इति नमो पुराण अंतिम अध्याय – — अंतिम आहुति शेष
गिरीश मालवीय
नमो पुराण के अंतिम अध्याय का हम पारायण कर रहे हैं समस्त धर्मप्रेमी जनता से अनुरोध है जरा शांत होकर बैठे…. अंतिम आहुति उसे ही डालनी है इस पंचवर्षीय कथा के हम अंतिम सोपान पर है…….कृपया धैर्य बनाए रखे……
सूत जी बोले – हे मुनियों, मैं आपसे तीनो लोकों में विख्यात श्री नरेन्द्र मोदी जी का माहात्म्य फिर कहता हूँ…………..
एक बार की बात है फागुन का महिना चल रहा था जैसा आम बौरा जाते हैं वैसे ही समस्त आर्यावर्त की जनता पुष्पक विमानों द्वारा शत्रु के स्थान पर आक्रमण करने से बौरा गयी थी…..….. समस्त आर्यावर्त में नमो नमो की धूम मची हुई थी…….
ऐसे में एक दिवस विपक्षी दल के स्वामी राहुलानंद ने गरीब जनता को न्यूनतम आय के रूप में 72 हजार स्वर्णमुद्राएँ देने की बात कर दी….. ऐसी घोषणा सुन प्रजा का मन मयूरा नाच उठा…….. इतना सुनते ही इंद्रप्रस्थ की धरती पर अधिकार जमाए नरेंद्र मोदी का सिंहासन डोलने लगा………..
यह देख नरेन्द्र मोदी के अचरज का पारावार न रहा , कदाचित चिंतित भाव से वह अपने शयन कक्ष में डोलने लगे दासी ने आकर पूछा कि रात्रि भोजन में खमण ढोकला बना दू …….उस पर भी उन्होंने इनकार कर दिया…… इस कठिन घड़ी में उन्होंने चिंतन कर एक युक्ति निकाली……… उन्होंने अपने सेवको से एक आग्नेयास्त्र लाने को कहा…….. उस आग्नेयास्त्र को उन्होंने अपने धनुष पर चढ़ाया ओर आकाश की तरफ लक्ष्य करके प्रत्यंचा खींच दी……….
आग्नेयास्त्र सीधा निकल कर पृथ्वी की घूर्णन कक्षा में घूम रही किसी वस्तु से टकरा गया यह देख नरेंद्र मोदी मुदित हो गए
प्रातः काल उन्होंने अपने मंत्रियों से प्रजा को ‘कुछ बड़ा घट गया है कुछ देर में घोषणा करूँगा’ ऐसी सूचना देने को कहा……..
इतना सुनते ही तीनो लोको में हलचल मच गयी कुछ अनिष्ट की आशंका में पक्षी अपना घोंसला छोड़ आकाश में मंडराने लगे, गौशाला में समस्त गाय रम्भाने लग गयी, जनता राजमार्ग पर इकट्ठा होकर राजकोष के केंद्र पर जाकर खड़ी हो गयी उन्हें लगा कही ये फिर से स्वर्णमुद्रा कर बदले चमड़े के सिक्के न चलवा दे……..
नियत समय पर नरेंद्र मोदी प्रकट हुए और उन्होंने घोषणा करते हुए आते ही बोले…….. मितरो…..इतना सुनते ही प्रजा की चीखे निकल गयी…………
नरेंद्र मोदी बोले ………नही नही घबराए नही…..हम तो यह बताने आए हैं कि कल चैत्र पक्ष की सप्तमी की रात्रि में हमने आग्नेयास्त्र से शत्रु देश के एक यन्त्र को मार गिराया है जो पृथ्वी के घूर्णन कक्ष में घूम घूम कर घूम घूम कर हमारे आर्यावर्त पर अपनी कुदृष्टि डाल रहा था……..यह सुनते ही देवता बादलों से पुष्पवर्षा करने लगे, मंगल ध्वनि सुनाई देने लगी, गंधर्वो ने दैवी गीत गाए। अप्सराएँ नृत्य करने लगीं। स्वर्ग में दुन्दुभियाँ बजने लगीं,
किन्तु प्रजा ने यह सुनते ही गहरी सांस ली और निर्विकार भाव से अपनी रोजी रोटी खोजने निकल पड़ी..