 19 मार्च 2020 को लोक सेवा आयोग की सहमति के लिए लिखा गया और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने 4 जून 2020 को इसकी सहमति दी। इस आधार पर सहायक प्राध्यापक हिन्दी भागीरथी कुर्रे े शासकीय महाविद्यालय नगरदा को शासकीय सेवा से पृथक करने का आदेश अवर सचिव उच्च शिक्षा विभाग सरोज उईके ने जारी किया है। भागीरथी कुर्रे नगरदा कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य थे।
”यह प्रकरण उच्च न्यायालय में लंबित है मगर उच्च शिक्षा विभाग ने जवाब नहीं दिया है। वर्ष 2000 में विभागीय जांच की कॉपी उन्हें दी गई और 20 साल बाद इस तरह का आदेश दुर्भावनापूर्ण है मैने इस आदेश को भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मेरे साथ गलत हुआ है। यूजीसी ने छूट देकर हमारी नियुक्ति की थी इसमें हमारी गलती नहीं है कूटरचना का आरोप बेबुनियाद है मुझे न्याय मिलेगा।
भागीरथी कुर्रे
सेवा मुक्त सहायक प्राध्यापक