तेंदूपत्ता के नगद भुगतान व भूपेश सरकार की पुलिसिया अत्याचारों के खिलाफ कलेक्ट्रेट पहुँचे आदिवासियों के बाहुबल को नहीं रोक पाई पुलिस
तस्वीर: गणेश मिश्रा
- तेंदूपत्ता की नगद राशि समेत स्कूल और अस्पताल के लिए ग्राम देवताओं के साथ सड़क पर उतर आए 18 पंचायतों के ग्रामीण
- 04 घंटे पैदल चलने के बाद बेरिकेट्स तोड़कर जिला मुख्यालय में घुस आए 5 हजार ग्रामीण
- दो दिनों में नगद भुगतान का कलेक्टर ने दिया आश्वासन, एसपी ने कहा नही होगा अत्याचार
बीजापुर: तेंदूपत्ता संग्रहण की नगद राशि की मांग के अलावा 5 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन के लिए 4 घंटों में 25 किलोमीटर का पैदल सफर कर रैली की शक्ल में तीर कमान से लैस होकर अपने ग्राम देवताओं के साथ बीजापुर पहुंचे 18 पंचायतों के हजारों ग्रामीण चिकटराज मंदिर के समीप पुलिस द्वारा की गई तगड़ी सुरक्षा और बैरिकेट्स को तोड़कर नगर के अंदर घुस आए थे।
जिसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंच कर अपनी 5 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा गया हालांकि कलेक्टर विधायक और एसपी के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया और यह चेतावनी दी है कि अगर 2 दिनों के अंदर तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि का नगद भुगतान ना किया गया और अन्य मांगों पर कार्रवाई न की गई तो इससे बड़ा आंदोलन जिला मुख्यालय में किया जाएगा इस आंदोलन की खबर लगते ही बीजापुर पुलिस ने रातोंरात जिला मुख्यालय को चारों तरफ सील कर दिया था और गंगालूर मार्ग समेत शहर में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था लगाई गई थी।
जगह-जगह बैरिकेट्स लगाकर आंदोलनरत ग्रामीणों को रोकने का भरपूर प्रयास किया गया परंतु पुलिस जवान और अफसरों को धक्का-मुक्की करते हुए बैरिकेड तोड़कर जब ग्रामीण जिला मुख्यालय के अंदर प्रवेश कर गए तो माहौल गरमा गया परन्तु बाद में विधायक विक्रम मंडावी के हस्तक्षेप के चलते कुछ हद तक मामले को सम्हाल लिया गया परंतु ज्ञापन के आश्वासन तक ग्रामीणों का आक्रोश शासन प्रशासन के खिलाफ देखने को मिला।
गंगालूर के सरपंच राजू कलमू और बुरजी के सरपंच रमेश ने बताया कि इसके पहले तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि उन्हें नगद वितरण किया जाता रहा है परंतु इस बार खाते में जमा किया जा रहा है जिसका सभी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं क्योंकि बीजापुर जिला मुख्यालय के अलावा अंदरूनी इलाकों में बैंकों की सुविधा नहीं है और ग्रामीणों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड भी मौजूद नहीं है।
जिसके चलते उनके बैंकों में खाते भी नहीं खुलवाए गए हैं और यही बड़ी वजह है कि ग्रामीण नगद राशि वितरण की मांग कर रहे हैं और इसी मुख्य मांग के साथ 2018-19 के तेंदूपत्ता बोनस राशि की भी नगद मांग की जा रही है इन दो प्रमुख मांगों के अलावा विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी और आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस प्रशासन द्वारा की जाने वाली अत्याचार को बंद करने तथा अंदरूनी इलाकों के पंचायतों में स्कूल और अस्पताल खोलने की मांग शासन के सामने रखी गई है इन मांगों के लिए 18 पंचायतों के 50 गांव के करीब 5000 से अधिक ग्रामीण 1 दिन पहले से ही चेरपाल में जमा हो चुके थे जो सोमवार को रैली की शक्ल में पैदल बीजापुर पहुंचे और अपनी मांगों के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
चेरपाल से रैली की शक्ल में बीजापुर स्थित मेला स्थल में पहुंचे हजारों ग्रामीण तकरीबन 1 घंटे तक सभा स्थल पर अधिकारियों का इंतजार करते रहे परंतु जब कोई भी अधिकारी उनके पास नहीं पहुंचा तब ग्रामीण आक्रोशित होकर कलेक्टर कार्यालय की ओर कूच कर गए इस दौरान ग्रामीणों को रोकने के लिए 50 से 60 जवानों को बैरिकेड लगाकर शिव मंदिर के पास तैनात किया गया था परंतु हजारों की संख्या में ग्रामीण तीर धनुष से लैस थे और अपने ग्राम देवताओं को सामने लेकर चल रहे थे।
जब जवान उन्हें रोकने का प्रयास करने लगे तो ग्रामीण उग्र हो गए और जवानों की सुरक्षा चक्र को तोड़ते हुए बैरिकेट्स को तोड़कर जिला मुख्यालय के अंदर प्रवेश कर गए करीब 1 घंटे तक चले इस जद्दोजहद के बाद ग्रामीण कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और वहां भी जवानों के साथ झुमा झटकी कर कलेक्ट्रेट कार्यालय के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करने लगे इसी दौरान क्षेत्र विधायक विक्रम मंडावी और आदिवासी समाज के पदाधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को शांति के साथ वार्ता की बात समझाने की कोशिश की गयी और बिगड़ते माहौल को सम्हाल लिया तब जाकर ग्रामीणों का आक्रोश शांत हुआ।
40 सदस्यों के साथ एक घंटे चली बैठक
कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर आंदोलन ग्रामीण कलेक्टर से मिलकर अपनी बात रखने की जिद करने लगे इसी दौरान विधायक विक्रम मंडावी की समझाइश पर वार्ता के लिए ग्रामीणों का ही 40 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल बनाया गया जो आंदोलनरत ग्रामीणों के सर्वसम्मति से तय किया गया इसके बाद 18 पंचायतों के कुछ सरपंच विधायक विक्रम मंडावी जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियम उपाध्यक्ष कमलेश कारम जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लालू राठौर के साथ कलेक्टर के चेंबर में 40 सदस्यों की टीम के साथ कलेक्टर और एसपी की बैठक बन्द कमरे में शुरू हुई।
करीब 1 घंटे तक आयोजित बैठक के बाद जब 40 सदस्य टीम बाहर आई तो उनके द्वारा ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा गया कि कलेक्टर द्वारा उनकी ज्ञापन पर मांग पूरी करते हुए 2 दिनों के अंदर तेंदूपत्ता की नगद राशि के भुगतान का आश्वासन दिया गया है साथ ही एसपी द्वारा अंदरूनी इलाकों में पुलिस जवानों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार पर रोक लगाने की बात कही गई है इसके अलावा अन्य मांगों पर शासन स्तर पर बात कर त्वरित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है जिस पर ग्रामीणों ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि अगर कलेक्टर द्वारा दिया गया आश्वासन 2 दिनों के अंदर पूरा नहीं होता है तो उनके द्वारा इससे भी बड़ा और उग्र आंदोलन जिला मुख्यालय में किया जाएगा।
बत्तीस करोड़ का होना है भुगतान
तेंदूपत्ता संग्रहण और राशि वितरण को लेकर वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले भर में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए 28 समितियां है जिनमें 45000 संग्राहक है इस वर्ष तोड़े गए तेंदूपत्ता के लिए खातों के माध्यम से करीब 42 करोड़ रुपयों का भुगतान किया जाना है जिसमें से अब तक 12 करोड़ रुपयों का भुगतान कर दिया गया है जबकि अभी और 32 करोड़ रुपयों का भुगतान होना शेष है।
नाकाम रही समझाई की कोशिश
इस आंदोलन की खबर लगते ही सोमवार की सुबह से ही जिले के अधिकारी आंदोलनरत ग्रामीणों से मुलाकात कर बात करने की कोशिश में जुटे रहे बीजापुर एसडीएम डॉ हेमेंद्र भुआर्य बीजापुर तहसीलदार समेत बीईओ,बीआरसी और आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के साथ ग्रामीणों को समझाने का काफी प्रयास करते हुए नजर आए परंतु चेरपाल से लेकर बीजापुर तक ग्रामीणों को रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेट्स भी इस आंदोलन को नहीं रोक पाए एसडीएम हेमेंद्र भुआर्य ग्रामीणों को समझाने की काफी कोशिश करते रहे परंतु ग्रामीण मानने को तैयार ही नहीं थे।
उनका कहना था कि वे जिला मुख्यालय पहुंचकर ही अपनी बात रखेंगे जिसके बाद सुबह से डटे हुए अफसरों को ग्रामीणों के सामने झुकना पड़ा और अंतत ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर से मिलने के बाद ही आंदोलन को स्थगित कर आश्वासन के साथ लौट गए हालांकि प्रशासन द्वारा आंदोलनरत ग्रामीणों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई थी परंतु उन्होंने भोजन करने से मना कर दिया।