भारत के इतिहास में पहली बार छ ग शासन का खजाना खाली,22 तारीख से शासन ने बंद कर दिया है ट्रेजरी का सर्वर, वेतन और गरीबो को सहायता देने नही है फूटी कौड़ी
रायपुर । भारत देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य शासन का खजाना खाली हो गया हो । जनप्रतिनिधियों ने छ ग शासन पर आरोप लगाया है कि कुप्रबंधन के कारण छत्तीसगढ़ राज्य में शासन का खजाना पूरी तरह से खाली हो गया है । इसलिए कोषालय (ट्रेजरी) का 22 जनवरी से सर्वर बंद है, जिसके चलते यहां 2000 करोड़ रुपए के भुगतान अटक गए हैं। सरकारी ऑफिस में छुट्टी जैसी स्थिति है। राज्य के हजारो लाखो अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन-मानदेय के बिल ई-कोष में ऑनलाइन नहीं लगा पा रहे हैं। इस कारण समय पर वेतन मिलने को लेकर संशय है।
छ ग शासन द्वारा बंद किया गया सर्वर – जनप्रतिनिधियों का कहना है कि छ ग शासन द्वारा गुप्त रूप से ट्रेजरी के सर्वर को बंद कर दिया गया है ताकि कोई भी शासकीय भुगतान ना किया जा सके 22 जनवरी से अब तक काम ठप पड़ा है। क्योंकि यहां सारे काम ऑनलाइन हो रहे हैं। सर्वर प्रॉब्लम के कारण ई-कोष की वेबसाइट नहीं खुल रही है। इसका कारण राजधानी रायपुर स्थित मुख्यालय से ही सर्वर बंद होना बताया जा रहा है। सर्वर बंद होने से ट्रेजरी में काम अटक गए हैं। ई-कोष में ऑनलाइन बिल नहीं लगने से 54 विभागों के हजारों लाखो अधिकारी-कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलने की उम्मीद नहीं है।
ई-कोष में पेंशन वाली वेबसाइट भी नहीं खुल रही: पेंशन से जुड़े प्रकरण भी ऑनलाइन हो चुके हैं। ई-कोष में ही पेंशन वाली वेबसाइट का लिंक जुड़ा है। सर्वर बंद होने से ई-कोष में पेंशन वाली वेबसाइट भी नहीं खुल रही है। पेंशन की उम्मीद लगाए बैठे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इंतजार करना पड़ रहा है।
गरीबों की आर्थिक सहायता भी रुकी – समाज कल्याण विभाग की ओर से गरीब व जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता राशि दी जाती है। विभाग ने इसके लिए बिल तैयार कर ट्रेजरी में लगाए हैं। सर्वर बंद होने से ई-कोष में बिल लंबित है। अकाल मौत पर मिलने वाली 4 लाख की सहायता राशि भी नही मिल पा रही है ।
5 से 6 दिन तक ट्रेजरी में होती है सभी बिल की जांच – छ ग के सभी जिले में डीडीओ यानि आहरण-संवितरण अधिकारी हैं। विभिन्न निर्माण कार्यों के बिल के साथ ही डीडीओ हर महीने की 22 तारीख से कर्मचारियों के वेतन बिल भी ऑनलाइन अपलोड करते हैं। इसके बाद ट्रेजरी ऑफिसर व उनके स्टॉफ को 5 से 6 दिन इनकी जांच करने में लगता है। क्योंकि इसमें सरकारी के साथ ही ठेका और संविदा कर्मचारी भी रहते हैं। बिल की जांच के बाद इसे स्वीकृत कर बैंक में भेजा जाता है, जहां से कर्मचारियों को महीने के दो दिन भुगतान किया जाता है। जो नही हो पा रहा है
शिव शंकर की रिपोर्ट