बघेल ने भेजा आईना तो क्या गलत किया
रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक आईना क्या भेज दिया सूबे की सियासत में भूचाल आ गया. हालांकि ऑनलाइन आर्डर किया गया आईना अभी प्रधानमंत्री निवास तक पहुंचा भी नहीं होगा, लेकिन उससे पहले भाजपा के छोटे- बड़े स्तर के सभी नेता नाराज हो गए हैं. भाजपा नेताओं को लग रहा है कि भूपेश बघेल को आईना नहीं भेजना चाहिए था. भाजपा नेता इधर-उधर बयान तो दे रहे हैं,लेकिन वे यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि बघेल को आईने की जगह और कौन सा दूसरा सामान भेजना था जिससे लोकतंत्र थोड़े समय के लिए ही सही सुरक्षित और मजबूत रह पाता. ( जिस देश में लेखक/ पत्रकार/ वकील/ संस्कृतिकर्मी/ फिल्मकार भाजपा को वोट न देने की अपील कर रहे हो तो समझ लीजिए लोकतंत्र किस खतरनाक मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है. सबको लग रहा है कि अगर दोबारा मोदी आ गए तो देश नफरत की आग में झुलसकर रह जाएगा. यह कुछ वैसा ही है जैसा हाल के विधानसभा चुनाव में डाक्टर रमन सिंह की सरकार को लेकर कायम था. सबको यह लगने लगा था कि लोकतंत्र निलंबित कर दिया गया है. )
हालांकि आईना भेज देने से भी लोकतंत्र सुरक्षित रह जाएगा इसकी गारंटी कम है. कब एक बम पड़ोसी देश में जाकर गिर जाएगा और पिल-पिल करते हुए भक्त बिल से निकलकर कहने लगेंगे- मोदी है तो मुमकिन है. फिर भी आईना विरोध का… एक सिबांल तो है ही. जब कोई किसी से चिढ़ जाता है तो कहना नहीं भूलता- जाओ… पहले आईने में अपनी सूरत देख लो. बघेल के आईना भेजने के पीछे भी शायद यहीं भाव काम कर रहा है. बघेल ने कहा है- प्रधानमंत्री जी… मैं आपको आईना भेज रहा हूं. इस आईने को आप ऐसी जगह लगाएंगे जहां से आप सबसे अधिक बार गुजरते हो. हो सकता है कि आप आईने का इस्तेमाल न करें. किसी कूड़ेदान में फेंक दें. लेकिन फिर भी आप आईना देखने से बच नहीं पाएंगे. जनता आपको जल्द ही आईना दिखा देगी.
बहरहाल आईना दिखाने पर नेता प्रतिपक्ष धरम कौशिक ने बघेल को राहुल और सोनिया गांधी को भी आईना भेजने की सलाह दी है. कलक्टरी छोड़कर राजनीति में गए ओपी चौधरी ने भी विनम्रता पूर्वक अपनी बात रखी हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह की प्रतिक्रिया बड़ी अजीब है. उनका कहना है- अभी बघेल महज सत्तर दिन के मुख्यमंत्री है, लेकिन वे पन्द्रह साल के मुख्यमंत्री और पांच साल के प्रधानमंत्री को आईना दिखाने का कृत्य कर रहे हैं. यह एक छोटी मानसिकता है. रमन सिंह के इस कथन के बाद बघेल ने भी पलटवार करते हुए कहा है- सवाल सत्तर दिन या सत्तर साल का नहीं है. इस देश में हर किसी को सवाल करने का अधिकार है और मैं वहीं कर रहा हूं. बघेल ने आगे कहा है- मैं किसी भी सवालों से कभी नहीं भागता इसलिए तीन अप्रैल को शाम सात बजे सभी सवालों का जवाब देने के लिए फेसबुक पर लाइव भी रहूंगा. वैसे बघेल की बात में दम तो है. रमन सिंह के पन्द्रह साल के कार्यकाल में पत्रकार सवाल पूछने से डरते थे. जो पत्रकार सवाल करता था उस पर सुपर सीएम और उनके गैंग के लोग एफआईआर दर्ज करवा देते थे. असहमति लोकतंत्र की खूबसूरती होती है इसे रमन सिंह कभी समझ ही नहीं पाए. उन्हें और उनको घेरकर रखने वालों को न जाने क्यों लगता था कि असहमति को कुचलकर ही सत्ता पर काबिज रहा जा सकता है.
खैर.. अब जब कल बघेल फेसबुक पर लाइव रहेंगे तब कई सारी बातों का खुलासा हो सकता है. हो सकता है कि कोई कल यह भी पूछ बैठे कि मोदी तो शेविंग करते नहीं है फिर भी आपने उनको फैटेंशी सिल्वर शेविंग एंड मेकअप वाला आईना क्यों भेज दिया.
बहरहाल आईना राजनीति पर कुछ शायरी याद आ रही है. कृष्ण बिहारी नूर कहते हैं- धन के हाथों बिके हैं सब क़ानून अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं. चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं. प्रसिद्ध कवि गुलजार ने लिखा है- आईना देखकर तसल्ली हुई. हमको इस घर में जानता है कोई. अब से कुछ अरसा पहले देशबन्धु अखबार में एक कॉलम घूमता हुआ आईना काफी लोकप्रिय हुआ था. यह आईना इधर-उधर घूमता रहता था और कई बार कई रसूखदार लोग नाराज हो जाया करते थे. इस टिप्पणी को लिखते हुए पंड़ित राजनारायण मिश्र जो इस कॉलम को लिखते थे उनकी याद भी आ रही है. किसी अखबार में अगर घूमता हुआ आईना जैसा कोई दमदार कॉलम होता या मीडिया गोदी मीडिया नहीं होता तो शायद भूपेश बघेल को भी ऑनलाइन आईना भिजवाने की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन कंसोल इंडिया के इस युग में यह संभव नहीं हो पाया.
राजकुमार सोनी