छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के क्रूर दमन के खिलाफ खड़े हों : रूपेश कुमार सिंह

”रात में एक आदिवासी युवती घर में सो रही होती है, रात के 11-12 बजे पुलिस आती है और उस लड़की को घर से घसीटते हुए जंगल ले जाती है, जहाँ उस आदिवासी लड़की के साथ बलात्कार होता है और फिर चाकू से उसके जांघ, हाथ, अंगुलियां, माथा के साथ-साथ एक स्तन को भी काट दिया जाता है। फिर उस आदिवासी युवती को गोली मर दी जाती है और फिर पुलिस बड़ी शान से बताती है कि माओवादियों के साथ मुठभेड़ में 2 लाख की इनामी माओवादी को ढेर कर दिया गया है।”

आप जानते हैं ये कहाँ हुआ है? यह हमारे ही देश के छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिला में हुआ है। जहाँ भाजपा की नहीं बल्कि कांग्रेस की सरकार है। वही कांग्रेस जिसके बड़े-बड़े वादे और दावे पर विश्वास कर छत्तीसगढ़ की जनता ने भाजपा के कुशासन से मुक्ति के लिए वोट दिया था और विशाल बहुमत से सत्ता सौंपी थी।

अब मैं आपको बताता हूँ कि आखिर उस दिन क्या हुआ था? छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ तहसील के नीरम गांव की रहनेवाली पाईके वेको नाम की एक आदिवासी युवती अपनी माँ सुक्की वेको और पड़ोस के एक बच्चे मोहन के साथ अपने घर के आँगन में 30 मई, 2021 की रात को सो रही थी, रात के 11-12 बजे डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड) के गुंडों ने उनके घर को चारों तरफ से घेर लिया और फिर आँगन में घुसकर पाईके को पकड़ लिया। घर के जिस भी सदस्य ने पाईके को बचने की कोशिश की उसे उनलोगों ने पीटा। अंततः रोटी-चिल्लाती पाईके को उनकी माँ से अलग कर घसीटते हुए आँगन से बाहर खींच कर ले गए। पाईके के माँ और पिताजी ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। दूसरे दिन यानि 31 मई को पाईके के माँ-पिताजी अन्य गांव वाले के साथ दंतेवाड़ा गए, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि पाईके को जेल में बंद कर दिया होगा। लेकिन वहाँ उनलोगों को पता चला कि उनकी बेटी को तो 2 लाख की इनामी माओवादी बताकर हत्या कर दी गयी है। पाईके के लाश को देखने के बाद उनके माँ-पिताजी और सम्बन्धियों को समझ में आया कि पाईके के साथ बलात्कार हुआ है और चाकू से उसके जांघ, हाथ, अँगुलियों, माथा और एक स्तन को काट दिया गया है।

क्या आप जानते हैं कि ये डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड) क्या होता है और उसमें कौन लोग रहते हैं? दरअसल छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार ने आदिवासियों से आदिवासियों को लड़ाने के लिए आत्मसमर्पित माओवादियों और गांव के लम्पट माओवादी विरोधियों को लेकर ही डीआरजी का गठन किया है। इसे आप भाजपा शासनकाल के सलवा जुडूम का दूसरा संस्करण कह सकते हैं। डीआरजी में लगभग सभी आदिवासी फ़ोर्स ही रहते हैं। पाईके वेको के साथ बलात्कार करनेवाले और उनके साथ निर्मम अत्याचार कर उनकी हत्या करनेवाले भी आदिवासी ही हैं।

अब आप ही बताइये कि भाजपा और कांग्रेस में क्या अंतर है? अगर आप अभी भी छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आदिवासियों पर ढाये जा रहे जुल्म के खिलाफ चुप हैं, तो सोचिये कि आप भी कहीं हत्यारों के साथ तो नहीं खड़े हैं? क्या भाजपा-कांग्रेस के बीच में आदिवासियों पर जुल्म-अत्याचार चलाये जाने, जल-जंगल-जमीन से उन्हें बेदखल करने और उनकी निर्मम हत्या करने को लेकर एक अघोषित समझौता नहीं है?

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