दंतेवाड़ा के गौरव पथ का गौरव भी नहीं बचा पाई भाजपा सरकार
सड़क संसार का वह प्रमुख स्थान हैं जहाँ से हर प्रकार की क्रान्ति का आगाज होता है | विश्व भर में सारी लड़ाईयाँ सड़क से ही शुरू होती है | किसी ने खूब कहा है; सड़क नाम है उस करिश्मे का, जिसके माध्यम से भगवान इंसान को स्वर्ग और नरक का बोध कराता है |
अब हमें तो भाई नरक का बोध हो रहा है इसलिए हम इस नरक का किस्सा आपको सुनाते हैं ….
यूं तो छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार के राज में विकास के नाम पर सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। इससे लोगों को सुविधाएं मिलने की उम्मीदें भी जागी, लेकिन उन उम्मीदों पर पहली बरसात ही पानी फेर देती है। ऐसी सड़कों को बनाने वालों पर कार्रवाई करने से जिम्मेदार अधिकारी भी कतराते हैं। कारण भी यही की उन्हें बनाने वाले काफी हनकदार लोग होते हैं। पिछले कुछ वर्षो में राज्य में विभिन्न योजना को लेकर लोक निर्माण विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा ताबड़तोड़ सड़कें बनाई गई हैं। अक्सर देखा गया है कि इन सड़कों का टेंडर लेने वाला कोई और होता है और बनाने वाला कोई और । टेंडर लेने वाली कुछ फर्मे स्थानीय तो कुछ बाहरी जिलों की होती हैं। इन सड़कों को बनाने वाले लोग सत्ता में मजबूत स्थिति में होने के कारण मनमाने ढंग से काम करवा रहे हैं। निर्माण की गुणवत्ता और मानकों का पालन करवाने की जिम्मेदारी लिए अधिकारी भी बोलने को तैयार नहीं होते हैं। बस उन्हें उनका हिस्सा पहुंच जाता है। नतीजा यह है कि कई सड़कों में मानकों और गुणवत्ता का पालन ही नहीं किया गया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के ससुराल जाने वाली सड़क एक सबसे बड़ा उदाहरण है | जो पहली बारिश में ही कीचड़ में तब्दील हो चुकी है | तब जब मुख्यमंत्री रमन सिंह मुख्यमंत्री न रहें और ससुराल जाना हों तो अंदाजा लगाइए कैसे जायेंगे | खैर हमें क्या हमको तो अपने रोजाना आने जाने वाली सड़क की सबसे ज्यादा परवाह है | ऐसे भी आदमी मतलबी होता है जब माननीय मुख्यमंत्री रमन सिंह जी को अपनी चिंता नहीं तो दुसरे की भला कैसे होगी |
फिर भी हम वो तो लिखेंगे ही जिसके कारण हमें और हमारे इलाके के आम लोगों को तकलीफ हो रही हो और जिसके कारण लोगों को नरक का भान हो रहा हो | तो आज आपको बताते हैं एक ऐसी सड़क के बारे में जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने गौरव पथ का नाम दिया | सरकार के तमाम सचिवों ने बैठकर बड़े तामझाम के साथ गौरवपथ योजना का शुभारम्भ किया | छत्तीसगढ़ के सारे जिलों की तरह हमारे दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले के लोग भी काफी खुश थे की हमारे जिले में अमेरिका जैसी तगड़ी मजबूत टिकाऊ सड़क का निर्माण हो रहा है | शंकिनी डंकिनी नदीयों के संगम तट पर स्थित माई दंतेश्वरी मंदिर के सामने छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा पूल भी बनाया | पूल के निर्माण को लेकर भी काफी विवाद रहा | सरकार, अधिकारियों और ठेकेदार पर यह आरोप लगे की उन्होंने कुछ रसूखदारों को लाभ पहुंचाने के लिए पूल की दिशा बदल दी | किन्तु यह भी सवाल हम नहीं उठाएंगे | कई सवाल ऐसे हैं जिसे हमें नजरअंदाज करना पड़ता है | इसे भी आज के लिए नजर अंदाज करते हैं और वापस आते हैं सड़क पर |
गौरव पथ के निर्माण के समय से ही भारी त्रुटियाँ आम जनता ने देखी | अमानक कचरा डस्टयुक्त घाटियाँ क्वालिटी की गिट्टी से इस सड़क का निर्माण हुआ है | सड़क की मोटाई और गिट्टी मुरुम भराई का कार्य एक चौथाई भी नहीं किया गया है | जिसके कारण सड़क बरसात के पहले से ही धंसनी शुरू हो गई थी | आज स्थिति यह है कि सरकार के अधिकारी अखबारों में एक दो ख़बरें आने के बाद गड्ढे मजदूरों से भरवाते हैं | किन्तु वह भी ज्यादा दिन नहीं टिकता और फिर उखड़ जाता है | सड़क का सबसे बुरा आलम कलेक्टर साहब के घर से कलेक्टर साहब के आफिस तक ही हैं |
जिले के प्रबुद्ध जन बतातें हैं कि करीब 10-12 सालों से इस सड़क पर 04 से 05 प्रकार का बजट और कई योजनाओं के मद का पैसा उपयोग में लाया गया | जिसमें सबसे अधिक पैसा लौह उत्पादक नवरतन कंपनी में से एक राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के सी एस आर का लगाया गया है | आदिवासियों के उन डेढ़ दर्जन गाँव के विकास का पैसा एनएमडीसी से लेकर दंतेवाड़ा में सड़क निर्माण उपयोग करना भी जायज माना जा सकता है क्योंकि दंतेवाड़ा में माई दंतेश्वरी की इज्जत का सवाल था जहाँ हर साल लाखों सैलानी पैदल चलकर दर्शन करने आते हैं | किन्तु नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों के सामने ठेकेदारों की कहाँ चलती है | दक्षिण बस्तर से लेकर राजधानी तक में काम करने वाले हमारे परिचित ठेकेदार बताते हैं काम लेने से पहले परसेंटेज में चढ़ावा देना पड़ता है तब काम मिलता है | हर बिल पास करवाने मंत्रियों और अधिकारियों को चढ़ावा देना पड़ता है | उसमें से अंत में जो बचता है उससे सड़क की गुणवत्ता कैसी होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं |
गौरव-पथ निर्माण के इस मामले को पूर्व अफसरों के कार्यकाल की करतूत बताकर मौजूदा अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं। मौजूदा अधिकारियों का कहना है कि पहले से बने रोड को लेकर उन्हीं से जवाब-तलबी की जानी चाहिए जो इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं। नाम ना छापे जाने की शर्त पर एक उपयंत्री ने तो यहां तक कहा कि जब तक निर्माण कार्य में नेताओं की भागीदारी रहेगी। यह सब इसी तरह चलता रहेगा।