आर.पी. मंडल से सीख लें ब्यूरोक्रेट्स टी.एन.शेषन जैसी छवि है मंडल की
विजया पाठक
छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आर.पी.मंडल अपनी स्वच्छ छवि और सादगी के लिए जाने जाते हैं। प्रशासनिक स्तर के उच्च पद पर आसीन होने के बाद भी आर.पी.मंडल एक आम आदमी की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं। रहन-सहन में सादगी, चाल, चरित्र से बेदाग इनकी पहचान है। मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी में आज तक ऐसी छवि देखने को नही मिली। इससे पहले भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त स्व.टी.एन. शेषन की छवि भी ऐसी ही थी। टी.एन. शेषन भी अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। पहली बार किसी प्रदेश का ऐसा मुख्य सचिव बना है, जिसके ऊपर न चरित्र के मामले में और न ही भ्रष्टाचार के मामले में कोई दाग है। इसी बेदाग छवि के चलते भूपेश सरकार ने इन्हें राज्य प्रशासन के उच्च पद पर बैठाया है। आर.पी. मंडल के मुख्य सचिव बनाये जाने से छत्तीसगढ़ सरकार की छवि भी निखर रही है। मंडल शुरू से ही प्रशासनिक पदों पर रहते हुए अपने कार्यों से सरकार को और जनता को प्रभावित करते रहे हैं। जब ये बिलासपुर कलेक्टर थे तो इन्होंने अपने प्रयास से बिलासपुर को कस्बे से शहर में तब्दील कर दिया। रायपुर कलेक्टर बने तो बड़े स्तर पर शहर की सड़कों का चौड़ीकरण किया। अब भूपेश सरकार में मुख्य सचिव हैं तो आर्थिक मंदी जैसी स्थिति में भी अपनी कार्यकुशलता और प्रबलता से छत्ती़सगढ़ को ऊपर उठाया है। मुख्य सचिव आर.पी.मंडल की सादगी और ईमानदारी से प्रदेश के अन्य ब्यूरोक्रेटस भी प्रभावित हो रहे हैं। मंडल के प्रभावशाली व्यक्तित्व और कृतित्व से परिवर्तित हो रहे हैं। प्रशासनिक कसावट में प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया का इस तरह का बर्ताव निश्चित ही प्रदेश के हित में है और जनता के भी हित में है।
जनता से जुड़ाव की बात की जाये तो आर.पी.मंडल रोज सुबह जनता के बीच घूमते हैं। उनकी समस्याओं को सुनते हैं और निराकरण करने का प्रयास करते हैं। साथ ही प्रदेश की सफाई व्यवस्था जैसी मूलभूत अन्य समस्याओं को भी देखते हैं। आज भी वे स्कूटर से घूमते हैं। मजबूरन साथ में अधिकारियों को भी टू-व्हीलर से घूमना पड़ता है। देश के ब्यूरोक्रेट्स को आर.पी.मंडल से सीख लेनी चाहिए, जो पैसा और पद के पॉवर में इतने अंधे हो जाते हैं कि इन्हें आम इंसान दिखते ही नही हैं। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को भी आर.पी.मंडल से सीख लेनी चाहिए, जिससे कमलनाथ सरकार की छवि भी कुछ हद तक बेहतर हो सके। ऐसा मुख्य सचिव जो ए.सी. कमरों में न बैठकर जमीनी स्तर को देखकर योजनाएं बनाते हैंं वे योजनाएं सार्थकता जरूर हासिल करती हैं।
हाल ही में प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया था। इस महोत्सव में शासन का एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। आर.पी.मंडल ने ही अपने प्रयासों से एनएमडीसी की मदद ली और पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन कराया। इस महोत्सव की सफलता का पूरा श्रेय आर.पी.मंडल को जाता है। महोत्सव में 5 देशों के नागरिकों ने भाग लिया था। इस महोत्सव में जनता ने भी काफी योगदान दिया था। वर्तमान परिदृश्य में बहुत कम देखने में मिलता है कि प्रदेश शासन के उच्च अधिकारी ऐसे कार्यों में रूचि लेकर शासन की आर्थिक बचत करवाते हैं। निश्चित ही मंडल के कार्यों से सरकार भी प्रभावित है और जनता भी।
विजया पाठक