आखिर क्यों थर-थर कांप रही है पुलिस … मुकेश गुप्ता से पूछताछ के पहले ईओडब्लू चीफ ने ली छुट्टी
रायपुर. देश के सबसे विवास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता से पूछताछ के पहले ही ईओडब्लू चीफ वीके सिंह छुट्टी पर चले गए हैं. हालांकि उनकी छुट्टी का कारण स्वास्थ्यगत बताया जा रहा है, लेकिन उनके अचानक छुट्टी पर चले जाने से प्रशासनिक महकमे में कई तरह की चर्चा चल रही है. कहा जा रहा है कि मुकेश गुप्ता के खौफनाक रिकार्ड के चलते कोई भी अफसर उनसे सीधे पंगा लेने को तैयार नहीं है. ज्ञात हो नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में जांच के दौरान आपराधिक षड़यंत्र रचने और फोन टैपिंग के आरोप में निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता को पहले 23 अप्रैल को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के दफ्तर में सुबह 11 बजे अपना बयान दर्ज करने पहुंचना था, लेकिन वरिष्ठ अफसर वीके सिंह के छुट्टी पर चले जाने से अब गुप्ता को 25 अप्रैल को मौजूद रहने को कहा गया है.
जीपी सिंह ने की तगड़ी घेराबंदी
वीके सिंह के छुट्टी पर चले जाने से अब सारी कमान पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह के हाथों में रहेगी. अब वे ही यह तय करेंगे कि मुकेश गुप्ता से कोई सब इंस्पेक्टर पूछताछ करेगा या फिर पुलिस अधीक्षक. वैसे 25 अप्रैल को होने वाली पूछताछ के मद्देनजर जीपी सिंह ने चुनाव के दिन यानी 23 अप्रैल को सभी अफसरों की बैठक ली है. माना जा रहा है कि तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गुप्ता को तगड़े ढंग से घेरने की तैयारी की गई है. दरअसल सरकार ने कुछ समय ईओडब्लू से मुकेश गुप्ता की पसन्द के पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया था, लेकिन ऐन-केन-प्रकारेण अब भी कई पुलिसकर्मी रिलीव नहीं हुए हैं और अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इधर पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि गुप्ता को पहले भी दो बार नोटिस देकर बयान दर्ज करने को कहा गया था, लेकिन तब वे उपस्थित नहीं हुए थे. इधर उनकी अत्यंत करीबी रेखा नायर ने ईओडब्लू पहुंचकर आमद दे दी हैं इसलिए माना जा रहा है कि गुप्ता भी 25 अप्रैल को बयान देने पहुंचेंगे.
दर्ज होगा मनी लांड्रिग का मामला
भले ही मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से थोड़ी राहत मिल गई है, लेकिन उनके खिलाफ इतनी ज्यादा शिकायतें है कि उनका बचना मुश्किल ही लगता है. सोमवार को गृह विभाग के सचिव डीपी कौशल ने एक और अन्य मामलों में उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. उन पर आरोप है कि वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक लोक सेवक रहने के दौरान उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर अवैध उगाही की और कई ट्रस्टियों के साथ मिलकर अकूत संपत्ति और धन अर्जित कर उसका इस्तेमाल विधानसभा रोड़ पर स्थित एमजीएम नामक अस्पताल में किया. सूत्र बताते हैं कि अभी उनसे जुड़े तीन-चार और मामलों की पड़ताल चल रही है. एक मामला तो उनकी घोषित-अघोषित प्रापर्टी से ही जुड़ा हुआ है. सूत्रों का कहना है कि पद में रहने के दौरान कोल्लम केरल, मुरमुदा, कानपुर, इंदौर, परसदा, धरमपुरा, आजमगढ़ सहित अन्य कई जगहों पर बेहिसाब संपत्ति बनाई है. कुछ संपत्ति के मालिक वे स्वयं हैं जबकि अधिकांश दूसरों के नाम पर है.
राज कुमार सोनी की रिपोर्ट