जिस जिले की कमान एक बेटी के हाथ में है, प्रदेश के केबिनेट मंत्री बालोद की है, आखिर
ऐसा क्या हुआ है पढ़िए खास खबर…
बालोद जिला की पहचान हर तरफ नारी के नाम मान सम्मान से जुड़ा राहा है चाहे विश्व प्रसिद्धि दल्लीराजहरा के माहामाया मांन्स हो या फिर पैरी के पु्न्नी मेला, कलकल करती मां खारून है, जहाँ नाटक खेले लोरी चंदा। प्रख्यात समाज सेविका शमशाद बेगम के बनाई महिला कमांडो की हजारों महिलाएं तो वहीं मां भारती की चरण वदंन करती भारत माता वाहिनी। एक बेटी के सम्मान में गठित समाज में महिलाओं को सम्मान पूर्वक हौसला देती निर्भया दल है और इन सारी नारी शक्तियों के समाज के ऊपर काफी उपकार है और सभी महिला के अधिकारो की रक्षा के लिये कटीबध सैकड़ो महिलाओ की समूह के जनक भी बालोद है।
कांग्रेस के छत्तीसगढ़ीहा मुख्यमंत्री ने इस उपकार को समझते हुए बालोद जिला को महिला बाल विकास एवं समाज
कल्याण विभाग की केबिनेट मंत्री दिया, ताकि पूरे प्रदेश में बालोद की छवी बनी है वो छत्तीसगढ़ के हर जिले में बन सके लेकिन बालोद के एक बेटी को तथाकथित समाज के ठेकेदारों की घटिया मानसिकता की शिकार होना पड़ा है, हमारे बड़े बुजुर्गो ने कहा है की बेटी; बाप की नाक होती है, लेकिन बेटी के सम्मान के ज्ञान से अज्ञान समाज को अपने पद रुतबा और रसुख की धौस से डराते हुये आज के युग के दुशासन है जिन्होंने गुरुर ब्लाक क्षेत्र के एक गांव की महज पंन्द्रह साल की नाबालिग बच्ची को उसके तथाकथित प्रेमी के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने पर गांव में मिटींग बुलाकर अश्लील शब्दो का प्रयोग ग्रामीणो के द्वारा किया गया और लड़की के परिजनो को घटना के लिये दोषी मानते हुए पंन्द्रह-पंन्द्रह हजार रूपये दंड लिया गया, साथ ही घटना की बात को किसी को बताने पर गांव से बहिष्कृत करने की बात कही गई।
सुना जाता है की समाज गंगा है और समाज के बीच मे विराजमान पंच भगवान है ‘पंचो के मुँह परमेश्वर बोलते हैं. लेकिन आज तक इस कथन पर लोग सवाल उठाते क्यो है यह आज इस घटना से रुबरु होने के बाद पता चला। घटना की दिन बितती गई एक बाप अपमान की आंसु मन ही मन पिता रहा एक मां जाने-अनजाने अपनी कोख को कोसती रही और बालोद की बेटी निर्भया रोती रही…, रोती रही और तब तक रोती रहेगी जब तक ये समाज स्वीकार कर नही लेता की बेटी किसी की भी हो बेटी सांझी होती है सड़क पर किसी घंमडी समाज ठेकेदारों की फेकी हुई कचरा नही।
घटना की जानकारी बालोद हाईवे क्राइम टाइम को जैसे ही चली गांव जाकर पूरी जानकारी ली गई उसके बाद दंबगो ने हमे भी नही बक्सा गांव का मामला हैं तुम्हे इस मामले से क्या लेना देना है हमने फैसला अपने गांव के नियमानुसार लिया है। हमे किसी ने निर्भया के पिता से मिलने तक नही दिया और अंत मे आज रात मिटींग कर चर्चा करेंगे और हमारी फैसला पर विचार कर आपसे बात करेंगे यही बात हमसे कही गई अगली सुबह निर्भया के पिता का फोन आया और मुझे रात के मिटींग और अपनी लाचारी की बात बताते हुए उसकी आंखें भर आई और मुझसे घटना की जानकारी आपको किसने दी और आप इस मामले में मत पड़ो साहब मुझे आपको जानकारी दी है कहकर गांव वाले मुझ पर रात मे दबाव डाले है और आप मुझसे मत मिलीये क्योंकि अगर गांव वाले मुझे देख लेगे आपके साथ तो गड़बड़ हो जायेगी मुझे गांव में रहना है, इसलिये मै मामले से दुर रहना चाहता हुं। ये है हमारे नारी को पुजने वाले सभ्य समाज के तथाकथित ठेकेदारों का असहनीय कृत्य।
हम यदि आज इन्हे इनके किये की सजा नही दिला पायेंगे तो समाज को नारी को पूजने से पहले ऐसी सभी घटनाओ पर चिंतन करनी होगी। बालोद जिला के पहचान को सुशोभित करते हुए बालोद की नारी शक्ति अनिला भेड़िया महिला बाल एवं समाज कल्याण मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, रानु साहु जिला कलेक्टर, सिल्ली थामस (एस डी एम) बालोद, संजारी बालोद विधानसभा विधायक संगीता सिन्हा, गुरूर जनपद अध्यक्ष डामेश्वरी साहु, जिला पंचायत सदस्य उक्त क्षेत्रों में ललिता साहू, मीना साहू, सुशीला साहू. ये सारे महिला समाज के बीच प्रत्क्षय रूप से प्रमाण है की बेटियां शान है। बड़ा सवाल है यहां. क्या उस बेटी को इन्साफ मिल पाएगा या फिर तथाकथित सामाजिक ठेकेदारो के बुलंद ताकतो के बीच सिमट जाएगी।
बालोद जिला के नारी शक्ति को सम्मान दिलाने की जिम्मेवारी तय की है क्या वो इमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निस्वार्थ भाव से निभा रहे है इस पर हमे शक है क्योंकि हमने महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया को फोन पर घटना की जानकारी देना चाही तो मंत्री जी के पीएसओ साहब ने फोन उठाया, मैडम सीएम के मिटींग मे व्यस्त बताया दुसरे दिन फोन ही नही उठाया और पहले फोन उठाया था पीएसओ साहब वो एक पुरूष है। जिला कलेक्टर रानु साहु जी का फोन बंद था जिला पंचायत सदस्य सुशीला साहू जी का फोन उठाने वाला भी पुरुष ही था गुरूर जनपद अध्यक्ष डामेश्वरी साहु के भी फोन उठाने वाला भी पुरुष ही था गुरूर जनपद सदस्य मायावती साहु का फोन भी उनके श्रीमान जी उठाया जिस ग्राम पंचायत क्षेत्र मे घटना घटी है वहां भी महिला प्रधान है उनकी फोन भी उनके श्रीमान जी ने उठाया शायद इन्ही कारणो के वजह से समाज नारी को अबला भी कह कर संबोधित करते है। गांव वाले लोगो के दबाव के कारण आज बालोद के बेटी निर्भया के मां बाप आज मजबूर और मजलुम बन गया है।
प्रदेश अध्यक्ष साहु समाज अर्जुन हिरवानी : “ऐसा कृत्य किसी समाज को शोभा नही देती है बालोद के निर्भया के माता-पिता निडर होकर सामने आये।”
सुशीला साहू जिला पंचायत सदस्य : “नारी के सम्मान के साथ अन्याय असभ्य समाज की पहचान है।”
लीला राम साहु जनपद सदस्य गुरूर : “घटना निंदनीय है देश मे “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के अभियान के इस दौर मे निश्चित रूप से हमारी बच्चियो को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है।”