नरवा योजना और वन परिक्षेत्र मद्देड का कारनामा ! सरकार के पैसों का दुरुपयोग कर रहा है वन विभाग – कांग्रेसी नेता
यूकेश चंद्राकर बीजापुर छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी के तहत बीजापुर के मद्देड वन परिक्षेत्र
Read moreयूकेश चंद्राकर बीजापुर छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी के तहत बीजापुर के मद्देड वन परिक्षेत्र
Read moreसुकमा– वैसे आप यह ख़बर पढ़ रहे होंगे आगे पढ़ने से पहले मेरी आपसे रिकवेस्ट है यह वीडियो भी *जरूर देखें* इस वीडियो मेंकुम्हारों के ऐसे परिवार का दर्द है *दर्द* के साथ *सिसकती* आवाज में वे आपसे *कुछ कहना चाहते* हैं देखें जरूर.. क्योंकि जहांआज के आधुनिकता की दौड़ में दीपावली के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण *दीपक और लक्ष्मी गणेश* की मूर्तिया *गढ़ने वाले कुम्हार* अपने घरों को रौशन करने से वंचित है, मिट्टी के दीये की जगह *बल्ब व मोमबत्तियाें* की चकाचौंध में गुम हो रहे हैं *कुम्हार के परिवार,* और अपनी पुस्तैनी कला एवं व्यवसाय से जैसे विमुख हो रहे हैं। ऐसे परिवार हैं जहां *आर्थिक संकट* हमेशा बनी रहती है, आज केबदलते दौर में भी यहां परिवार *लाचार और बेबसी* की जिंदगी जीने को मजबूर हैं, कुम्हारों को उम्मीद है इस बार दिवाली पर्व में लोगमिट्टी के दिये खरीदेंगे, ताकि सबकी तरह कुम्हार के *घर में भी रौशनी* हो, बच्चों को *नये कपड़े* दिला सकें, बस इतनी सी हमारी*विनती है साहेब, हम गरीब हैं साहब,* मात्र दो रुपये का एक दीप है, *खरीद* लो साहब….. देखें पूरी खबर *दर्द और बेबसी* कुम्हार का परिवार के शंकर सुकमा
Read moreछत्तीसगढ़ किसान सभा ने राज्य सरकार से 10 नवम्बर से सोसाइटियों के जरिये धान खरीदने की मांग की है, ताकि कम समयावधि मेंपकने वाले धान की खेती करने वाले लघु व सीमांत किसानों को बाजार की लूट से बचाया जा सके। आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि नवम्बर माह मेंधान खरीदी न होने से किसान कम-से-कम 10 लाख टन धान का उचित मूल्य प्राप्त करने से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि कटाई के बादछोटा किसान घर में धान जमा करके रखने की स्थिति में ही नहीं होता। इस समय खुले बाजार में उसे 1200 रुपये क्विंटल से कम कीमतमिल रही है। इससे किसानों को 1000 करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान होने जा रहा है। किसान सभा ने मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे धान बिकने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि मंडी प्रशासन की नाक के नीचेकिसानों की लूट हो रही है और राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। मंडियों में धान का समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारीराज्य सरकार की है। किसान सभा नेताओं ने मांग की है कि जहां समर्थन मूल्य से नीचे धान बिक रहा है, उस मंडी प्रशासन के विरूद्धसरकार कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि राज्य में मंडी अधिनियम में संशोधन के बाद भी मंडियों में किसानों की लूट जारी है, क्योंकि इसअधिनियम में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात ही नहीं की गई है और वास्तव में यह कृषि क्षेत्र के निजीकरण की राह आसान करता है।इसलिए यह अधिनियम प्रदेश के किसानों के साथ सरासर धोखाधड़ी है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ 5 नवम्बर को पूरे देश में चक्का जाम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़में भी छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े घटक संगठनों तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा द्वारा पूरे प्रदेश मेंरास्ते रोके जाएंगे तथा पुतले जलाए जाएंगे। राज्यव्यापी आंदोलन में 10 नवम्बर से धान खरीदी करने और मंडियों में समर्थन मूल्यसुनिश्चित करने की मांग को केंद्र में रखा जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के दुष्परिणामों से किसानों को बचानेके लिए पंजाब की तर्ज़ पर एक सर्वसमावेशी कानून बनाने की भी मांग की जाएगी। संजय पराते
Read moreराजिम तहसील अंतर्गत ग्राम सुरसाबांधा में ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा के पदाधिकारियों द्वारा 27 परिवारों के तैयार धान फसल को
Read moreगोडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संस्थापक सदस्य दादा हीरा सिंह मरकाम जी
Read moreमार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के ग्राम दुगली के आश्रित ग्राम दिनकरपुर में वन ग्राम समिति और इसपंचायत के सरपंच, सचिव की अगुआई में 20 आदिवासी परिवारों के घरों को तोड़ने, आग लगाने, उनकी फसल को जानवरों से चरानेऔर इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने के कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने, आदिवासियों कोहुए नुकसान की सरकार द्वारा पूरी भरपाई करने तथा पीड़ित आदिवासी परिवारों को वन भूमि का पट्टा देने की मांग की है। आदिवासी परिवारों के घरों में कई गई आगजनी की तस्वीरों को जारी करते हुए आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवसंजय पराते ने कहा है कि 13 अक्टूबर को प्रशासन द्वारा उन्हें उजाड़े जाने के बाद पीड़ित आदिवासी परिवार पिछले पांच दिनों से बाल-बच्चों सहित धमतरी में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं, लेकिन प्रशासन चुप है। माकपा जिला सचिव समीर कुरैशी के नेतृत्व मेंपार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित आदिवासियों से मिला। पीड़ितों के अनुसार वे 1993-94 से वन कक्ष क्रमांक 266 की वन भूमि परकाबिज है और खेती कर रहे हैं। साढ़े तीन साल पहले भी इस पंचायत के ताकतवर लोगों ने उन लोगों पर हमला करके उनकी झोपड़ियोंको नष्ट कर दिया गया था। तब यदि हमलावरों के खिलाफ कार्यवाही होती, तो अब दुबारा हमला नहीं होता। उन्होंने बताया कि उनकेवनाधिकार के दावों को भी बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया है। अपने बयान में माकपा नेता ने उन पीड़ित परिवारों के नामों का भी उल्लेख किया है, जिनके घरों को तोड़कर आग के हवाले किया गयाहै। इसमें पंचायत के एक पूर्व सरपंच राकेश परते और एक वर्तमान पंच गीताबाई कोर्राम की झोपड़ी भी शामिल है। अन्य नाम इसप्रकार है : बीरबल सोनवानी, प्रताप सिंह मंडावी, रमुला बाई चक्रधारी, राधिका सोनवानी, कीर्तन मरकाम, बालेन्द्र नेताम, राम सोरी, सुनीता बाई, प्रेम बाई, चमेली बाई, हरीश कुमार, मताबाई, भिखारी राम, दिनेश, भीखम सिंह आदि। उल्लेखनीय है कि इस दुगली गांव में 14 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सपरिवार सोनिया-राहुल समेत पहुंचे थे।कमारों के आतिथ्य का कड़ू कांदा, मड़िया पेज, कुल्थी दाल और चरोटा भाजी का स्वाद ग्रहण करते हुए इस गांव को गोद लेने कीघोषणा की थी। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी दिवंगत राजीव की प्रतिमा के अनावरण के लिए पिछले साल 20 अगस्तको फिर दुगली पहुंचे थे और 150 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों की घोषणा के साथ ही सभी आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा देने कीभी घोषणा की थी। माकपा नेता ने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में किसानों और आदिवासियों को उनकी काबिज भूमि से बेदखल करने का खेल चल रहा हैऔर पूरा प्रशासन इस काम मे भूमि माफिया का साथ दे रहा है। उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून में कहीं भी कब्जाधारियों की बेदखलीका प्रावधान नहीं है और इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने खुद के निर्णय पर स्टे दिया है। इसलिए इन आदिवासियों को उनकी वनभूमि से बेदखल करने का कोई अधिकार पंचायत और वन ग्राम समिति के पास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इन पीड़ितआदिवासियों को बेदखल करने के लिए ही उनके वनाधिकार के आवेदन पत्र गैरकानूनी तरीके से निरस्त किये गए हैं। माकपा ने कहा है कि यदि प्रशासन पीड़ित आदिवासियों के पक्ष में सक्रिय होता, तो अपराधी जेल में होते और उन्हें न्याय पाने के लिएधरना पर नहीं बैठना पड़ता। आदिवासियों के संघर्ष को समर्थन देते हुए पराते ने बताया है कि 26-27 अक्टूबर को माकपा जिला सचिवसमीर कुरैशी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दुगली का दौरा करेगा और इस उत्पीड़न पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। संजय पराते
Read moreधमतरी जिले के नगरी विकासखंड का दुगली गांव याद है न आपको! जी हां, वही दुगली गांव, जहां 14 जुलाई 1985 को तत्कालीनप्रधानमंत्री राजीव गांधी सपरिवार सोनिया-राहुल समेत पहुंचे थे। कमारों के आतिथ्य का कड़ू कांदा, मड़िया पेज, कुल्थी दाल औरचरोटा भाजी का स्वाद ग्रहण करते हुए इस गांव को गोद लेने की घोषणा की थी। पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाला यह गांव तब सेआज तक विकास की बाट जोह रहा है। यह वही गांव है, जहां चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिवंगत राजीव की प्रतिमा के अनावरण के लिए पिछले साल 20 अगस्त को फिर दुगली पहुंचे, 150 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों की घोषणा की और सभी आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा देने कीघोषणा की। यह उसी आदिवासी गांव दुगली की खबर है, जहां के आश्रित ग्राम वसुंधरा धोबाकछार के 20 आदिवासी परिवारों के लगभग 100 लोगअपने बाल-बच्चों सहित पिछले 5 दिनों से धमतरी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन के बाद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। उनकाकहना है कि बीते 13 तारीख को वन विभाग से नियंत्रित वन प्रबंधन समिति की अगुआई में#उनके_घरों_को_तोड़कर_आग_लगा_दी_गई_है, जबकि वे 1993-94 से वन कक्ष क्रमांक 266 की वन भूमि पर काबिज है और खेतीकर रहे हैं। उन्हें उजाड़ने और वन भूमि से भगाने के लिए उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जा रहा है और उनकी फसलों को जानवरोंसे चरवा दिया गया है। उनको वन भूमि से भगाने का यह पहला प्रयास नहीं है। साढ़े तीन साल पहले 20 मार्च 2017 को भी उन पर हमला करके उनकीझोपड़ियों को नष्ट कर दिया गया था। अपनी काबिज वन भूमि पर वनाधिकार के दावे के लिए उन्होंने आवेदन भी दिया था, लेकिन बिनाकोई कारण बताए मौखिक रूप से उनके दावे निरस्त होने की सूचना दे दी गई। इस प्रकरण के सामने आते ही माकपा नेता समीर कुरैशी ने तत्काल धरनारत पीड़ित आदिवासियों से मुलाकात की और उनके संघर्षों कासमर्थन किया। उन्होंने मांग की है कि आदिवासियों को उत्पीड़ित करने वाले लोगों पर कानूनी कार्यवाही हो, उनकी संपत्ति को पहुंचेनुकसान का उन्हें मुआवजा मिले और काबिज वन भूमि के पट्टे दिए जाएं। पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल 25-26 को इस गांव का दौरा भीकरेगा।
Read moreछत्तीसगढ़ से पहले सकारात्मक स्टोरी पोर्टल छत्तीसगढ़ गाथा डॉट कॉम का शुभारंभ मंगलवार को पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई ने गनियारी स्थित अपने निवास पर किया. इस अवसरपर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ गाथा अपने नाम के अनुरूप छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नई गाथा लिखे. उन्होंने पोर्टल के शुभारंभ परप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि नाकारात्मक माहौल में सकारात्मक कोशिश की जितनी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने पूरी गाथाटीम को अपनी शुभकामनाएं दीं. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ गाथा डॉट कॉम छत्तीसगढ़ का पहला पॉजिटिव स्टोरी पोर्टल है. इसमें आसपास की सकारात्मक कहानियों केसाथ इतिहास, कला-संस्कृति, साहित्य से जुड़े रोचक किस्से-कहानियों को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा पुरानी यादें, यात्रावृतांत, ग्राम्य जीवन के साथ तस्वीरों को भी प्रमुखता से स्थान दिया जाएगा. इसके अलावा और भी बहुत कुछ पोर्टल के माध्यम सेपाठकों को पढ़ने, सुनने और देखने को मिलेगा. मंगलवार को पोर्टल का शुभारंभ किया गया. पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई ने लैपटॉप काबटन दबाकर इसकी शुरुआत की. अब छत्तीसगढ़ गाथा पर नियमित तौर पर कहानियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. अगर आपके पास भी ऐसी कोई सकारात्मककहानियां हैं और आपको लगता है कि उसे लोगों के साथ साझा किया जाना चाहिए तो छत्तीसगढ़ गाथा डॉट कॉम को ई-मेल पर लिखेंया फेसबुक, इंटाग्राम के साथ वाट्सएप पर संपर्क करें. एक नई शुरुआत के लिए टीम को आपकी शुभकामनाओं की भी जरूरत है… ।छत्तीसगढ़ गाथा डॉट कॉम छत्तीसगढ़ के युवा पत्रकार प्रफुल्ल ठाकुर और उनके साथियों द्वारा निराशा और हताशा के वर्तमान माहौल मेंसकारात्मकता का एक अभिनव प्रयोग है । लिंक यहां उपलब्ध… https://chhattisgarhgatha.com/
Read moreबीजापुर ( भूमकाल समाचार ) जिला पंचायत सदस्य बसंतराव ताटी ने जल संसाधन संभाग के प्रभारी ई ई जेपी सुमन
Read moreवे तीन पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। 1962 में तो महेंद्र कुशवाहा को इस कृषि भूमि
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