जगमगाती कॉस्मेटिक इंडस्ट्री का डार्क ट्रुथ
आपकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने वाला मेकअप बॉक्स गरीब आदिवासी बच्चों की जान खतरे में डालकर तैयार किया जाता है
पूजा पवार
आपको अंदाज़ा है कि आपकी मेकअप किट बहुत से बच्चों की जान दाव पर लगा कर तैयार की जाती है??
आई शैडो, लिपस्टिक और अन्य कई कॉस्मेटिक्स में मुख्य रूप से शामिल ‘शिमर’ जिस नेचुरल रिसोर्स से पाया जाता है उसे ‘माइका’ कहते हैं |
माइका की लगभग 700 अवैध खदानें झारखण्ड के कोडरमा और गिरिडीह में हैं | बिहार और आंध्र प्रदेश में भी ये खदानें हैं |
इन खदानों में लगभग 22000 बच्चे काम करने के लिए मजबूर हैं | जिनमें सबसे अधिक संख्य आदिवासी बच्चों की है |
माफ़ियाओं ने इन खदानों में बच्चों को दो कारणों से लगाया हुआ है :
पहला – माइका की खदानें इतनी संकरी होती हैं कि उनमें केवल बच्चे ही घुस सकते हैं।
दूसरा – बच्चों को बेहद कम यानी 15 से 20 रूपए पर किलोग्राम के हिसाब से ही मजदूरी देकर काम चल जाता है |
ये खदानें जितनी मेकअप इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण हैं उतनी ही इन मासूम बच्चों और पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं |
क्योंकि एक तो खदानों में काम करने के कारण ये बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे हैं, दूसरा ये बच्चे सांस से संबंधित गंभीर बिमारियों के शिकार भी हो रहे हैं |
इसके अतिरिक्त ये संकरी और नाज़ुक खदानें कभी भी गिर जाती हैं जिसके कारण आए दिन बच्चों की मौतें होती रहती हैं |
दरअसल ये आदिवासी बच्चे और उनके माँ-बाप भारतीय पूंजीवादी सरकारों की उन नीतियों के चलते इन खदानों में काम करने के लिए मजबूर हैं जिनको लागू करके जल, जंगल, जमीन पर से उनके सदियों पुराने अधिकार छीनकर और उनकी वन आधारित जीविक को समाप्त करके उन्हें खदानों का मजदूर बना दिया गया |
जिस देश के बच्चों का वर्तमान इस तरह से खतरे में हो उस देश का भविष्य कैसा होगा इसका अंदाज़ा लगाना शायद मुश्किल नहीं है |
स्त्रियों आप भी ध्यान दो इस समस्या पर।
आपकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने वाले मेकअप बॉक्स को गरीब आदिवासी बच्चों की जान खतरे में डालकर तैयार किया जाता है, यह शायद आप लोग जानती नहीं हैं।
पूजा पवार