पत्रकार प्रशांत कनौजिया को तत्काल रिहा करे योगी सरकार- रिहाई मंच
जब महिला के दावे का कोई खंडन या करवाई नहीं की गई तो उसी वीडियो के आधार पर प्रशांत के खिलाफ कैसे करवाई की गई
आखिर प्रशांत की टिप्पणी कैसे हुई वायरल बीजेपी आईटी सेल को जांच के दायरे में लिया जाए
कश्मीरी ड्राईफ्रूट बेचने वालों पर हमला करने वाले से मिलने पर योगी की छवि धूमिल नहीं होती तो एक टिप्पणी मात्र से कैसे धूमिल हो सकती है
लखनऊ 8 जून 2019। रिहाई मंच ने पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी की कड़ी भर्त्सना करते हुए तत्काल रिहा करने की मांग की। मंच ने सवाल किया कि अगर कश्मीरी ड्राईफ्रूट बेचने वालों पर हमला करने वाले से मिलने पर मुख्यमंत्री की छवि धूमिल नहीं होती तो एक टिप्पड़ी मात्र से कैसे धूमिल हो सकती है। प्रशांत की गिरफ्तारी को लेकर कोई आधिकारिक सूचना न देना मानवाधिकार और संविधान का उल्लंघन है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मीडिया पोर्टल द वायर के लिए काम कर चुके और वर्तमान में स्वतंत्र पत्रिकारिता कर रहे पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला और डराने की कार्यवाई है। उन्होंने कहा कि महिला के दावे का मुख्यमंत्री की तरफ से कोई खंडन नहीं किया गया और न ही उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाई ही की गई। उन्होंने कहा कि उसी वीडियों को रिपोस्ट करने को आधार बनाकर प्रशांत कनौजिया को आज दिल्ली स्थित उनके आवास से करीब बारह बजे सादे कपड़ों में 5-6 की संख्या में पुलिस वालों ने उठा लिया।
राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से आनन फानन में प्रशांत कनौजिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 66 में मुकदमा दर्ज कर उठा लिया गया वह वर्तमान कानून का माखौल उड़ाने जैसा है। उक्त दोनों धाराओं में अधिकतम तीन साल के दंड का प्रावधान है और वर्तमान नियमों के मुताबिक इन धाराओं में बिना सक्षम मजिस्ट्रेट के वारंट के गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। उत्तर प्रदेश में उच्चतम स्तर पर निर्देशित इस तरह की गिरफ्तारी बताती है कि भाजपा सरकार का संविधान और कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि चुनावी शपथ पत्र में आपराधिक रिकार्ड दर्शाने से, भड़काऊ भाषण, हत्या और आगज़नी के आरोपों से योगी के सम्मान को कोई ठेस नहीं पहुंचता, सुप्रीम कोर्ट में चल रहे उनके खिलाफ अपराधिक मामले उनको विचलित नहीं करते, वीडियो में महिला द्वारा किए गए दावे से उनके मान सम्मान पर आंच नहीं आती तो प्रशांत कनौजिया की पोस्ट पर इतनी आपत्ति क्यों है? इसलिए उन पर की गई एफआईआर और कानून को धता बताते हुए गिरफ्तारी को दमनात्मक कार्यवाही क्यों न समझा जाए?
रिहाई मंच नेता रॉबिन वर्मा ने कहा कि प्रशांत की गिरफ्तारी के सम्बंध में लखनऊ पुलिस ने किसी प्राकर की जानकारी से इनकार किया है। सूत्रों से ज्ञात हुआ था कि शाम 6 बजे तक उन्हें हज़रत गंज पुलिस स्टेशन लखनऊ लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वह और रिहाई मचं के साथी शकील कुरैशी, ज्योति राय और अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुछ छात्र हज़रतगंज पुलिस स्टेशन में प्रशांत कनौजिया से मुलाकात के लिए गए लेकिन वह पुलिस स्टेशन में मौजूद नहीं थे। इस केस विवेचक व अन्य अधिकारियों ने प्रशांत के बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि प्रशांत को प्रताड़ित किए जाने और उनकी सुरक्षा को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। रॉबिन वर्मा ने बताया कि कल दोपहर बाद रिहाई मंच और अन्य सहयोगी संगठन इस मुद्दे पर बैठक करने जा रहे हैं जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगा ।
राजीव यादव