झरनों का राजा : बस्तर का चित्रकोट
बस्तर भूषन
चित्रकोट जलप्रपात आज पुरी दुनिया में बस्तर की पहचान बन चुका है। इस झरने की विशालता ने दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। इसकी जलधाराओं की गर्जना ने पर्यटको को रोमांचित किया है। इन दिनों यह जल प्रपात पूरे उफान पर है ।
इसकी असीम खुबसूरती ने पर्यटकों को भाव विभोर कर दिया। अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो बस यही है इस बात को चित्रकोट जलप्रपात अपनी खुबसूरती और विशालता से प्रमााणित करता है।
इंद्रावती नदी की करोड़ों बुंदो की जलधारायें नब्बे फीट की उंचाई से जिस गर्जना के साथ गिरती है उसकी आवाज पर्यटकों के धड़कनों को तेज कर देती है। उस गर्जना को सुनकर देखकर कोई भी सैलानी बिल्कुल अवाक रह जाता है। उसके मुख से सिर्फ एक ही शब्द निकलता है वाह चित्रकोट वाह।
चित्रकोट का झरना आज पुरी दुनिया में मशहूर है। इसके पीछे का कारण इसकी खुबसूरती और इसकी विशालता है। यह झरना छत्तीसगढ़ के जगदलपुर से 30 किलोमीटर की दुरी पर चित्रकोट ग्राम में स्थित है। बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती पर बना यह झरना लगभग 90 फीट की उंचाई से गिरता है। यह झरना ना केवल भारत वरन एशिया का सबसे चौड़ा झरना है।
इसकी चौड़ाई आधे किलोमीटर से भी ज्यादा लगभग 750 मीटर तक मापी गई है। पुरे विश्व में नियाग्रा जलप्रपात की चौड़ाई सबसे अधिक है। उसके बाद दुसरे नंबर का खिताब चित्रकोट को हासिल है और पुरे एशिया महाद्वीप में चित्रकोट झरने की चौड़ाई का कोई भी झरना नहीं है इस कारण चित्रकोट झरने को एशिया का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है। इसका आकार घोड़े की नाल के समान है।
वर्ष भर में चित्रकोट के अनेकों रूप देखने को मिलते है। मानसून के दिनों में नदी में अत्यधिक जलराशि के कारण यह झरना अपनी विशालता के चरम पर होता है। शीतकाल में इसकी कई जलधारायें रजत मोतियों की धाराओं के रूप में गिरती है।
चांदनी रात में तो चित्रकोट की खूबसुरती का कहना ही क्या, सैलानी तो सारी रात जलधाराओं के सौंदर्य को देखते हुए ही गुजार देता है। पहली बार जिस किसी ने भी चित्रकोट झरने को देखा है उसके दिलो दिमाग में कई दिनों तक सिर्फ चित्रकोट की छवि ही घुमते रहती है।
वहीं ग्रीष्मकाल में दो धारायें ही चित्रकोट का नाम कायम रख पाती है। इस साल अत्यधिक गर्मी, और इंद्रावती में बने हुए बांधों के कारण चित्रकोट का झरना सुख गया था। जहां तक लोगों को ज्ञात है कि ऐसी भयावह स्थिति पहली बार देखने को मिली थी।
जनवरी के बाद से नीचे बने गहरी झील में स्थानीय नाविकों द्वारा नावे और डोंगियां चलाई जाती है। इन नावों की सवारी करते हुए पर्यटक जब जलधाराओं के पास पहुंचता है तब जलधाराओं की फुंहारे तन और मन दोनों को ही शीतल कर देती है।
सूर्य की रोशनी भी चित्रकोट की धाराओं के साथ ऐसा तालमेल बैठाती है कि पानी की हर बुंदों में इंद्रधनुष के सातो रंग निखर उठते है। चित्रकोट के पास ही भगवान शिव को समर्पित मंदिर है।
चित्रकोट का झरना प्राकृतिक सौंदर्य के साथ भक्ति रस अपने में समाहित करते हुए सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्या बुढ़ा, क्या बच्चा, क्या पुरूष और क्या महिला, सभी इसकी सुंदरता के कायल है। बस्तर के सभी निवासियों के दिलों में चित्रकोट का झरना राज करता है।
इस चित्रकोट के झरने की विशालता विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर खिंचती है। हर साल देश विदेश के कोने कोने से हजारो सैलानी चित्रकोट के सौंदर्य को निहारने आते है।
– Bastar Bhushan के फेसबुक पेज से साभार