100 करोड़ खर्च पर नही बदली एक भी गांव की तस्वीर, अब कहां खर्च किया डीएमएफ का पैसा….

रायगढ़। जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का मसौदा जिन मजलूमों को केंद्र में रखकर तैयार किया गया था, वह लक्षित वर्ग आज भी न्यास में आई करोड़ों की राशि के लाभ से वंचित है। बेहतर बदलाव की बयार बहाने ढेर सारे कोरे वादे किए गए। उन वादों की आड़ में एक के बाद एक गैर जरूरी कार्यों पर 100 करोड़ खर्च कर दिए गए, पर बदहाली की मार झेलने मजबूर प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर और वहां के लोगों की तकदीर बदलने की दिशा में एक तिनका भी नहीं संवारा गया। सरकार बदली तो अब जाकर डीएमएफ से कार्य करने का तरीका भी बदल गया है।

अब इस मद का राशि मनमाना तरीके से खर्च नहीं हो पाएगा। अब सिर्फ प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित उद्योग व खदान प्रभावित गांवों में ही कार्य किए जाएंगे। जिला प्रशासन के पास 83 प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गांवों के सरपंचों ने प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को सौंपा था। इसमें स्टॉपडैम, सीसी रोड, पानी टंकी, स्कूल भवन आदि के निर्माण कार्य शामिल थे। इसे प्रस्ताव को कलेक्टर ने खारिज कर दिया है और अब प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गांवों में ही काम होने की बात कहते हुए नए सिरे से प्रस्ताव देने के लिए सरपंचों को निर्देशित किया है।

डीएमएफ के लिए पहली बैठक वर्ष 2016 को हुई, जिसमें तीन साल की कार्ययोजना प्रस्तुत की गई थी। अलग-अलग विभागों से भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर तैयार वार्षिक कार्ययोजना में न्यास को प्राप्त राशि का उपयोग जिले के विकास के लिए प्राथमिकता के आधार पर करने की बात कही गई। निधि की 60 फीसदी राशि उच्च प्राथमिकता, 40 फीसदी भौतिक अधोसंरचना, सिंचाई, ऊर्जा व जल विभाजक विकास में इस्तेमाल करने की बात कही गई। मौजूदा स्थिति में हुए कार्यों की लिस्ट पर गौर करें, तो नजर आता है कि आधे से ज्यादा काम भौतिक अधोसंरचनाओं पर फोकस है, जबकि कार्ययोजना के विपरीत उच्च प्राथमिकता वाले कार्यों का पता ही नहीं है।

खनिज संपदा से शासन के खजाने में जमा होने वाली आय का एक बड़ा हिस्सा संबंधित क्षेत्र के विकास पर खर्च करने शासन ने छत्तीसगढ़ खनिज संस्थान न्यास का गठन किया गया। यह योजना उन जिलों के लिए बनाई गई है, जहां से मुख्य खनिज के रूप में उत्पादन या उत्खनन के जरिए बहुतायत में खनिज राजस्व प्राप्त होता है। राज्य मुख्यालय के निर्देश पर कार्य करने वाले जिला खनिज संस्थान न्यास में कलेक्टर को अध्यक्ष तथा विभागीय अधिकारियों को सदस्य बनाया गया। प्रभावित क्षेत्र की जरूरतों को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए क्षेत्र में सुविधा व संसाधनों के विकास के लिए जिले से भेजा गया प्रस्ताव सिर्फ कागजों में कैद होकर रह गया। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद जिला खनिज न्यास संस्थान को भंग कर दिया गया था। पंद्रह साल तक विपक्ष में रहे कांग्रेस ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के डीएमएफ से किए गए कामकाज करने के तरीके पर सवाल उठाए थे। इसलिए अब इस योजना की राशि से कार्य करने के तरीके बदल दिए गए हैं।

अब इन कार्यो पर प्रशासन करेगा फोकस: अब तक डीएमएफ का पैसा सड़क, भवन, सौंदर्यीकरण में खर्च किया गया, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब खनिज न्यास की राशि को कुपोषण दूर करने, पेयजल की सुविधा देने गांवों में पाइप लाइन, पानी टंकी, बोर पंप खनन, बेरोजगार युवकों को गांवों में रोजगार उपलब्ध कराने पर फोकस किया जाएगा। इसके अलावा विधायकों द्वारा किए गए अनुशंसा वाले कार्यो को भी ध्यान नहीं दिया जाएगा। पिछली सरकार में विधायकों द्वारा भेजे गए अनुशंसा पर ही जोर दिया जा रहा था।

जिले में खनन से प्रभावित प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष गांवों की संख्या
ब्लॉक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष गांवों की संख्या
रायगढ़ 11 124
पुसौर 03 142
बरमकेला 12 213
सारंगढ़ 09 257
खरसिया 12 125
तमनार 15 103
घरघोड़ा 10 71
लैलूंगा 04 116
धरमजयगढ़ 07 183
फैक्ट फाइल
00 633 कार्यों पर खर्च किए 96 करोड़ 88 लाख रुपए
00 96 करोड़ 84 लाख रुपए अब तक व्यय
00 81 करोड़ 58 लाख स्वीकृति कार्यों में राशि शेष

साभार : आपकी आवाज डॉट नेट

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