एक ही गांव में 38 बच्चे कुपोषित, पर आज तक आंगनबाड़ी नही खोल पाई सरकार
सरकार बदली पर बड़पारा की नही , नही मिल रहा योजनाओं का लाभ
नियत श्रीवास
कोयलीबेड़ा। कुपोषण से लड़ने सरकार लाख दावे कर ले पर हकीकत यह है कि जो लोग वास्तविक में कुपोषण के शिकार हो रहे है उन्हें न तो पौष्टिक आहार मिल पा रहा है और न ही आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा ।
ये तस्वीरें कांकेर जिले से 120 किलोमीटर दूर स्थित नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा ब्लाक के केसेकोडी ग्राम पंचायत के बड़पारा की है जहां परिजन अपने 38 बच्चो के साथ खड़े है और ये सभी बच्चे गंभीर कुपोषण की शिकार है । इतना ही नही इस क्षेत्र गांव के किसी भी बच्चे का न तो पंजीयन हुआ है, न ही शिशुवती माताओं की जानकारी किसी आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिल किया गया है ।
माताओं को पोषक आहार के न मिलने से लगातार माताए कुपोषित बच्चो को जन्म दे रही है । आपको बता दे कि यह एनिमिक क्षेत्र है यानी शरीर मे खून का कमी होना । पिछड़ा हुआ इलाका होने के कारण यह क्षेत्र कुपोषण का शिकार हो गया है । इस गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित गांव में आंगनबाड़ी केंद्र है । पर अंचल में रोजाना तेज बारिश होने के कारण नदी नाले उफ़ान पर है जिससे माताओं को अपने बच्चों के साथ उफनते नदी नाले को पार करना काफी परेशानियों से भरा होता है ।
गांव के लोगो ने बताया कि कई बार कलेक्टर को व महिला बाल विकास अधिकारियों को आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की लिखित अर्जी दी जा चुकी है । ग्राम पंचायत से भी प्रस्ताव बना कर भेज दिया गया है फिर भी प्रशासन है कि इन लोगो की गुहार सुन नही रही है,ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग की है ।
ज्ञात हो कि यहां की कुल आबादी 300 से अधिक है जिसमे 38 बच्चे गंभीर कुपोषण के गिरफ्त में है ।
इस संबंध में कोयलीबेड़ा स्थित महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी से संपर्क करना चाहा तो उनके दफ्तर में ताला लगा हुआ था । क्योंकि ब्लाक मुख्यालय के नाम से यह कार्यालय कोयलीबेड़ा से 120 किलोमीटर दूर पखांजुर में संचालित हो रहा है ।
तो वही इस मामले में हमारी टीम ने कांकेर जिला महिला बाल विकास अधिकारी सी एस मिश्रा से फोन पर बात किया तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नही है, मैं जानकारी लूंगा और प्रभावित लोगों को सुविधा दी जाएगी ।