कांग्रेसी राज कांग्रेसी विधायक कांग्रेसी पंचायत फिर भी राजीव राहुल भूपेश के गोदग्राम में आदिवासियों का उत्पीड़न और मौन प्रशासन
धमतरी जिले के नगरी विकासखंड का दुगली गांव याद है न आपको! जी हां, वही दुगली गांव, जहां 14 जुलाई 1985 को तत्कालीनप्रधानमंत्री राजीव गांधी सपरिवार सोनिया-राहुल समेत पहुंचे थे। कमारों के आतिथ्य का कड़ू कांदा, मड़िया पेज, कुल्थी दाल औरचरोटा भाजी का स्वाद ग्रहण करते हुए इस गांव को गोद लेने की घोषणा की थी। पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाला यह गांव तब सेआज तक विकास की बाट जोह रहा है।
यह वही गांव है, जहां चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिवंगत राजीव की प्रतिमा के अनावरण के लिए पिछले साल 20 अगस्त को फिर दुगली पहुंचे, 150 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों की घोषणा की और सभी आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा देने कीघोषणा की।
यह उसी आदिवासी गांव दुगली की खबर है, जहां के आश्रित ग्राम वसुंधरा धोबाकछार के 20 आदिवासी परिवारों के लगभग 100 लोगअपने बाल-बच्चों सहित पिछले 5 दिनों से धमतरी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन के बाद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। उनकाकहना है कि बीते 13 तारीख को वन विभाग से नियंत्रित वन प्रबंधन समिति की अगुआई में#उनके_घरों_को_तोड़कर_आग_लगा_दी_गई_है, जबकि वे 1993-94 से वन कक्ष क्रमांक 266 की वन भूमि पर काबिज है और खेतीकर रहे हैं। उन्हें उजाड़ने और वन भूमि से भगाने के लिए उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जा रहा है और उनकी फसलों को जानवरोंसे चरवा दिया गया है।
उनको वन भूमि से भगाने का यह पहला प्रयास नहीं है। साढ़े तीन साल पहले 20 मार्च 2017 को भी उन पर हमला करके उनकीझोपड़ियों को नष्ट कर दिया गया था। अपनी काबिज वन भूमि पर वनाधिकार के दावे के लिए उन्होंने आवेदन भी दिया था, लेकिन बिनाकोई कारण बताए मौखिक रूप से उनके दावे निरस्त होने की सूचना दे दी गई।
इस प्रकरण के सामने आते ही माकपा नेता समीर कुरैशी ने तत्काल धरनारत पीड़ित आदिवासियों से मुलाकात की और उनके संघर्षों कासमर्थन किया। उन्होंने मांग की है कि आदिवासियों को उत्पीड़ित करने वाले लोगों पर कानूनी कार्यवाही हो, उनकी संपत्ति को पहुंचेनुकसान का उन्हें मुआवजा मिले और काबिज वन भूमि के पट्टे दिए जाएं। पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल 25-26 को इस गांव का दौरा भीकरेगा।