जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए बस्तर के आदिवासी एक बार फिर आंदोलनरत, नारायणपुर में हजारों की तादाद में ग्रामीण सरकार के खिलाफ लामबंध
आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया
दुपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बाधित
आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे जंगल से नहीं हटेंगे
तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट
नारायणपुर:( भूमकाल समचार ) बस्तर के आदिवासी एक बार फिर जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आंदोलनरत हैं. नारायणपुर में हजारों की तादाद में ग्रामीण सरकार के खिलाफ लामबंध हो गए हैं. आदिवासियों ने आंदोलन आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने का दावा किया है. आदोलन में गुरूवार को लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं. आदिवासी आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है.
नारायणपुर के धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं. आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धौड़ाई के पास रोड़ बंद कर दिए हैं, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा ।
आदिवासी 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं. आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दुपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही सप्ताहिक छोटे डोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहा. इस दौरान आदिवासियों ने बंद रोड़ के बीच एंबुलेंस को रास्ता दिया.
आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोलाआमादई खदान कैंप को लेकर विरोध प्रदर्शनबस्तर संभाग के सातों जिले के आदिवासी हड़ताल पर मौजूद हैं. आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है. इसके अलावा गांव के 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने को लेकर भी आदिवासियों में नाराजगी देखी जा रही है. हालांकि प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने की समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं. लिहाजा राशन पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है.
आमादई खदान को लीज पर दी सरकारदर असल, नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दी है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है. अब आदिवासियों ने खदान का विरोध शुरू कर दिया है. आंदोलनरत आदिवासियों का कहना है कि खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.आदिवासी हजारों की संख्या में आंदोलन कर रहेअबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है. सभी ग्रामीण दौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं. आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं. आदिवासियों का कहना है कि हमारी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे. रास्ता रोकेंगे. आगे बढ़ते जाएंगे.निक्को कंपनी को खदान देने को लेकर आंदोलनआंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेबल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएंगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान ना दिया जाए. साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा.
तामेश्वर सिन्हा