ये कहानियां बार बार दोहराने लायक, सुनाने लायक, याद रखने लायक कहानियाँ हैं
18 अक्टूबर, 2008 को प्रियंका गांधी नलिनी से मिलने जेल गयीं. नलिनी राजीव गांधी की हत्या के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं में से एकमात्र जीवित व्यक्ति हैं. गिरफ्तारी/मुकदमे के दौरान वह गर्भवती थीं. सोनिया गाँधी ने लिखित में उनकी फाँसी की प्रदत्त सज़ा को उम्र क़ैद में बदल देने की गुज़ारिश की ताकि उनकी बच्ची माँ के पालन पोषण से वंचित न हो.
बहरहाल, सत्रह साल बीत जाने के बावजूद नलिनी को बिल्कुल अपेक्षा नहीं थी कि उनसे राजीव के परिवार का कोई व्यक्ति मिलने आ सकता है. वे अवाक रह गयीं. प्रियंका ने उनसे कहा, “मेरे पिता अच्छे आदमी थे. वे एक नर्मदिल इंसान थे. ( उनके साथ ) ऐसा क्यों किया ? जो भी मसला था क्या बातचीत से नहीं सुलझाया जा सकता था ?”
इतना बोलकर प्रियंका फूटफूटकर रो पड़ीं. नलिनी भी रो पड़ी. इस रुदन में बहुत सारा जमा हुआ कुछ निकलकर बह गया. दोनों के भीतर से.
गाँधी परिवार ने नलिनी की उम्र क़ैद को भी पर्याप्त मानते हुए अपनी ओर से उन्हें रिहा करने के लिए अनापत्ति दे दी है. अब यह राज्य सरकार को तय करना है.
याद आता है कि ग्राहम स्टेंस की पत्नी ग्लैडिस स्टेंस ने भी दारा सिंह की फाँसी के बाद लिखकर कहा था कि उन्होंने हत्यारों को माफ़ कर दिया है और उनके मन में किसी के लिए कोई कड़वाहट नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने दारा सिंह की फाँसी की सज़ा को भी उम्र क़ैद में बदल दिया. आपको पता होगा कि बजरंग दल के दारा सिंह की अगुवाई में भीड़ ने फादर ग्रैहम स्टेंस और उनके दो बच्चों – दस वर्षीय फिलिप और सात वर्षीय टिमोथी -तीनों को 22-23 जनवरी,1999 की रात ज़िंदा जला दिया था.
ग्लैडिस ने तय किया कि वे उस मुल्क को छोड़कर नहीं जाएंगी जिसे उनके पति तीस साल से अपनी कर्मभूमि बनाया हुआ था. तमाम नफरतों को दरकिनार करते हुए वे पूर्ववत ओडिशा के आदिवासी अंचल में अपनी बेटी के साथ मिलकर कुष्ठ रोगियों की सेवा करती रहीं.
नफ़रत की उम्र छोटी होती है. मोहब्बत की कहानियाँ आने वाली पीढियां याद रखती हैं.
(मुझे नहीं पता कि इस सत्य घटनाओं पर देश के अधिकांश पागल बना दिए गए लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी,लेकिन मैं एक नागरिक के रूप में चाहूंगा कि इस वाकये को देश का एक एक व्यक्ति पढ़े.आप कॉपी पेस्ट कर अपनी वाल पर या अन्यअन्य सोशलसोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें)
फेसबुक से साभार