नोट बंदी का असर, आदिवासियों से आधे दाम पर नोट

पंकज भदौरिया @ नकुलनार
500 और 1000 की नोट के सरकार द्वारा विमुद्रीकरण के फैसले आते ही शहर गांव सभी जगह इसका असर दिखने लगा है दक्षिण बस्तर के अधिकांश इलाका ट्रायवल जोन में आता है, जिसके चलते वनांचलों के ग्रामीण आदिवासियो को बैंकिंग प्रणाली से कार्यो में हमेशा दिक्कते होती देखी है जिसका फायदा कालाबाज़ारी करने वाले व्यापारी समान खरीदी के नाम पर 500 और 1000 की नोटों का आधे मूल्यों में विनिमय करते पालनार बाजार में देखे गए, कपड़ा व्यवसायियों ने भोले भाले आदिवासियो के मेहनत की कमाई को गलत जानकारी फैलाकर आधे ही मूल्यों में जमकर खरीद फरोख्त का काला कारनामा चलाया, साप्ताहिक बाजार पालनार में दूर दराज से आये हुए ग्रामीण हाथों में 500 के नोट लिए दुकानों में बदलने की उम्मीद लिए भटकते देखे गए अरबे के भीमा ने बताया कि अंदर के ग्रामो में जमकर यह बात फैल गयी है कि 7 दिनों के बाद 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे इसीलिये हम लोग अपना पैसा बदलने बाजार आये है पर यहाँ 500 के बदले 300 रूपये और 1000 के बदले 700 रूपये दिए जा रहे है, जबकि शासन ने मुद्रा का विमुद्रीकरण काला बाजार और काले धन को रोकने की मंशा से किया है।
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जिसके लिए पर्याप्त समय भी 50 दिनों का दे रखा है प्रशासनिक अमलो को दन्तेवाड़ा जिले के वनांचल जैसे ग्रामीण अंचलों में शासन की मुद्रा विमुद्रीकरण की सही जानकारी लोगो तक पहुचवाने के लिए जल्द कदम उठाना चाहिये जिससे कोई भी व्यक्ति ठगी का शिकार न हो सके।

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बैंकों में बेतहाशा भीड़ सुरक्षाकर्मी लगाये गये
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नकुलनार स्टेट बैंक में सुबह 8 बजे ही ग्रामीण बैंक खुलने के इंतज़ार में लम्बी कतार में लगे दिखे भीड़ इतनी अधिक हो गयी थी की कतार व्यवस्था के सुधार के लिए थाने से जवानों की डियूटी लगायी गयी नोट को बदलने की मंशा से विकलांग सोमारू भी लाइन में आ पहुँचा जिसे बैंक मैनेजर सुमन दास ने तत्काल भीड़ से अलग कर जमा पर्ची स्वयं भरकर मदद की !

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