राजनीतिक दबाव में मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने को भुनाने के नाम पर आनन-फानन में हुआ था प्रक्षेपण ?
इसरो से जो जानकारी बाहर आ रही है, उससे स्पष्ट है कि बहुत कुछ छुपाया गया है। विक्रम की क्रैश लैंडिंग हुई थी, विक्रम 10 किंमी की ऊंचाई से ही नियंत्रण से बाहर हो गया था, लेकिन सम्पर्क 330 मीटर पर टूटा। इसरो के पास यह जानकारी पहले दिन से ही थी।
लैंडर के पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए है, इस लैंडिंग के बाद इसके कार्य करने की कोई उम्मीद नही है। शुरुवाती जांच में यह भी पता चला है कि ALP (ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम) में खामी पाई गई है जो इस बात का संकेत है कि इस कम्प्यूटर प्रोग्राम की समुचित टेस्टिंग नही हुई है।
विक्रम को कम से कम एक साल और चाहिए था
कुछ मित्र इसरो में है, उनसे काफी कुछ जानकारी मिली है। ऑर्बिटर पूरी तरह से तैयार था क्योंकि उसे 10 साल का समय मिला। लेकिन विक्रम को मुश्किल से 2 साल।
असफलता से सफलता का मार्ग बनता है, उम्मीद है कि चंद्रयान 3 में इन खामियों को दूर किया जाएगा और बिना किसी राजनीतिक दबाव के पूरी तरह से परीक्षण के बाद प्रक्षेपण किया जाएगा।
(आशीष श्रीवास्तव जी विज्ञान मामलों के जानकार हैं , वे वैज्ञानिक घटनाओं पर नजर बनाये रखते है , वे चन्द्र यान -2 अभियान के असफल होने के कारणों पर नजर बनाये हुए हैं )