अगर दस्तावेज़ चोरी हुए तो चौकीदार क्या कर रहे थे ?

दिलीप खान , नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि अगर रफ़ाल की सीबीआई जांच हुई तो देश का नुक़सान हो जाएगा. पिछली सरकार में विपक्ष के दबाव के आगे 2जी की सीबीआई जांच हुई थी. जेपीसी भी बनी थी. चलिए, सीबीआई जांच मत कराइए, जेपीसी ही बना लीजिए.

अदालत में सबसे मज़ेदार तो ‘चोरी’ वाली दलील थी. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि द हिंदू की जिन रिपोर्ट्स का याचिकाकर्ता हवाला दे रहे हैं वो ग़ैर-क़ानूनी है. केके वेणुगोपाल ने कहा कि असल में वो दस्तावेज़ रक्षा मंत्रालय से ‘चोरी’ किए गए हैं और सरकार इसकी जांच कर रही है.

जले पर नमक की तरह द हिंदू ने आज भी एक रिपोर्ट छाप दी है. मोदी सरकार से पहले मीडिया में दस्वावेज़ छपना ‘खोजी रिपोर्ट’ कहलाती थी. मोदी सरकार में अब इसे ‘चोरी’ कहा जा रहा है. फर्क तो है!

तुर्रा ये कि चौकीदार निगरानी कर रहा है. अगर दस्तावेज़ चोरी हुए तो चौकीदार क्या कर रहे थे?

सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने झूठा हलफ़नामा दिया. जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को फ़ैसला सुना दिया. अब नए सिरे से सुनवाई चल रही है तो मोदी सरकार चोरी, ग़ैर-क़ानूनी, देश का नुक़सान जैसे जुमले फेंकने में जुट गई है.

• मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि द हिंदू में जो रफ़ाल पर दस्तावेज़ छपे वो गोपनीयता क़ानून का उल्लंघन है.

• सरकार ने ये भी कहा कि वो दस्तावेज़ रक्षा मंत्रालय से ‘चोरी’ हुए हैं और सरकार चोरी की जांच कर रही है.

• अगर दस्तावेज़ मंत्रालय से ‘चोरी’ हुए तो इसका मतलब है कि दस्तावेज़ सही हैं.

• कुछ दिन पहले जब द हिंदू ने तीसरी रिपोर्ट छापी थी तो बीजेपी वाले उस रिपोर्ट को ग़लत कह रहे थे. कह रहे थे कि दस्वावेज़ फर्जी है.

• जब दस्तावेज़ फ़र्जी है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में कहिए कि फर्जी है. कह दीजिए कि हिंदू ने ग़लत काग़ज़ों के आधार पर रिपोर्टिंग की. ख़ारिज़ कर दीजिए रिपोर्ट्स को.

• अगर दस्तावेज़ असली हैं तो इसका मतलब रिपोर्ट भी असली है. अगर हिंदू की रिपोर्ट असली थी तो निर्मला सीतारमन समेत तमाम मंत्री-संतरी तब क्यों द हिंदू को झूठ बता रहे थे?

• अगर दस्तावेज़ ‘चोरी’ भी हुए और फर्जी भी है तो फिर ये पता कीजिए कि मंत्रालय में फर्जी दस्तावेज़ कौन तैयार कर रहा था

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रफ़ाल की फ़ाइल चोरी पर जो लोग तंज कर रहे हैं वो तो ठीक है. लेकिन, फ़ेसबुक पर कई लोग ऐसे भी जिन्हें लगता है कि फ़ाइल सच में चोरी हो गई है.

रफ़ाल पर हिंदू के पास कुछ दस्तावेज़ आए. ऐसे दस्तावेज़ पत्रकारों के पास आते रहे हैं. इसी बूते मीडिया कोई तहक़ीक़ात कर पाता है. जो दस्तावेज़ आए, उसे केंद्र सरकार ने तकनीकी तौर पर ‘चोरी’ करार दे दिया.

सरकार ने जब 2016 की कथित सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो मीडिया को सौंपा था, तो टीवी मीडिया उसे ‘एक्सक्लूसिव’ और ‘स्कूप’ कहकर चलाता रहा. ‘लीक’ भी नहीं कहा. सरकार के लिए मुफ़ीद मामला था तो सरकार ने कुछ नहीं कहा. पूछा भी नहीं कि वीडियो कहां से मिला?

रफ़ाल सौदे के दस्तावेज़ ज़्यादा गोपनीय थे या सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो? रफ़ाल के जिन दस्तावेज़ों को द हिंदू ने छापा है, उनमें मोदी सरकार के झूठ बेनकाब हुए हैं. उन दस्तावेज़ों में सुरक्षा मानकों के बारे में ऐसा कुछ नहीं छापा गया है जिससे ‘देश की सुरक्षा’ को ख़तरा पहुंचता हो.

उनमें क़ीमत, समय, प्रक्रिया, गड़बड़ियां, बैंक गारंटी, एस्क्रो खाते, समानांतर ख़रीद समेत कई मुद्दों का पर्दाफ़ाश है. सरकार को पचा नहीं तो कोर्ट में ‘चोरी’ का एक जुमला फेंक दिया.

यहां कई लोगों को लगता है कि सच में रफ़ाल पर कुछ चोरी हो गया है. एन राम ने कह दिया कि वो किसी भी क़ीमत पर अपने स्रोत का नाम नहीं बताएंगे. अब निर्मला सीतारमन कहीं फिर से उन्हें पत्रकारिता ना सिखा दें!

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप खान के फेसबुक वॉल से साभार 

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