हाईकोर्ट का आदेश, प्राइवेट स्कूल ले सकेंगे ट्यूशन फीस देनी होगी पिछले सत्र की पूरी फीस, निजी स्कूलों को मिली राहत


लक्ष्मी नारायण लहरे


रायगढ़ (भूमकाल समाचार)। कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों के फीस लेने पर लगाई गई रोक को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. निजी स्कूलों को जस्टिस पी सेम कोसी ने केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत देते हुए अन्य किसी प्रकार की फीस लेने पर रोक लगाई है। साथ ही पिछले सत्र की पूरी फीस प्राइवेट स्कूल ले सकते हैं ऐसा निर्देश भी दिया गया है।


दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में पढ़ाई बंद रहने पर न केवल निजी स्कूल प्रबंधन के फीस लेने पर पाबंदी लगा दी थी, बल्कि बकाया फीस को लेकर किसी प्रकार से पालकों पर दबाव बनाने से रोक दिया था. इस पर बिलासपुर के 22 निजी स्कूलों के प्रबंधन ने बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसायटी के नाम से अधिवक्ता अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी. एसोसिएशन की ओर से न्यायालय को बताया गया कि तमाम स्कूलों के अपने-अपने बड़े-बड़े भवन हैं, बसें हैं, खेल मैदान हैं, अच्छा-खासा इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, वहीं दूसरी ओर टीचिंग और नान-टीचिंग स्टाफ हैं, जो स्कूल से मिलने वाली तनख्वाह पर निर्भर रहते हैं. फीस नहीं मिलने से संसाधनों को बरकरार रखने के साथ स्टाफ को तनख्वाह देने के लिए जरूरी है कि फीस ली जाए.
जस्टिस पी सेम कोसी ने पक्ष को सुनने के बाद सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए निजी स्कूलों को कोरोना काल खत्म होने तक केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत देते हुए इसमें किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करने का आदेश दिया है। आदेश के मुख्य बिंदु इस प्रकार है।

  • कोरोना काल तक सभी प्राइवेट स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं इसके अलावा और किसी प्रकार की फीस फिलहाल नहीं ली जा सकती है।
  • चूंकि पिछला सत्र लॉकडाउन के पहले लगभग समाप्त हो चुका था इसलिए पिछले सत्र की पूरी फीस पालकों को देनी होगी।
  • सुविधानुसार स्कूल मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक ट्यूशन फीस ले सकेंगे इसके लिए परिस्थितियों के अनुसार स्कूल निर्णय लें।
  • ट्यूशन फीस वही होनी चाहिए जो पिछले सत्र में रखी गई थी।
  • यदि पालक को किसी प्रकार की परेशानी है तो वह स्कूल से बातचीत करके स्कूल की सहमति से कुछ अतिरिक्त समय ले सकता है।
  • निजी स्कूलों को अपने स्टाफ की सैलरी भी अब समय पर देने की हिदायत दी गई है।
    इस प्रकार के आदेश आने से निजी स्कूलों को राहत मिली है क्योंकि छत्तीसगढ़ की हजारों स्कूल बंद होने की स्थिति में आ गए थे। कई जगह ऐसा भी मामला आया था कि शिक्षकों को अपना जीवन यापन करने के लिए सब्जी तरकारी बेचती पड़ रही थी उससे शिक्षा का माहौल काफी दयनीय स्थिति में हो गया था। चूंकि छग शासन ने फीस वसूली नहीं करने का आदेश दिया था तो असमंजस की स्थिति बन गई थी। परंतु अब छत्तीगसढ़ उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश आने से निजी स्कूलों को राहत मिली है और पालक भी संतुष्ट होंगे कि पूरी फीस ना देकर ट्यूशन फीस देनी पड़ेगी जिससे उनको भी इस कोरोना के समय में थोड़ी आर्थिक राहत मिलेगी। छ.ग. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इस आदेश का स्वागत किया है और पालकों के साथ मिलकर बेहतर माहौल में शिक्षा भी करवाई जाएगी और फीस भी ली जाएगी।

क्या कहते हैं -रामचंद्र शर्मा

हाईकोर्ट का फैसला काफी राहत भरा है इस कोरोना काल में फीस ना ले पाने से निजी स्कूल बंद होने की कगार में आए गए थे तथा शिक्षकों की स्थिति दयनीय हो गई थी ऐसे में यह आदेश राहत देने वाला है, हम निजी स्कूल भी पालकों के साथ मिलकर बेहतर व्यवस्था बनाएंगे ताकि निजी स्कूलों के प्रति लोगों की सोंच सकारात्मक बने। छग प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के द्वारा इस संकट के समय में सभी से मिली मदद के लिए हम धन्यवाद देते हैं।
रामचंद्र शर्मा
सचिव जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, रायगढ़


लक्ष्मी नारायण लहरे

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