बुरा वक़्त भी गुजर जाएगा.
लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव की दो कविताएं
★ दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी मार..★
कोरोना के डर से थम गई पहियों की रफ़्तार,
लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी मार।
खाने को न रह गया अनाज सब्जियाँ घर में,
इन्हें लगता भुखमरी के न हो जाए शिकार।।
लॉकडाउन से करने न जा पा रहे है मजदूरी,
जीने के लिए पैसा होना भी है बहुत जरूरी।
एक तरफ कोरोना दूजे ओर खाना कैसे मिले,
दोनों जिंदगी जीने के लिए बन गई मजबूरी।।
आज तक इतिहास में नहीं दिखा ऐसा मंजर,
कोरोना घोंप दे रहा है बेवज़ह पीठ में खंजर।
अमीर तो खा पीकर टीवी पे ख़बर देख रहा,
पर अब गरीब बिना खाए ही घर के है अंदर।।
अभी कितने दिन तक कोरोना ढाएगा कहर,
कैसे हम गरीबों को मिले निवाला, होगा बसर।
मजदूरी, रिक्शा चला, चाट का ढेला लगा कर,
जैसे तैसे कट रही थी, अब न दिखती डगर।।
रोटी की चिंता व कोरोना ने किया है बदहाल,
कोरोना का भय लगता है चलेगा पूरे ही साल।
जैसेतैसे हम गरीब करेंगे कोरोना से मुकाबला,
दुष्ट कोरोना से लड़कर हम जीतेंगे हर हाल।।
★ बुरा वक़्त भी गुजर जाएगा..★
हताशा का चल रहा दौर
ख़ूब संभल कर रहना
वक़्त ले रहा है हमारा इम्तिहान
ऐ! मनुज धैर्य बनाए रखना
ख़ुद की व परिवार की
हिफाज़त भी ख़ूब करना
आएँगे कई कष्ट भी
उसे भी है सहना
पर गुज़ारिश है! बस यहीं
सतर्कता के घेरे को न तोड़ना!
यह मुश्किलों का दौर
निश्चय ही गुजर जाएगा
तू हँसेगा खिलखिलायेगा
निशा के बाद सवेरा हो जाएगा
सारे जहां में उजाला फैल जाएगा
हमें न छोड़नी है उम्मीद
न ही आशा की किरण
तब तक हमें रहना है सावधान
दीन दुखियों के सेवा का
कुदरत ने दिया है समय
दहशत का खत्म होगा दौर
हमें मिलेगा ख़ुशियों का ठौर
एक दूजे से गले मिलेंगे
ख़ुशियों के फूल खिलेंगे..
लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव