मत लिखो कि कोई भूखा है
वैसे भी ये मरण काल है. सब मर रहे हैं. कोई कोरोना से, कोई पुलिस की मार से, कोई सत्ता के हथियार से, कोई भूख से.
भूखे मर रहे हो तो मर जाओ शांति से बिना कोई हल्ला गुल्ला मचाए. भूख से मरना गलत नहीं है, लेकिन भूखे मरने का शोर मचाना गलत है. शोर मचाने से राष्ट्र की इमेज खराब होती है. शांति से मरने से कोई नहीं जानता कि किससे मरे. बाकी तो प्रशासन है ही भुखमरी को आत्महत्या साबित करने के लिए. बड़े बड़े बिक गये लेकिन ये ननबुच्चिये पत्रकार नाक में दम किए हैं. इनको प्रशासन की हनक दिखानी ही पड़ेगी. भेज दो नोटिस.
दरअसल लॉक डाउन के कारण बस के पहिए थम गए. बस ड्राइवर की पत्नी ने राशन के लिए अपना फ्रिज बेच दिया।
दंतेवाड़ा में गीदम के पत्रकार ने उस महिला की बाइट लेकर चला दी. यह बात दंतेवाड़ा के कलेक्टर को नागवार गुजर गई। तो उन्होंने तहसीलदार को भेजकर उस महिला से किसी बयान में दस्तखत करा लिया। अब उसी पत्रकार को नोटिस देकर खबर की सच्चाई प्रूफ करने के लिए बोला जा रहा है।
आप सत्ता में हैं, पत्रकार के सोर्स को डराना तो सरल है , वह काम आपने कर लिया , पर बस्तर के पत्रकार इतने कमजोर भी नहीं है कि आप इस तरह नोटिस भेजकर उन्हें डरा लोगे ।
सुशील मानव