मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपी एलेसेला को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ट्रक के नीचे कुचल देने की दी थी धमकी देशभर में हुई थी तब निंदा
रायपुर । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उस पुलिस अधिकारी को 15 अगस्त के अवसर पर सम्मानित किया , जिसने भाजपा सरकार के समय मानव अधिकार कर्ताओं को ट्रक के नीचे कुचल देने की धमकी दी थी , तब भूपेश बघेल ने खुद उक्त पुलिस अधिकारी की आलोचना की थी और उसपर कार्यवाही की अपील की थी ।
2017 के मार्च माह में जिस वक्त छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार हनन के लिए चर्चाओं का माहौल गरम था, ठीक उसी वक्त जांच कमेटी के सदस्य इंदिरा कल्याण एलेसेला ने बस्तर में आदिवासी उत्पीड़न के विरुद्ध काम कर रहे सोनी सोढ़ी , बेला भाटिया और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सड़क पर कुचल देने की बात कही थी। एलेसेला तब सुकमा में एडिशनल एसपी थे और तत्कालीन कुख्यात आईजी शिव राम प्रसाद कल्लू जी के खास अधिकारियों में माने जाते थे ।
ज्ञात हो कि तब खुद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल कल्लूरी के निशाने पर थे तब भूपेश बघेल ने कल्लूरी को आदिवासी अत्याचारों के लिए दोषी ठहराया था और तत्कालीन रमन सिंह की सरकार को कटघरे में खड़ा किया था । इस बात को लेकर उस समय प्रदेश में सभी मानव अधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन कांग्रेस के साथ खड़े हुए थे ।
बाद में इन सब कारणों व सभी वर्गों को असंतुष्ट करने की वजह से रमन सरकार फेल हुई और कांग्रेस की सत्ता बनी तब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनाए गए। मुख्यमंत्री बनने के एक माह के भीतर ही भूपेश बघेल की इस बात के लिए पूरे देश में आलोचना हुई थी कि उन्होंने उसी कुख्यात आईजी को जिसकी वह खुद आलोचना किया करते थे प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण विभाग आर्थिक अपराध ब्यूरो के प्रमुख पद पर बिठा दिया था ।
बस्तर के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेत्री सोनी सोढ़ी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आदिवासियों पर अत्याचार करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही के बजाय उन्हें सम्मानित कर भूपेश सरकार ने यह जता दिया कि यह सरकार भी आदिवासियों के लिए नहीं है । उन्होंने कहा कि आदिवासियों ने दमन के खिलाफ कांग्रेस को वोट किया था और उन्हें उम्मीद थी कि मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को कुचल देने जैसे धमकी देने वाले लोकतंत्र के विरोधी अफसरों पर कार्यवाही होगी ।
बस्तर में आदिवासियों के बीच काम कर चुके और तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा प्रताड़ित होकर बस्तर छोड़ देने के लिए मजबूर होने वाले देश के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशुकुमार ने कहा कि यह स्तब्ध कर देने वाली खबर है । उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दमन के खिलाफ जिन लोकतंत्र के हिमायती मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने और समाजसेवी ने कांग्रेस के पक्ष में पूरे प्रदेश में माहौल बनाया उन्हें कुचल देने की बात करने वाले अधिकारी को अगर यह सरकार पुरस्कृत करें जो उस समय स्वयं इन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के पक्ष में थी तो यह बहुत हताशा जनक है , साथ ही यह इस सरकार के लिए भी खतरे की घंटी की चेतावनी है ।