चावल के बजाय,महुए से सेनेटाइजर बनाया जाए
प्राण चड्डा , बिलासपुर
केंद्र सरकार ने एफसीआई के पास सरप्लस चावल से एथेनाल अल्कोहल से हैंड सेनेटाइजर बनाने की योजना को मंजूरी दी है। इस पर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अतिरिक्त चावल को भूखे गरीबों को देने की लिए कहा है ना कि अमीरों के हाथ धोने के लिए सेनेटाइजर बनाया जाये। इस विवाद के बीच सुझाव है कि,मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में इन दिनों महुआ फूल पेड़ से टपक रहे हैं। इससे वन एवं ग्रामीण इलाकों में शराब बनाई जाती है। बेहतर हो महुए से सेनेटाइजर बनाया जाएं इससे महुआ बीनने वाले आदिवासी को रोजगार मिलेगा।
महुआ की कीमत आदिवासी की सूखा कर हॉट बाजार में बीस रुपये किलो मिलती रही। इस बार कोरोना संकट को देखते हुए छतीसगढ़ सरकार ने महुआ के समर्थन मूल्य 30 रुपये किलो आज घोषित किया है। मप्र में भी इसके आसपास होगा।एक किलो महुए से एक बोतल शराब बनती है, जिसमें अल्कोहल की मात्रा काफी होती हैं।
बेहतर हो जंगल जंगल गांव गांव में महुआ के बदले अतिरिक्त चावल वस्तु विनमय में बदल दिया जाये। इससे दो लाभ होंगे,शराब कम बनेगी और खाने के लिए चावल जरूरतमंद आदिवासियों को बड़ी मात्रा में मिलेगा,और सेनेटाइजर की कमी दूर हो जायेगी।।
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