पुलिस ने ही जलाए थे आदिवासियों के 160 घर- सीबीआई की रिपोर्ट

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के ताड़मेटला में मार्च 2011 के 160 घरों में आग लगाने का दोषी सुरक्षा बलों को पाया है। सीबीआई ने अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। इसी रिपोर्ट में उसने कहा है कि ताड़मेटला में आदिवासियों के 160 घरों को पुलिस और सुरक्षा बलों ने ही जलाया था।

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स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में सात विशेष पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई है। सीबीआई ने कहा है कि इस घटना में 323 विशेष पुलिस अधिकारियों, पुलिसकर्मियों और सीआरपीएफ तथा कोबरा के 95 कर्मियों के शामिल होने के उसके पास पुख्ता सबूत हैं।

घटना के दो हफ़्ते बाद स्वामी अग्निवेश के काफ़िले पर हमले के सिलसिले में सलवा जुडूम के 26 नेताओं के ख़िलाफ़ भी सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर दी है। अग्निवेश का ये काफ़िला राहत पहुँचाने गाँव जा रहा था, तभी सलवा जुडूम के लोगों के जरिए सरकार ने उन पर हमला करवा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट सलवा जुडूम और विशेष पुलिस अधिकारियों को ग़ैरकानूनी घोषित कर चुका है। मामले को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नंदिनी सुंदर का कहना था कि 11 और 16 मार्च के दौरान पुलिस ऑपरेशन में गांवों में 250 घरों को जला दिया गया था। इस दौरान तीन व्यक्ति मारे गए थे और तीन महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया था। 

जुलाई 2011 में अदालत ने इन घटनाओं की सीबीआई जाँच का आदेश दिया था। इस सप्ताह रायपुर में सीबीआई की विशेष अदालत में तीन अंतिम रिपोर्टें दी गईं। फिर सुप्रीम कोर्ट की बेंच में ये रिपोर्टें पेश की गईं।

शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल रंजीत सिंह कुमार और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को तीन मामलों में आरोप-पत्र दायर करने और दो मामलों में क्लोज़र रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि शांति के लिए नक्सलियों से वार्ता की जानी चाहिए।
सीबीआई की इस रिपोर्ट से ये साफ जाहिर हो गया है कि बीजेपी की रमन सरकार आदिवासियों पर जुल्म ढा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने फेसबुक पर उम्मीद जताई है कि सीबीआई रिपोर्ट के बाद आईजी कल्लूरी की गिरफ्तारी की संभावना बनती है। हिमांशु कुमार कई बार ये कहते रहे हैं कि आईजी कल्लूरी आदिवासियों का दमन और उत्पीड़न कर रहे हैं, और इनाम के लालच में सीधे-सादे आदिवासियों को नक्सली बताकर उनसे आत्म-समर्पण करवाते हैं, और जो आदिवासी इसके लिए तैयार नहीं होते, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, जान से मार दिया जाता है, और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता है।

साभारः sabrangindia.in

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