मीना खलखो मामले में न्याय के साथ हुआ मज़ाक , आठ साल पहले हुई थी निर्मम बलात्कार के बाद हत्या , पर सीआईडी ने बलात्कार की धारा ही हटा दी
रायपुर-आठ बरस पहले राजधानी से करीब पांच सौ किलोमीटर दूर सरगुजा के चाँदों में नक्सली बता कर मार डाली गई मीना खलखो प्रकरण में छत्तीसगढ़ पुलिस ने बड़ा खेल कर दिया है। पीएम रिपोर्ट और उसके बाद हुई न्यायिक जाँच में स्पष्ट रुप से उल्लेखित है कि मीना के साथ नृशंस बलात्कार हुआ। पर इस प्रकरण में जबकि CID ने कोर्ट में मामला पेश किया तो बलात्कार की धारा ही गोल कर दी। मामले में तत्कालीन टीआई समेत तीन को अभियुक्त बनाया गया है जो जमानत पर हैं।
मीना खलखो प्रकरण सरगुजा के बलरामपुर जिले के चाँदों थाने का है। मीना पास के करचा गाँव की रहने वाली थी।पंद्रह वर्षीय मीना खलखो को चाँदों पुलिस ने 5-6 जुलाई 2011 की दरमियानी रात पुलिस नक्सल मुठभेड में नक्सली बताते हुए गोली मारना बताया। चाँदों पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम को FIR क्रमांक 25/11 में दर्ज भी किया, जिसके अनुसार पुलिस पर नक्सलियो ने हमला किया और बचाव में पुलिस ने गोलियाँ चलाईं। पुलिस को बाजरिया मुखबिर यह सूचना मिली थी कि वीरसाय का दस्ता बस्तर से पैदल लौट रहा है, और चाँदों के पास नदी पार कर झारखंड जाएगा।पुलिस की इस FIR में मीना नाम दर्ज किया गया था।
पुलिस की इस कहानी में झोल ही झोल थे। मीना खलखो चाँदों से करीब पाँच किलोमीटर दूर बसे गाँव करचा की थी,एक आम घरेलु लड़की।मीना शाम चार बजे सहेली के यहाँ जाने निकली पर रात को नही आई, परिजनों को सुबह बताया गया कि मीना को गोली लग गई है और वो बलरामपुर अस्पताल ले जाई गई है।मीना के पिता बुद्धेश्वर जब बलरामपुर पहुँचे तो उनकी लड़की की मौत हो चुकी थी। मीना नक्सली है पुलिस के इस दावे का खंडन न केवल बुद्धेश्वर बल्कि पूरे गाँव ने किया।चाँदों करचा मार्ग पर नवाडीह गाँव के जिस नदी के किनारे पुलिस ने मुठभेड़ दर्शाया था, वहाँ के रहवासी बाशिंदों को गोली की आवाज ही सुनाई नही दी थी। मीना को पुलिस ने हार्डकोर नक्सली बताया लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में इस घटना से पहले मीना का कहीं कोई जिक्र तक नही था।
मीना खलखो का यह प्रकरण तब और पेचीदा हुआ जबकि पीएम करने वाले चिकित्सक ने बताया कि,मीना की मौत मेड्यूरेट रेंज याने एक से पाँच मीटर की दूरी से चलाई गई गोली से हुई है, और ‘मीना के साथ बलात्कार’ भी किया गया है।
मामला उछला और इस कदर उछला कि सर्वशक्तिमान सरकार को बैकफ़ुट पर आना पड़ा।मामला ‘मसला’ बन गया,और प्रकरण के न्यायिक जाँच की घोषणा हुई।29 अगस्त 2011 को श्रीमती अनिता झा ने इसकी जाँच शुरु की, और यह जाँच रिपोर्ट 26 दिसंबर 2014 को पूरी हुई।
अनिता झा ने अपनी जाँच रिपोर्ट में यह पाया कि, यह नक्सल मुठभेड़ नही थी,और मीना खलखो के साथ बलात्कार हुआ था। श्रीमती झा की रिपोर्ट के क्रमांक 45 पर दर्ज है –
“लंग्स फेफड़ों में ख़ून के धब्बे,सातवीं रिब्स में अस्थिभंग यह दर्शाता है कि मृतिका मीना के साथ शारीरिक बल का प्रयोग कर सहवास किया गया।किंतु योनी स्त्राव से तैयार स्लाइड और मृतिका के कपड़ों पर पाए गए वीर्य और मानव शुक्राणु के संबंध में निर्धारण संभव नहीं कि बलात सहवास एक व्यक्ति विशेष या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया गया”
अनिता झा की रिपोर्ट के क्रमांक 64 पर दर्ज यह तथ्य अहम है –
“मृतका पर गोली AK-47 और SLR से चलाई गई थी”
न्यायिक जाँच रिपोर्ट का बिंदु क्रमांक 68 यह निष्कर्ष लिखता है –
“गोली दूर से नही चली, मेडरेट रेंज याने 1 से 5 मीटर की दूरी से गोली चली”
न्यायिक जाँच रिपोर्ट के आधार पर सरकार का पत्र चार महिने बाद अप्रैल में दिखता है,जबकि 7 अप्रैल 2015 को तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांढ इस प्रकरण को CID को सौंपने और FIR के निर्देश देते हैं।
CID इस प्रकरण को 01/15 के क्रमांक से दर्ज करती है और धारा दर्ज होती है – 302,193 और 201. सीआईडी इस प्रकरण का चालान 4 जुलाई 2017 को जमा करती है, जिसमें तीन अभियुक्त बताए जाते हैं, और ये तीन अभियुक्त है -निकोदिन खेस तत्कालीन थाना प्रभारी चाँदों,धर्मदत्त धनिया आरक्षक छसब और जीवन लाल रत्नाकर प्रधान आरक्षक। ये तीनों हाईकोर्ट से जमानत पर हैं।
अदालत में जबकि यह प्रकरण आया है अब तक 32 की गवाही हो चुकी है,जिनमें से पाँच पक्षद्रोही घोषित किए जा चुके हैं। पक्षद्रोही घोषित ललित केरकेट्टा का बयान दिलचस्प है, वह पैरा नंबर नौ में कथन करता है –
“अभियुक्तों को बचाने के लिए बयान बदल कर दे रहा हूं”
इस मामले में अगली तारीख 19 अगस्त है। जो अदालत में हो रहा है, उसकी अपनी प्रक्रिया है, पर जो सवाल है वो यह है कि जब पीएम रिपोर्ट कह रही है, न्यायिक जाँच रिपोर्ट कह रही है कि बलात्कार हुआ है तो CID ने जो चालान पेश किया उस में बलात्कार की धारा क्यो नही लगी ..सवाल है कि CID के चालान में इस बात का उल्लेख क्यों नहीं है…?
छत्तीसगढ़ की सियासत का अहम मुद्दा बनने वाला मीना खलखो प्रकरण जो कि मौजुदा सत्तानशीं कांग्रेस के लिए आज तक भाजपा के खिलाफ चकमक पत्थर है, जो तब रगड़ा जाता है जबकि भाजपा की ओर से कांग्रेस सरकार पर कथित पुलिस प्रताड़ना से आदिवासी के मारे जाने का आरोप लगता है।
मौजूदा सरकार जाँच और SIT पर ख़ूब ज़ोर लगाती है,क्या इस मसले पर कोई जाँच होगी.. क्या कोई SIT गठित होगी.. क्या कभी हम जान पाएँगे कि मीना के मरने के बाद भी न्याय के नाम पर मज़ाक़ करने वाले कौन हैं ..!