दंतेवाड़ा उपचुनाव से पूर्व हजारों आदिवासी शामिल हुए चुनाव बहिष्कार रैली और सभा में, कांग्रेस और भाजपा दोनों पर लगाया आदिवासियों पर अत्याचार का आरोप
सभा में पहुंचे जेल में बंद सैकड़ों आदिवासियों के परिजन
नंदलाल पहाड़ को बचाने के लिए हुए आंदोलन पर दमन का लगाया आरोप
दंतेवाड़ा से लौट कर कमल शुक्ला की रिपोर्ट
दंतेवाड़ा । किरंदुल की पहाड़ियों के पीछे घोर माओवादी इलाके के गांव कोंडेरास के जंगल में 5000 से अधिक ग्रामीणों ने रैली और सभा की । इस रैली और सभा को माओवादियों ने भी अपना समर्थन दिया था । रैली और सभा के दौरान उपचुनाव में ताकत आजमा रही दोनों प्रमुख पार्टी भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ नारों और तख्तियों के माध्यम से आदिवासियों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगाया गया ।
सप्ताह भर पूर्व हुए इस सभा में किरंदुल बैलाडीला क्षेत्र के लगभग 15 से ज्यादा गांव के लोग, जन प्रतिनिधि और क्षेत्रीय जन नेता शामिल थे । सभा में उपस्थित ग्रामीणों में प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश दिखा । हालांकि नारे केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ भी काफी लगाए गए ।
ग्रामीणों का आरोप था कि सरकार बनने के तुरंत बाद कांग्रेस आदिवासियों से किए गए वादा भूल गई । उनका आरोप था कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मामले से मुक्ति दिला कर जेल में बंद हजारों आदिवासियों को रिहा कराएगी, पर सरकार बनने के 8 माह के भीतर ही उल्टे सैकड़ों आदिवासियों को फर्जी मामलों में फंसा कर जेल भेज दिया गया, सैकड़ों को वारंटी बना दिया गया साथ ही 30 से ज्यादा निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में निर्ममता से मार डाला गया ।
*सभा में बात करने वाले ग्रामीणों ने कांग्रेस पर सबसे बड़ा आरोप बैलाडीला के नंदी राज पहाड़ को पिछली सरकार द्वारा अदानी को फर्जी तरीके से बेचे जाने के मामले में क्षेत्र के आदिवासियों के साथ धोखा घड़ी किए जाने का आरोप लगाया । उनका आरोप है कि नंदराज पर्वत को बचाने के लिए हुए आंदोलन के साथ कांग्रेस की सरकार ने धोखा किया झूठा वादा किया कि 15 दिनों के भीतर फर्जी ग्राम सभा की जांच कर किया जाएगा, लेकिन 3 माह बीत जाने के बाद भी आज तक रिपोर्ट जारी नहीं किया गया जबकि इसी बीच सरकारी संरक्षण में सैकड़ों पेड़ काट डाले गए , आंदोलन का नेतृत्व करने वाले आदिवासी नेताओं को प्रताड़ित किया गया और प्रलोभन देकर आंदोलन तोड़ने की कोशिश की गई, दूसरी ओर आंदोलन में शामिल क्षेत्र के 15-16 गांव के कई लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया और 20 से ज्यादा ग्रामीणों को फर्जी नक्सली मामले में फंसा कर जेल भेज दिया गया ।*
इस सभा में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद और पूर्व की सरकार के समय कथित फर्जी मामलों में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए सैकड़ों ग्रामीणों के परिजन भी उपस्थित थे जिन्होंने उपस्थित पत्रकारों को अपनी दुख भरी कहानी बताई । इनमें से अधिकतर ग्रामीण किरन्दुल-बैलाडीला की पहाड़ी के पीछे उन्हें गांव में से हैं जो पिछले कई सालों से एनएमडीसी, एस्सार, जिंदल और अब अदानी की वजह से परेशान होते रहे हैं ।
*फिलहाल दंतेवाड़ा उपचुनाव के लिए प्रचार का समय समाप्त हो चुका है और कल चुनाव होना है । इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बैलाडीला के निक्षेप 13 ( नंदराज पहाड़ ) छाया रहा । पिछली भाजपा सरकार के समय ही हुए कथित फर्जी ग्राम सभा और खुदाई के लिए अदानी को सौंपने का कारण इस मुद्दे पर भाजपा नेता क्षेत्र की जनता को कोई जवाब दे ही नहीं पाए, दूसरी ओर कांग्रेस भी इस मुद्दे में सफाई नहीं दे पाई । फर्जी मुठभेड़ और गिरफ्तारी के मुद्दे पर भी दोनों प्रमुख पार्टी जनता से चेहरा छुपाते रहे । यह तय है कि आदिवासी कांग्रेस की सरकार से भरोसा खो चुके हैं और यह स्थिति इस चुनाव में कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकती है । पिछले विधानसभा चुनाव में स्पोर्ट नक्सल प्रभावित क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में भी भारी मतदान हुआ था । इसके पीछे अनुमान लगाया जाता है कि भाजपा सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा नाराजगी की वजह से माओवादियों ने अपनी नीति के तहत बहिष्कार का नारा तो दिया मगर आदिवासियों को वोट देने से नहीं रोका । माना तो यह भी जाता है कि बस्तर के अन्य इलाकों की तरह यहां भी कांग्रेस के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित किया । पर कांग्रेस प्रत्याशी परिवार और पार्टी के भीतर कलह की वजह से बहुत कम अंतर से पराजित हो गई । इस बार शहादत का मुद्दा तो दोनों तरफ से है पर सत्ता में कांग्रेस है ।*