एलाड़मड़गु कैम्प हटाने लामबंद हुए चार गाँव के ग्रामीण , जवानों पर लगाया 75 ग्रामीणों की पिटाई का आरोप
राजा राठौर की रिपोर्ट
दोरनापाल । पहुँचविहीन इलाक़े मे बीते वर्ष अक्टूबर माह मे नक्सल ऑपरेशन मे तेज़ी लाने एंव इलाके में सड़क निर्माण मे सुरक्षा के लिए खोले गए एलाड़मड़गु गाँव मे कैम्प का विरोध तेज़ हो गया है । इस मामले पर कोलाईगुड़ा गाँव मे जमा हुए सैकड़ों ग्रामीणों ने कैम्प हटाने की नारेबाज़ी कर ग्रामीणों के साथ मार-पीट करने और मनमर्ज़ी से मुर्गा बकरा छीन लेने का आरोप लगाते हुए दोषी जवानों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की ।
मामला सुकमा जिले के भेज्जी थाना क्षेत्र का है जहाँ के एलाड़मड़गु गाँव के पुलिस कैम्प के जवानों पर ग्रामीणों ने मारपीट लूटपाट समेत कई गम्भीर आरोप लगाया है । वही पुलिस जवानों की पिटाई के चलते पाँच परिवारों के ग्रामीणों के पलायन करने का भी आरोप लगाया है । एलाड़मड़गु कैम्प हटाने की माँग को लेकर सुकमा जिले के कोलाईगुड़ा गाँव मे चार गाँवों के ग्रामीण एकत्रित हूए और कैम्प हटाने की माँग को लेकर जमकर नारेबाज़ी की वही ग्रामीणों ने आरोप लगाया है की ग्रामीणों की कई एकड़ ज़मीन पर कैम्प बना दिया गया है जिससे ग्रामीण परिवार खेती नही कर पा रहे है ।
ग़ौरतलब है की सुकमा जिले के भेज्जी थाना क्षेत्र का यह इलाक़ा नक्सलियो के कोर ज़ोन के रूप मे जाना जाता है और बीते वर्ष एलाड़मड़गु गाँव के पास सड़क निर्माण के दौरान जवानों पर नक्सलियों
के हमले के बाद उस इलाक़े मे सड़क का निर्माण रूक गया है । जिसके बाद पिछले वर्ष ही एलाड़मड़गु में कैम्प खोला गया है । इलाक़े मे नक्सल विरोधी अभियान में और भी गति लाना भी कैम्प खोलने का उद्देश्य रहा है पर इस बार उस इलाक़े के ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाते हूए कैम्प हटाने की माँग पर अड़ गए है और जल्द ये जल्द छत्तीसगढ़ सरकार से कैम्प हटाने की माँग कर रहे है । कैम्प के विरोध मे आसपास के चार गाँवों के ग्रामीण एकत्रित हूए थे जिनमें एलाड़मड़गु बोदराजपदर विराभट्टी एंव मोसलमड़गु शामिल है ।
जवानों के ख़ौफ़ से ग्रामीणों के पलायन का आरोप
ग्रामीणों ने पहली बार जवानों के ख़ौफ़ से ग्रामीणों के पलायन करने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि पूर्व मे 60 परिवार एलाड़मड़गु मे निवास करते थे पर कैम्प खुलने के बाद से पाँच परिवारों का गाँव से पलायन हो गया । अब 55 परिवार ही गाँव मे है ग्रामीणों ने पुलिस जवानों पर कई गंभीर आरोप लगाया है । ग्रामीणों के अनुसार जवान अचानक गांव में आ धमकते हैं और घरों से ग्रामीणों के मुर्ग़े – बकरे , सल्फी छीन कर ले जाते हैं और विरोध करने ग्रामीणों को डराने धमकाने का काम भी करते है ।
कैम्प खुलने के बाद से 75 लोगों की हूई पिटाई – ग्रामीण
एलाड़मड़गु मे कैम्प खुलने के बाद अक्टूबर 2018 से अब तक 75 ग्रामीणों की बेदम पिटाई करने का आरोप ग्रामीणों ने जवानों पर लगाते हूए कहा है की जब से कैम्प खुला आए दिन ग्रामीणों को बेवजह पिटा जाता है । जवान कैम्पों से निकल कर गाँव मे दाखिल होते है और ग्रामीणों की पिटाई शुरू कर देते है ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि हॉल में ही में एक ग्रामीण की मौत नक्सली पर्चा उठाने से हुए ब्लास्ट से हूई है । जबकि उक्त ग्रामीण ने पर्चा लगाने की सूचना कैम्प पर दिया था , जवानों ने उसी से ज़बरन पर्चा उठाने को कहा और ब्लास्ट हो गया ।
कैम्प भी हटे और दोषियों पर कार्यवाही भी हो – ग्रामीण
नक्सली कोर ज़ोन कहे जाने वाले कोलाईगुड़ा मे हूए ग्रामीणों की बैठक मे ग्रामीणों ने राज्य सरकार से जल्द से जल्द कैम्प हटाने की माँग की है और ग्रामीणों ने इलाक़े मे उत्पात मचाने वाले जवानों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की भी माँग की है ग्रामीणों का कहना है की इलाक़े का पुरा माहौल ख़राब हो गया है जिससे सभी लोग परेशान है । उन्होंने फोर्स द्वारा पर्चा उठाने भेजे ग्रामीण की विस्फोट में हुई मौत के लिए मुआवजा की भी मांग की है ।
कैम्प खुलने से नक्सलियो पर ज़बरदस्त दबाव – शलभ
सुकमा एएसपी आईपीएस शलभ सिन्हा ने पूरे मामले पर कहा है कि जब से एलाड़मड़गु में कैम्प खुला है, नक्सलियों पर ज़बरदस्त दबाव पड़ा है कैम्प के खुलने के बाद से उस इलाक़े के ग्रामीणों से काफ़ी बेहतर सम्बंध है । समय – समय पर ग्रामीण कैम्प पर आते है और जवानों से सम्पर्क मे रहते है जिससे नक्सलवाद से उस इलाक़े मे ग्रामीणों का भरोसा उठता जा रहा है यही वजह है कि नक्सलियों द्वारा ज़बरन ग्रामीणों को कैम्प हटाने के लिए एकत्रित होने का दबाव बनाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि फिर भी इस पूरे मामले की जाँच कराई जाएगी ।