बंदूकों का दोष नहीं है
हाथ में जिनके हैं बंदूकें चाहे जिसको मारें, फूंकें उनका कोई दोष नहीं है मरे निहत्थे जितने लोग लगा जिन्हें
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Read moreआज की कविता अपना ख़ून देखकर वो सहमा रहता है कई रोज़ कई रोज़ ताकता है आसमान अगर गिर जाए
Read moreआज की कविता वो बनना चाहता था 4 साल की उम्र में भिश्ती 6 साल की उम्र में पुलिस का
Read moreउसका भोजन कई लोग चखते हैं, उससे पहले उसको डर है किसी रोज़ कोई ज़हर मिला देगा उसके खाने में
Read moreआज की कविता वो महज कुछ लोगों के बीच रहता है वो महज कुछ लोगों की बात सुनता है वो
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