पत्रकारों के कैमरे छिन दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारी ने जारी किया आदिवासी छात्रों के हक मारने वाले कर्मचारी की पत्रकार से सौदे बाजी का कथित वीडियो, सरकार की तरफ से स्वीकार कि घोटाला हुआ ,पर कार्यवाही नही
रायपुर। बीजापुर में आठ पत्रकारों के कैमरा छीने जाने और बदसलूकी किये जाने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है , आरोपी आईएएस व जिला पंचायत के सीईओ वेंकट ने एक वीडियो जारी कर स्वीकार कर लिया कि ओडीएफ योजना में घोटाला हुआ है , बीजेपी के समय हुए इस घोटाले को खुद इस आईएएस और सरकार अब दबाने में जुट गई है ।
ज्ञात हो कि इस घोटाले की परत खोलने वाले युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर पर जिला पंचायत के सीईओ वेंकट ने लगातार दबाव बनाया कि वह अपना अभियान रोक दे, इसी अभियान के तहत उसने 24 जून को उसे धमकाकर अपने कार्यालय बुलाया। डरा हुआ मुकेश अपने कुछ पत्रकार साथियों के साथ उनके कार्यालय में गया , तो वेंकट ने मुकेश व अन्य पत्रकारों के मोबाईल व कैमरे छीन लिए और उन्हें धमकाया भी ।
इस घटना के बाद के बाद पूरे प्रदेश में हुए हंगामे व पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी सरकार बेशर्मी से उस अधिकारी के साथ रही जिसने पत्रकारो के साथ बदसलूकी की, यहां तक कि पत्रकार सुरक्षा कानून लाने का वादा कर सत्ता में आई भूपेश सरकार के दो सलाहकार मीडिया से जुड़े होने के बाद भी इस अधिकारी को हटाने के बजाय बेशर्मी से इनके साथ खड़े रहे और औपचारिक जांच समिति बना दी ।
जांच अभी हुई भी नही कि उक्त अधिकारी ने बाकायदा फेसबुक में एक पत्रकार युकेश और कुछ लोगों की बातचीत का एक 6 माह पुराना वीडियो जारी कर अपने आप को निर्दोष और मुकेश सहित सारे पत्रकारों को दोषी ठहराने की कोशिश की। इस वीडियो में पत्रकार मुकेश के भाई युकेश के साथ कुछ लोग सौदा करते नजर आ रहे है। यह पता नही कि यह सौदा किस बात के लिए? पर अगर सीईओ महोदय दावा करते हैं कि यह उनके मातहत भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी की है तो सबसे पहले सरकार की जवाबदारी तो यही बनती है न कि इन भृष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो उस पत्रकार के साथ ही। पर स्वच्छ भारत मिशन में हुए भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले को दबाने के लिए एक पुराने वीडियो को वायरल कर मामले को भटकाने और जवांच को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही। वीडियो में दिख रहा सख्श पत्रकार मुकेश का भाई यूकेश है। इसलिए मुकेश को और अन्य पत्रकार को प्रताड़ित किया जाय यह कहां तक उचित है ?
अब इस वीडियो के सामने आने के बाद यह तो सिद्ध हो गया है कि पिछली सरकार के समय शौचालय योजना में बीजापुर जिले में जमकर भरस्टाचार हुआ है , तभी वहां के अधिकारी व कर्मचारी किसी पत्रकार को पैसे देने का सौदा कर रहे हैं । अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को यह तो बताना ही होगा कि उन्होंने इस भरष्ट्राचार मे कितना हिस्सा पा कर दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाय पत्रकारों को प्रताड़ित करने वाले अधिकारी के साथ बेशर्मी से खड़े हुए हैं ।
ज्ञात हो कि इस घटना के दो दिन पहले ही पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने नक्सलियों द्वारा हत्या किये गए एक जनप्रतिनिधि सन्तोष पुनेम की लाश जंगल से निकालकर बीजापुर लाने में पुलिस को अपने जान पर खेल कर मदद की थी ।