राज्योत्सव के आयोजन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित :BBSSS
बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से आज “छत्तीसगढ़ राज्योत्सव किसका उत्सव” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । राज्य की बदहाल स्थिति विशेषकर किसानो, मजदूरो, आदिवासियों, दलितों,अल्पसंख्यको पर अत्याचार व उत्पीड़न की गम्भीर स्थिति पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से राज्योत्सव के आयोजन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया ।
सीपीएम के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि उत्सव राज्य के बहुसंख्य लोगो का होना चाहिए लेकिन यहाँ के दलित आदिवासी उत्पीड़ित है, कुपोषित है । यह राज्य के लोगों का नहीं बल्कि कारपोरेट और दलालों का उत्सव है ।
दलित मुक्ति मोर्चा के गोल्डी जॉर्ज ने प्रश्न किया कि दलितों, आदिवासियों की लाश पर उत्सव क्यों ? अल्पसंख्यक संस्थाओं पर हमला हो रहा है । चर्च पर हमले हो रहे है लेकिन राज्य सरकार चुप है । सीपीआई एमएल रेड स्टार के सचिव सौरा यादव ने राज्य के मजदूरों की बदहाल स्थिति की चर्चा की ।
पूर्व विधायक वीरेंद्र पांडे ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ राज्य के लोगो का नही राजा का उत्सव है । राज्योत्सव के लिये ग्राम के मूलभूत बजट से सरपंचो को ग्रामीणों को लाने की जिम्मेदारी दी गई । शिक्षकों की स्थिति बेहद खराब है, शिक्षककर्मी आन्दोलनरत है । यह आम जनता का घाघ जनता का उत्सव है । विकास की नई परिभाषा गढ़ी जाये, मानवता के विकास की आवश्यकता है । छत्तीसगढ़ विकास का पैमाना जीडीपी नही आनन्द का पैमाना हो । श्री पांडे ने राज्य में बस्तर पुलिस द्वारा पुतला जलाये जाने की उन्होंने निंदा की और कहा की यह प्रदेश में लोकतन्त्र के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है ।
सीपीआई एमएल के सचिव बिजेंद्र तिवारी ने कहा कि मजदूरों को अपना वाजिब अधिकार नही मिल रहा है । युवा छात्र विवेक ने बताया कि युवाओं पर सांस्कृतिक प्रदूषण हो रहा है । युवाओ की सोच में बदलाव जरुरी है । नदी घाटी मोर्चा के गौतम बंद्योपाध्याय ने कड़वा सच से अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ में किसानो से मजदूरों बनने वालों की संख्या बढ़ रही है । प्रति व्यक्ति आय बढ़ी लेकिन गरीबी कम नही हुई । राज्य की शिक्षा व्यवस्था कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो गई है । जयप्रकाश नायर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति नष्ट हो रही है । लोक कर्मी निसार अली ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और चर्चा की एवम् लोकगीत प्रस्तुत किया । उन्होंने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले की चर्चा की । उन्होंने मनीष कुंजाम की पत्रवार्ता में हमले की निंदा की । प्रदेश का पीड़ित व्यक्ति सहयोग की प्रतीक्षा कर रहा है । बस्तर में साहित्यिक चर्चा नही कर पा रहे है ।
परिचर्चा के समापन पर सर्वसम्मति से तय किया गया कि बस्तर में आदिवासियों के पुलसिया दमन के खिलाफ भाजपा सरकार के इस्तीफा की मांग को लेकर 3 नवम्बर को धरना दिया जायेगा ।